नृत्य सम्राट उदय शंकर क्यों थे सबसे अलग…

आज बेशक नृत्य का अंदाज़ बदल चुका हो और आधुनिक नृत्य के जन्मदाता माने जाने वाले उदय शंकर को लोग न जानते हों, लेकिन जो लोग भी शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों को थोड़ा बहुत जानते समझते और पसंद करते हैं, उनके लिए उदय शंकर का नाम अनजाना नहीं है। सितार के शहंशाह उनके भाई पंडित रविशंकर को लोग खूब जानते हैं लेकिन ये नहीं जानते कि पंडित रविशंकर को उनके बड़े भाई उदय शंकर ने सबसे पहले अपने बैले ट्रुप में शामिल कर उनके भीतर के कलाकार को एक आकार दिया… उदय शंकर से शुरु हुई नृत्य की परंपरा आज भारत में कई शैलियों और घराने से होती हुई एक नई शक्ल अख्तियार कर चुकी है।

8 दिसंबर 1900 को उदय शंकर का जन्म हुआ। उनके जन्मदिन पर जब उदय शंकर की ज़िंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को तलाशने की कोशिश की तो सामने आई वो कहानी जिसने उन्हें नर्तक बनाया। उनकी मां को लड़की की चाह थी लेकिन हो गए चार लड़के। ऐसे में मां ने उदय शंकर को ही नन्हीं सी उम्रसे लड़की की तरह बड़ा किया, साड़ी और गहने पहनातीं, ऋंगार करतीं और बचपन से ही संगीत की धुनों पर थिरकना सिखातीं… ये दिलचस्प किस्सा खुद उदय शंकर ने दूरदर्शन को दिए एक इंटरव्यू में बताया था…

बाद में उदय शंकर लंदन में पढ़ने चले गए। उनके भीतर डांस की बारीकियां और शरीर में वो लचक बनी रही औऱ वो नृत्य की प्रैक्टिस करते रहे। उनकी इस कला की जानकारी लंदन में होने वाले इंडिया डे के आयोजकों तक पहुंची और वहां 20 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला परफॉर्मेंस दिया… डांस ऑफ शिवा। इसे इतना पसंद किया गया कि उस वक्त की मशहूर बैले ट्रुप की संचालिका अन्ना पावलोवा ने उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। करीब तीन साल तक उदय शंकर उनके साथ रहे.. राधा कृष्ण पर आधारित उनका बैले दुनिया भर में मशहूर हुआ जिसमें वो कृष्ण बनते थे और पावलोवा राधा…लंदन के रायल ओपेरा हाउस में उनका शो बेहद हिट हुआ और अखबारों में खूब तारीफें छपीं। बाद में उन्होंने पावलोवा से अलग होकर अपना ट्रुप बनाया जिसमें उनके भाई रविशंकर, देवेन्द्र शंकर और राजेन्द्र शंकर के साथ उनकी मां और कुछ और दोस्त शामिल हुए। दुनिया भर के तमाम देशों में इस ट्रुप ने परफॉर्म किया और उदय शंकर अपनी नृत्य शैली, नए नए प्रयोग और नृत्य में पश्चिमी रंगमंचीय तकनीकों को अपनाने के लिए मशहूर हुए।

   

उदय शंकर के संघर्षों और उपलब्धियों की लंबी दास्तान है, कई उतार चढ़ाव हैं, लेकिन सबसे अहम ये कि उन्होंने लगातार 13-14 घंटे तक प्रैक्टिस की, खुद को कभी टूटने नहीं दिया। वो एक बेहतरीन चित्रकार थे। जेजे कॉलेज ऑफ आर्ट्स के अलावा लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट में पढ़े, चित्रकारी की तमाम शैलियों का अध्ययन किया, साथ ही नृत्य में उन तमाम शैलियों, युगों और पात्रों को उतारने की कोशिश की। बाद में संगीत नाटक अकादमी से लेकर पद्म विभूषण तक सम्मानों की एक बड़ी फेहरिस्त उनके नाम के आगे जुड़ गई… 1965 में कोलकाता में उदय शंकर नृत्य केन्द्र खोला और दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय नृत्य और कलाओं के प्रचार प्रसार का काम किया। उनका आखिरी परफॉर्मेंस 1992 में हुआ। यानी उदय शंकर के नृत्य का 52 साल का बेहद सक्रिय सफरनामा है…जो आज के दौर के नृत्य प्रेमियों और नई  पीढ़ी के डांसर्स को ज़रूर जानना समझना और देखना चाहिए…

उदय शंकर पर खास कार्यक्रम देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…

https://youtu.be/Th0gvBUoaOU

Posted Date:

December 8, 2021

5:54 pm Tags: , , , ,
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