पहली बार होने जा रहा है अंतर्राष्ट्रीय कला मेला
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February 3, 2018

उपराष्ट्रपति करेंगे पहले अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला का उद्घाटन कला और संस्कृति की बेहतरी, संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए काम करने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था ललित कला अकादमी 4 से 18 फरवरी तक अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला का आयोजन करने जा रही है। दिल्

राजपथ पर बिखरे संस्कृति के कई रंग
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January 27, 2018

हमारे गणतंत्र की अपनी खासियत है। हमारे शौर्य, ताकत और विकास की कहानी के साथ साथ हमारी संस्कृति के तमाम रंगों से मिलकर बनता है हमारा गणतंत्र। हर साल 26 जनवरी को राजपथ पर इसकी झलक मिलती है। चाहे वो अलग अलग राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां हों या फिर अलग अलग मंत्रालयों और विभागों के ज़रिये देश के विकास की कहानी - गणतंत्र दिवस परेड के दौरान 90 मिनट में ये बेहतरीन नजारे किसी भी देशवासी के भीत

शशि कपूर – कुछ यादें
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December 5, 2017

(हरीश नवल जी के फेसबुक वॉल से) 'पृथ्वी थियेटर' के संरक्षक स्वर्गीय शशि कपूर नहीं रहे.. यह समाचार आहत कर गया..अरसे से वे बहुत अस्वस्थ थे लेकिन थे.... ...सन १९८४ में मुझे उनके साथ कुछ दिन बिताने का सौभाग्य मिला था। मैं 'पृथ्वी थियेटर' संदर्भित शोध पत्र तैयार कर रहा था ...हम रोज़ 'कौशल्या कोटेज'में मिलते थे जहाँ शशि कपूर जी की शूटिंग चल रही थे ...उनके साथ तनुजा और नीलू फूले भी दृश्यों में थे ..

शशि कपूर का सबसे बड़ा शाहकार -मुंबई का पृथ्वी थिएटर
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December 5, 2017

  • शेष नारायण सिंह
पृथ्वी थियेटर ,मुंबई महानगर के उपनगर , जुहू में एक ऐसा मुकाम है जहां बहुत सारे लोगों ने अपने सपनों को रंग दिया है .यह थियेटर अपने पिता स्व पृथ्वीराज कपूर की याद में शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर कपूर से बनवाया था. शशि कपूर अपने परिवार में एक अलग तरह के इंसान थे .उनकी मृत्यु की खबर सुनकर उनके गैरफिल्मी काम की याद आ गयी जो दुनिया भर में नाटक की

कुंवर नारायण जी की ‘अयोध्या’ और उनके ‘राम’
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November 16, 2017

कोई वाद नहीं, फिर भी असली जनवादी कुंवर नारायण बेशक 90 साल के हो गए हों, बीमार भी रहे हों, लेकिन उनका चले जाना कई स्मृतियों को फिर से ताजा कर गया। लखनऊ में हुई उनसे एकाध मुलाकातें और कुछ समारोहों में उनकी बेहद संज़ीदा और सरल उपस्थिति। वो किसी वाद के शिकार नहीं थे फिर भी वो जनवादी थे। वो किसी विचारधारा में बंधे नहीं थे लेकिन लिखने में वो आपके बेहद करीब खड़े दिखते थे, एकदम हमारे आ

क्या आप मक्काला हब्बा के बारे में जानते हैं?
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November 12, 2017

  बेंगलुरु में मार्शल आर्ट्स और लोक कलाओं का अनोखा खेल बाल दिवस के मौके पर हर साल होता है मक्काला हब्बा....   कर्नाटक में बाल दिवस के मौके पर हर साल 'मक्काला हब्बा' के नाम से एक बेहतरीन आयोजन होता है। इस मौके पर राज्य के सभी मंत्रालय और

हमारी संस्कृति की खास पहचान हैं भील जनजाति
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November 12, 2017

शौर्य, साहस, भक्ति और विश्वास के पर्याय हैं भील
 
♦ मनीष शेंडे
भारतीय जनजातियों में भील जनसंख्या के नज़रिए से दूसरे स्थान पर आते हैं। मध्य प्रदेश में भी गोंड जनजाति के बाद भील जनजाति जनसंख्या के आधार पर दूसरे स्

इंसानियत के लेखक थे मनु शर्मा – आलोक श्रीवास्तव
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November 11, 2017

नहीं रहे मनुष्यता के लेखक मनु शर्मा ♦ आलोक श्रीवास्तव साल 2005, जुलाई की कोई तारीख़. भोपाल की प्रिंट पत्रकारिता से सीधे दिल्ली आया था. वो भी टीवी पत्रकारिता में. जीवन में इस बड़े बदलाव का श्रेय वरिष्ठ पत्रकार और अग्रज हेमंत शर्मा जी को जाता है. वही लाए थे भोपाल से दिल्ली. विदिशा जैसे छोटे से नगर का युवा पहली बार दिल्ली में न्यूज़ टीवी चैनल का भव्य और सुसज्जित दफ

साहित्य में गहरा शून्य छोड़ गए पद्मश्री मनु शर्मा
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November 10, 2017

कृष्ण को समझना है तो मनु शर्मा का उपन्यास 'कृष्ण की आत्मकथा' पढ़िए जाने माने साहित्यकार मनु शर्मा अपने पीछे साहित्य की एक ऐतिहासिक विरासत छोड़कर पंचतत्व में विलीन हो गए। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उन्हें अंतिम विदाई देने वालों की आंखें नम थीं। पद्मश्री मनु शर्मा को पौराणिक कथाओं और पात्रों को आधुनिक संदर्भ में उपन्यासों-कहानियों के जरिए जीवंत करने वा

विजयदान देथा की कहानियां महज ‘कहानियां’ नहीं हैं….
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November 9, 2017

‘बिज्जी’ आज भी हमारे बीच हैं...

  • शिवम् कटियार
विजयदान देथा ने साहित्य को क्या दिया और उनकी कहानियों पर बनी कुछ चुनिंदा फिल्मों ने अपनी क्या छाप छोड़ी, ये समझना है तो देथा को जानना ज़रूरी है। बेशक देथा राजस्थान के हों, उनकी कहानियों में परिदृष्य भी वहीं के हों, लेकिन जो सवाल उन्होंने उठाए और जिस रचना संसार के लिए वो जाने जाते हैं उसका दायरा बहुत बड़ा

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