किसी बड़े कलाकार के अवदान के मूल्यांकन के लिए उसके संपूर्ण कलाकर्म को ध्यान में रखना जरूरी होता है। लेकिन सिर्फ इतने से ही बात नही बनती। ये भी देखना चाहिए कि उसका अपने सहकर्मी कलाकारों से कैसा संबंध रहा। कला एकांत साधना है पर साथ ही सामूहिक कर्म भी है। जब कोई कलाकार- लेखक और संगीतकार भी- किसी दौर में सक्रिय
यात्री जी की कहानियों के ख़ज़ाने से आपके लिए दो कहानियां महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की वेबसाइट 'हिन्दी समय' से साभार ला रहे हैं। हमारी कोशिश है कि आप उन्हें पढ़ें और इन कहानियों के भीतर तक पहुंचने की कोशिश करें...
गाजियाबाद में अमर उजाला की संपादकी के कुछ ही महीने बेशक गुजरे हों लेकिन इन चंद दिनों में इस शहर के साहित्य जगत ने मेरे भीतर एक नई ऊर्जा जरूर भर दी। अख़बार के ज़रिये साहित्य-संस्कृति और शहर के बुजुर्गों के लिए जितना कुछ हो सका, कोशिश की। लेकिन उससे भी ज्यादा हर वक्त याद रहने वाली ज
इफको की आंवला इकाई में योग क्रियाओं का संगम
दुनियाभर में मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इफको आंवला टाउनशिप स्थित कम्यूनिटी सेन्टर में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और इफको के वरिष्ठ अधिकारियों ने योगासन किया।
आंवला इकाई के वरिष्ठ महाप्रबन्धक राकेश पुरी ने द्वीप प्रज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवसय का शुभारंभ किया । इस अवसर प
‘अस्तित्व – द एसेंस ऑफ प्रभाकर बर्वे’ में उतरी उनकी पूरी कला यात्रा
इस बार न तो अमोल पालेकर थे और न ही चुनावी मौसम का आतंक। न कोई विवाद और न ही कोई रोक टोक। जाने माने कलाकार प्रभाकर बर्वे के कामकाज को मुंबई के बाद अब दिल्ली में लोग नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट की कला दीर्घा में 28 ज
बौद्ध और गांधी के दर्शन से लेकर बावनबूटी साड़ी की बुनावट तक
क्या आपने बावनबूटी साड़ियों के बारे में सुना है? क्या आपको उपेन्द्र महारथी के बारे में पता है? क्या आपको पता है कि किस कलाकार ने गांधी जी के साथ साथ गौतम बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश
लखनऊ में ‘स्मरण गिरीश कर्नाड’ का आयोजन
प्रसिद्ध रंगकर्मी, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता गिरीश कर्नाड की स्मृति में ‘स्मरण गिरीश कर्नाड’ कार्यक्रम का आयोजन 11 जून को इप्टा कार्यालय, लखनऊ में किया गया जिसमें शहर के लेखकों, कलाकारों और बु़द्धिजीविय
अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक और मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने गिरीश कर्नाड को काफी करीब से जाना, महसूस किया और उन्हें जिया है। कर्नाड के नाटकों को अरविंद ने अपने कम संसाधनों के बावजूद एक बड़ा आयाम दिया और अपनी कला दृष्टि के विकास में गिरीश कर्नाड की अहम भूमिका मानते हैं। गिरीश कर्नाड का जाना बेशक रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। खास
(अमर उजाला ने गिरीश कर्नाड को बेहद सम्मान दिया। उन्हें अपने सर्वोच्च शब्द सम्मान आकाश दीप से सम्मानित किया। उसी दौरान गिरीश कर्नाड ने अपने दिल की बहुत सी बातें अमर उजाला से साझा कीं। इनमें से कुछ को अमर उजाला काव्य ने छापा। वहीं से आभार के साथ हम गिरीश जी की वो बातें आपके साथ साझा कर रहे हैं जिससे उनकी यात्रा के कई पड़ावों के बारे में उन्हीं क
जाने माने रंगकर्मी और फिल्मकार गिरीश कर्नाड नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद आज सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। गिरीश कर्नाड अपने मशहूर नाटक 'तुगलक' और फिल्मों में अपने अहम किरदारों की वजह से खासे चर्चित रहे और कन्नड़ साहित्य में उनका जबरदस्त योगदान रहा है। कर्नाड कन्नड़ भाषा के सशक्त हस्ताक्षर होने के साथ ही नाटककार, अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। उनके बेहतरीन का