इब्राहिम अल्काजी का जाना भारतीय रंगमंच के लिए एक बहुत बड़े शून्य की तरह है... उन्होंने रंगमंच के लिए जितना कुछ किया और भारतीय रंगमंच को जो ऊंचाई दी उसे कभी भूला नहीं जा सकता। जाने माने रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने अल्काजी की रंगमंच यात्रा को कैसे देखा और उन्हें कैसे महसूस किया, इसे हर रंगप्रेमी और थिएटर से जुड़े लोगों को ज़रूर पढ़ना चाहिए... 7 रंग परिवार आदरणीय अल्काजी को अ
(मुंशी प्रेमचंद को 31 जुलाई को उनके जन्मदिन और 8 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि पर तमाम साहित्यप्रेमी और कथाजगत के लोग याद करते हैं। इस बार भी कर रहे हैं। अब इस डिजिटल ज़माने में प्रेमचंद पर वेबिनार हो रहे हैं, फेसबुक पर तमाम लोग और संस्थाएं इस मौके पर लाइव दिख रहे हैं। जाहिर है तमाम अखबारों , पत्र पत्रिकाओं में लेख भी लिखे जा रहे हैं और प्रेमचंद पर पिछले दिनों जो विवाद उठाए गए,
गीत सुनने के लिए क्लिक करें --- https://www.youtube.com/watch?v=KRVQZW7basg साठ से अस्सी के दशक को फिल्म संगीत का सुनहरा दौर कहा जाता था और तब के मधुर गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं।
जो लोग थोड़ा बहुत पंजाबी साहित्य को करीब से जानते हैं उनके लिए शिव कुमार बटालवी का नाम उतना अनजाना नहीं है.. लेकिन हिन्दी या अन्य भाषाओं के साहित्य जगत के लोगों के लिए बटालवी कुछ दिनों पहले तक बहुत नहीं जाने जाते थे.. कुछ साल पहले एक फिल्म आई उड़ता पंजाब.. और उसमें एक गीत इस्तेमाल किया गया... नए संदर्भों में... दर्द और तड़प से भरा हुआ... इक कुड़ी जि दा नां मोहब्बत.. गुम है..ग
साहित्य की अनवरत यात्रा और समाज की रचनात्मक अभिव्यक्ति ♦ अतुल सिन्हा जब भी आप जाने माने कथाकार, व्यंग्यकार और बेहद संवेदनशील लेखक से रा यात्री से मिलेंगे, आपको इस 88 बरस के नौजवान के भीतर अपार रचनात्मक ऊर्जा मिलेगी... सेहत बेशक साथ नहीं देती, ज्यादातर वक्त बिस्तर पर गुज़रता है और कुछ बीमारियों ने उन्हें बरसों से जकड़ रखा है, लेकिन जब यात्री जी अपनी रौ में