एक जीवंत किंवदंती बन गए थे इब्राहिम अल्काजी
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August 4, 2020

इब्राहिम अल्काजी का जाना भारतीय रंगमंच के लिए एक बहुत बड़े शून्य की तरह है... उन्होंने रंगमंच के लिए जितना कुछ किया और भारतीय रंगमंच को जो ऊंचाई दी उसे कभी भूला नहीं जा सकता। जाने माने रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने अल्काजी  की रंगमंच यात्रा को कैसे देखा और उन्हें कैसे महसूस किया, इसे हर रंगप्रेमी और थिएटर से जुड़े लोगों को ज़रूर पढ़ना चाहिए... 7 रंग परिवार आदरणीय अल्काजी को

जब समझना नहीं, फिर पढ़ना क्‍यों ?
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July 31, 2020

(मुंशी प्रेमचंद को 31 जुलाई को उनके जन्मदिन और 8 अक्टूबर को  उनकी पुण्यतिथि पर तमाम साहित्यप्रेमी और कथाजगत के लोग याद करते हैं। इस बार भी कर रहे हैं। अब इस डिजिटल ज़माने में प्रेमचंद पर वेबिनार हो रहे हैं, फेसबुक पर तमाम लोग और संस्थाएं इस मौके पर लाइव दिख रहे हैं। जाहिर है तमाम अखबारों , पत्र पत्रिकाओं में लेख भी लिखे जा रहे हैं और प्रेमचंद पर पिछले दिनों जो विवाद उठाए गए,

वो जब याद आए, बहुत याद आए…
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July 31, 2020

गीत सुनने के लिए क्लिक करें --- https://www.youtube.com/watch?v=KRVQZW7basg    साठ से अस्सी के दशक को फिल्म संगीत का सुनहरा दौर कहा जाता था और तब के मधुर गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं।

बटालवी ने बताया था, मोहब्बत गुम है
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July 22, 2020

जो लोग थोड़ा बहुत पंजाबी साहित्य को करीब से जानते हैं उनके लिए शिव कुमार बटालवी का नाम उतना अनजाना नहीं है.. लेकिन हिन्दी या अन्य भाषाओं के साहित्य जगत के लोगों के लिए बटालवी कुछ दिनों पहले तक बहुत नहीं जाने जाते थे.. कुछ साल पहले एक फिल्म आई उड़ता पंजाब.. और उसमें एक गीत इस्तेमाल किया गया... नए संदर्भों में...  दर्द और तड़प से भरा हुआ... इक कुड़ी जि दा नां मोहब्बत.. गुम है..ग

देख तमाशा दुनिया का – पुल नंबर 27
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July 19, 2020

देख तमाशा दुनिया का
आलोक यात्री की कलम से
बारिश ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। आज देश के ख्यातिलब्ध गीतकार नीरज जी की बरसी है। मुझे "अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई..." शेर याद आ रहा है। टीवी पर मिनट मिनट की खबरें ब

गोपाल दास ‘नीरज’ को सुनना और महसूस करना…
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July 19, 2020

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।<

साहित्य, समाज और संघर्ष के संवेदनशील ‘यात्री’
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July 10, 2020

साहित्य की अनवरत यात्रा और समाज की रचनात्मक अभिव्यक्ति ♦  अतुल सिन्हा जब भी आप जाने माने कथाकार, व्यंग्यकार और बेहद संवेदनशील लेखक से रा यात्री से मिलेंगे, आपको इस 88 बरस के नौजवान के भीतर अपार रचनात्मक ऊर्जा मिलेगी... सेहत बेशक साथ नहीं देती, ज्यादातर वक्त बिस्तर पर गुज़रता है और कुछ बीमारियों ने उन्हें बरसों से जकड़ रखा है, लेकिन जब यात्री जी अपनी रौ में

बदहाल कलाकार, राष्ट्रीय नीति की दरकार
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July 8, 2020

♦ रवीन्द्र त्रिपाठी इस कोरोना समय में समाज के जिन वर्गों को और भी अधिक सीमांत की तरफ धकेला है उसमें कलाकार भी हैं। हर विधा के कलाकार- चाहे वे रंगकर्मी हों, पेंटर हों, मूर्तिशिल्पी हों, गायक हों, वादक हों, नर्तक या नृत्यांगना हों। या लोक कलाकार हों। फिल्मों

अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा साधना से मुलाकात…
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July 7, 2020

अतीत का आईना त्रिलोक दीप की कलम से एक दिन आकस्मिक किसी का फोन आया कि एक बजे दोपहर को ओबेरॉय होटल में आपको साधन

एंथोनी पाराकल: पत्रकारिता का एक आयाम ऐसा भी
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July 7, 2020

अतीत का आईना वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव की कलम से एक दौर था जब “संपादक के नाम पत्र” का महत्व समाचार पत्रों में अग्रलेखों के ठीक बाद हुआ करता था| चर्चित पत्र अंतिम होता, तो श्रेष्ट पत्र पर पारितोष की परम्परा भी थी| ज़मान

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