अब तो भइया, जो बिकता है, वही दिखता है…
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June 1, 2020

आलोक यात्री की कलम से... देख तमाशा दुनिया का...                                                                                                    एक दौर था जब "जो दिखता है, वो बिकता है" जुमला भारतीय राजनीति और मीडिया के ताल्लुकों का पैमाना हुआ करता था। बीते दो दशकों में मीडिया,

प्रयाग शुक्ल के रेखांकन की भाषा
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May 25, 2020

.... प्रयाग शुक्ल के ये रेखांकन रेखा या रेखाओं की भाषा में कविता भी हैं और आलोचना भी।  कला समीक्षा में लंबे समय तक सक्रिय होने के कारण आलोचक में भी  वो अंतश्चेतना आ सकती जो किसी कलाकार में होती है। वैसे उच्च स्तर की कला और उच्च स्तर के कला लेखन में कोई तात्विक भेद नहीं होता। दोनों एक तरह से सृजन हैं और इसी कारण दुनिया के बड़े कवि कला-आलोचक भी हुए हैं।.... Read More

काक का कोना
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May 22, 2020

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जाने माने कार्टूनिस्ट काक जितने सरल हैं, उनकी काक दृष्टि उतनी ही पैनी है। उनका आम आदमी देश का वो तबका है जो ज़िंदगी की जद्दोजहद में हर रोज़ दुनिया को अपने नजरिये से देखता है... और सबसे बड़ी बात कि वह खामोश नहीं रहता.. कोई न कोई टिप्पणी जरूर करता है और वह भी देसी भाषा और गंवई अंदाज़ में....

शरद जोशी : लिखना जिनके लिए जीने की तरकीब थी
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May 21, 2020

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जाने माने व्यंग्यकार, पटकथा लेखक और कवि रहे शरद जोशी को मौजूदा दौर के पत्रकार और नई पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं... लेकिन परसाई जी के बाद तमाम व्यंग्यकारों की फेहरिस्त अगर बनाई जाए तो शरद जोशी का नाम सबसे ऊपर आता है। दरअसल शरद जी में वो कला थी कि कैसे सामयिक विषयों और सत्ता की विसंगत

अजी, आप तो बड़े वो हैं…
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May 15, 2020

देख तमाशा दुनिया का

आलोक यात्री की कलम से

फोन "मल्लिका" परवीन का था। तखल्लुस वह नाम से पहले लगाती हैं। इससे पहले भी वाट्सएप पर उनके कई मैसेज आ चुके थे। जिनमें स

सामाजिक बदलाव की उम्मीदों से भरे थे शमशेर
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May 12, 2020

शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी 1911 - 12 मई 1993)

12 मई 1993 को जब शमशेर बहादुर सिंह के निधन की खबर अहमदाबाद से आई थी, तब अचानक उनके साथ गुज़रे वो सारे पल हमारे दिलो दिमाग में एक सुखद अतीत की तरह उमड़ने घुमड़ने लगे थे। लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में पत्रकार अजय सिंह और शो

आज पुरानी राहों से, कोई मुझे आवाज़ न दे…
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May 5, 2020

इक्कीसवीं सदी शुरु हो चुकी थी और बीसवीं सदी ने जाते जाते बॉलीवुड संगीत की दुनिया को एक नई शक्ल दे दी थी। इस नए दौर और संगीत के नए माहौल में भला नौशाद के संगीत को उतनी तवज्जो कैसे मिल सकती थी जितनी इस दौर के धूम धड़ाम वाले संगीतकारों को मिलती है। 5 म

‘कोरोना से जंग कौन लड़ रिया…’
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May 4, 2020

देख तमाशा दुनिया का

आलोक यात्री की कलम से

  "लो जी कल लो बात...?" यह बात करने का कोई न्यौता था या वह सज्जन मुझे कुछ बताना चाह रहे थे? लहजा ही बड़ा अटपटा था- "लो जी.

चलिए, सत्यजीत रे की फिल्में देखें…
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May 2, 2020

सत्यजीत रे और उनकी फ़िल्मों के प्रशंसकों के लिए एक ख़ास ख़बर है. रे के जन्म शताब्दी वर्ष के मौक़े पर फ़िल्म्स डिविज़न 2 मई से ‘मास्टरस्ट्रोक्स’ के नाम से ऑनलाइन फ़िल्म फ़ेस्टिवल आयोजित कर रहा है. यह फ़ेस्टिवल 6 मई तक चलेगा.  इस दौरान आप फ़िल्म्स डिविज़न की वेब

नाम और दाम से बेपरवाह ‘आनन्द’
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May 2, 2020

 

एक ज़माने में सक्रिय पत्रकारिता में रहीं डॉ तृप्ति की कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में गहरी पकड़ रही है। तमाम सामाजिक सवालों के साथ ही तमाम मनोवैज्ञानिक मसलों पर अपनी अहम्

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