(अमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ जोड़ने और विकसित करने को लेकर सम्मेलन में क्या विचार आए , उदय जी की इस रिपोर्ट से
बहुत याद आते हैं उस्ताद बिस्मिल्ला खां
पटना में दशहरे के वो उत्सव, कई कई रातों के शानदार संगीत कार्यक्रम, बेहतरीन कलाकारों को सुनने और उनके संगीत में खो जाने का वो आनंद... वक्त ने उस सुनहरे इतिहास को कहीं दफ़्न कर दिया है। बचपन में जब पहली बार उस्ताद बिस्मिल्ला खां को सु
विश्व हिंदी सम्मेलन के दूसरे दिन छायी रही भारतीयता की बात(अमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ
त्रिलोचन जी को याद करना एक पूरे युग को याद करने जैसा है। उनका विशाल रचना संसार और बेहद सरल व्यक्तित्व अब आपको कहीं नहीं मिलेगा। उनकी कविताओं को, उनकी रचना यात्रा को और उनके साथ बिताए गए कुछ बेहतरीन पलों को साझा करना शायद बहुत से लोग चाहें, लेकिन बदलते दौर में, नए सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में और साहित्यिक जमात की खेमेबाजी में त्रिलोचन आज भी हाशिए पर हैं। उनकी जन्म शताब्
(अमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार इन दिनों पोर्ट लुई में चल रहे 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिस्सा लेने मॉरीशस में हैं। अमर उजाला और अमर उजाला डॉट कॉम पर उदय जी वहां के सत्रों के कई पहलुओं पर लिख रहे हैं। हिन्दी फिल्मों का भारतीय संस्कृति से कितना गहरा नाता है ये बताने की कोशिश की प्रसून जोशी ने। उदय कुमार की ये रिपोर्ट हम अमर उजाला से साभार '7 रंग 'के पाठको
चोट भी सुखद रही, सारी ज़िंदगी रहा अटल जी का हाथ: कृष्ण मित्र
पत्रकार के रूप में मेरा कैरियर भी दैनिक प्रलयंकर से शुरू हुआ था। कहा जा सकता है कि मैं भी एक "एक्सीडेंटल जर्नलिस्ट" हूं। मैं एमए कर रहा था। क्लास साढ़े दस बजे समाप्त हो जाती थी और मैं सीधा घर। मैं घर लौट रहा होता था और दैनिक प्रलयंकर के संपादक तेलूराम कांबोज जी उसी समय अपने कार्यालय से निकलकर फील्ड में जाने के लिए निकल र
दुनिया को बेहद करीब से देखते हैं गुलज़ार
‘उम्र के खेल में इकतरफा है ये रस्साकशी
इक सिरा मुझको दिया होता तो इक बात भी थी’
(जन्मदिन पर गुलज़ार साहब का ट्वीट)
एक संवेदनशील शायर और आसपास की दुनिया को बेहद करीब से देखने वाले गुलज़ार साहब के लिए जन्मदिन का मायना भले ही ये हो सकत
अांवला। पॉलपोथन नगर इफको टाउनशिप में स्वतंत्रता दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। मुख्य अतिथि इफको, आंवला के कार्यकारी निदेशक श्री जी के गौतम ने परेड का निरीक्षण किया और ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। परेड में शामिल इफको सुरक्षागार्ड ,केन्द्रीय विद्यालय के बच्चे एवं स्काउट गाइड के मजबूत इरादे और देश भक्ति के प्रति जज्बा देख पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। विशेष वाद्ययंत्र और कद
'दिनेश चंद्र गर्ग ने अटल जी को भेजी थी गाय, गाजियाबाद में हाथी की कराई थी सवारी '
'अटल जी बेशक अब हमारे बीच न रहे हों, लेकिन उनकी यादें हर शहर के तमाम लोगों के दिलों में बसी हैं। वो जहां भी जाते, उस जगह के लोगों से एक आत्मीय रिश्ता जोड़ लेते थे। अपने लंबे राजनीतिक और साहित्यिक जीवन में अटल जी का गाजियाबाद से भी ऐसा ही लगाव था।