हमें आज़ाद हुए 72 साल हो गए। और हिन्दी के कालजयी लेखक प्रेमचंद को गुज़रे 83 साल बीत गए। जन्म बेशक उनका 31 जुलाई 1880 को हुआ हो, लेकिन उनका लेखन युग तकरीबन चार - साढ़े चार दशकों का रहा। आज दुनिया भर में आतंकवाद को लेकर इतनी हा
आलोक चटर्जी एक बेहद चर्चित और स्थापित नाट्य अभिनेता है। पर एक संस्थान को रचनात्मक दिशा देने की उनकी क्षमता तब उजागर हुई जब पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय का नाट्य समारोह हुआ। इस संस्थान का निदेशक बने उन्हें सिर्फ नौ-दस महीने ही हुए है पर एक पूरे सत्र में जिस तरह के स्तरीय नाटक हुए उससे तो ऐस
"कथा संवाद " में वंदना जोशी की कहानी "नगर ढिंढोरा" ने बजाया डंका
गाजियाबाद। साहित्य देश और समाज की तस्वीर हमारे सामने लाने का शाश्वत जरिया है। कलमकार के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश में पनप रही विद्रूपताओं और विसंगतियों को देखें, समझें और इस बात का आकलन करें कि इनके निस्तारण में एक
किसी बड़े कलाकार के अवदान के मूल्यांकन के लिए उसके संपूर्ण कलाकर्म को ध्यान में रखना जरूरी होता है। लेकिन सिर्फ इतने से ही बात नही बनती। ये भी देखना चाहिए कि उसका अपने सहकर्मी कलाकारों से कैसा संबंध रहा। कला एकांत साधना है पर साथ ही सामूहिक कर्म भी है। जब कोई कलाकार- लेखक और संगीतकार भी- किसी दौर में सक्रिय
यात्री जी की कहानियों के ख़ज़ाने से आपके लिए दो कहानियां महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की वेबसाइट 'हिन्दी समय' से साभार ला रहे हैं। हमारी कोशिश है कि आप उन्हें पढ़ें और इन कहानियों के भीतर तक पहुंचने की कोशिश करें...
गाजियाबाद में अमर उजाला की संपादकी के कुछ ही महीने बेशक गुजरे हों लेकिन इन चंद दिनों में इस शहर के साहित्य जगत ने मेरे भीतर एक नई ऊर्जा जरूर भर दी। अख़बार के ज़रिये साहित्य-संस्कृति और शहर के बुजुर्गों के लिए जितना कुछ हो सका, कोशिश की। लेकिन उससे भी ज्यादा हर वक्त याद रहने वाली ज
इफको की आंवला इकाई में योग क्रियाओं का संगम
दुनियाभर में मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इफको आंवला टाउनशिप स्थित कम्यूनिटी सेन्टर में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और इफको के वरिष्ठ अधिकारियों ने योगासन किया।
आंवला इकाई के वरिष्ठ महाप्रबन्धक राकेश पुरी ने द्वीप प्रज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवसय का शुभारंभ किया । इस अवसर प
‘अस्तित्व – द एसेंस ऑफ प्रभाकर बर्वे’ में उतरी उनकी पूरी कला यात्रा
इस बार न तो अमोल पालेकर थे और न ही चुनावी मौसम का आतंक। न कोई विवाद और न ही कोई रोक टोक। जाने माने कलाकार प्रभाकर बर्वे के कामकाज को मुंबई के बाद अब दिल्ली में लोग नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट की कला दीर्घा में 28 ज
बौद्ध और गांधी के दर्शन से लेकर बावनबूटी साड़ी की बुनावट तक
क्या आपने बावनबूटी साड़ियों के बारे में सुना है? क्या आपको उपेन्द्र महारथी के बारे में पता है? क्या आपको पता है कि किस कलाकार ने गांधी जी के साथ साथ गौतम बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश
लखनऊ में ‘स्मरण गिरीश कर्नाड’ का आयोजन
प्रसिद्ध रंगकर्मी, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता गिरीश कर्नाड की स्मृति में ‘स्मरण गिरीश कर्नाड’ कार्यक्रम का आयोजन 11 जून को इप्टा कार्यालय, लखनऊ में किया गया जिसमें शहर के लेखकों, कलाकारों और बु़द्धिजीविय