अपने पिता की विरासत और उनकी कला दृष्टि को एक ऊंचाई तक पहुंचाने की बरसों से कोशिश में लगी निवेदिता मिश्रा के लिए इस बार का महिला दिवस बेहद खास रहा। दिल्ली के त्रिवेणी आर्ट गैलरी में 8 मार्च से 23 मार्च तक आप हर तरफ निवेदिता मिश्रा के बेहतरीन स्कल्पचर और मूर्तिकला को देख और महसूस कर सकते हैं। निवेदिता की इस प्रदर्शनी का नाम है ‘नित्य’। ओडिसा के बोलंगीर से ताल्लुक रखने वाली निवेदिता
'...पिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच `न होने’ का काल है। यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।...'
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कोरोना के कारण भारतीय और हिंदी रंगमंच को जो क्षति हुई है उसकी गिनती की जाए तो उसमें एक बड़ा नाम एस एम अज़हर आलम (जन्म 17 अप्रेल 1968) का होगा। लगभग एक साल पहले यानी 20 अप्रेल 2021 को वे कोरोना के शिकार हुए थे। उसके कुछ ही दिन पहले उनको मौलिक नाट्य लेखन के लिए नेमीचंद्र जैन नाट्यलेखन सम्मान मिला था। पर ये सम्मान अज़हर आलम का महत्त्वपूर्ण पर छोटा परिचय ही था। Read More
(जाने माने पत्रकार, लेखक, कवि, अनुवादक और विदेश मामलों के जानकार त्रिनेत्र जोशी ने बीमारी के बावजूद ये लेख 7 रंग के लिए लिखा है। रूस, चीन, यूक्रेन समेत पुराने सोवियत संघ की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हालातों को गंभीरता से पढ़ने, विश्लेषण करने के अलावा इन देशों के साहित्य और संस्कृति को भी वे गहराई से समझते हैं। त्रिनेत्र जी 7 रंग के पाठकों के लिए अपनी टिप