‘शिव, शक्ति और विश्वास’ पर निवेदिता मिश्रा के शिल्प

 

अपने पिता की विरासत और उनकी कला दृष्टि को एक ऊंचाई तक पहुंचाने की बरसों से कोशिश में लगी निवेदिता मिश्रा के लिए इस बार का महिला दिवस बेहद खास रहा। दिल्ली के त्रिवेणी आर्ट गैलरी में 8 मार्च से 23 मार्च तक आप हर तरफ निवेदिता मिश्रा के बेहतरीन स्कल्पचर और मूर्तिकला को देख और महसूस कर सकते हैं। निवेदिता की इस प्रदर्शनी का नाम है ‘नित्य’। ओडिसा के बोलंगीर से ताल्लुक रखने वाली निवेदिता के पिता नित्यानंद मिश्रा नौ साल तक 1980 से 89 तक कांग्रेस के सांसद रहे और पिछले साल जुलाई में 92 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गए। अपनी बेटी को उन्होंने एक कलाकार बनाया, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स से लेकर लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स तक भेजा।

निवेदिता कहती हैं, ‘आज मैं जो कुछ भी हूं अपने पिता की बदौलत हूं। बरसों से चाहती थी कि उनको अपने कामों का ये ‘सोलो शो’ समर्पित करूं। अफसोस कि आज वो ये देखने के लिए नहीं हैं। ‘शिव, शक्ति और विश्वास’ इस प्रदर्शनी की थीम है। इस काम में बरसों की मेहनत लगी है। हर आकृति या शिल्प का कोई न कोई भाव है और हरेक के भीतर की अपनी कथा है।

त्रिवेणी आर्ट गैलरी के मुख्य हॉल में लगी करीब सौ मूर्ति शिल्पों में आपको शिव के तमाम रूप मिलेंगे। निवेदिता बताती हैं कि उन्हें बचपन से शिव का रुद्र तांडव बहुत प्रभावित करता रहा है और खासकर सती की वो कथाएं जो हमारे पौराणिक धर्मग्रंथों और शिव के तांडव के मूल में हैं। दक्षपुत्री सती शिव की पत्नी थीं और अपने पिता द्वारा शिव के अपमान से नाराज़ होकर वह हवन कुंड में कूद पड़ी थीं। तब शिव ने गुस्से में सती का शरीर लेकर ऐसा तांडव किया कि पृथ्वी कांप उठी। शिव के गुस्से को रोकने के लिए विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के अंगों के 51 टुकड़े कर दिए जो पृथ्वी के अलग अलग हिस्सों में जा गिरे। वही 51 शक्तिपीठों की आज मान्यता है।

निवेदिता मिश्रा ने शिव की तमाम भंगिमाओं के साथ साथ उन तमाम अंगों की कल्पना को अपने शिल्प में जीवंत करने की कोशिश की है। वह कहती हैं कि हाथ, पैर, उंगलियां, नाक, कान, होंठ से लेकर सुदर्शन चक्र और त्रिशूल तक को उस दौर के संदर्भों और भावों के साथ उतारना बेशक एक काफी मुश्किल काम रहा है। लेकिन आज यह काम आपके सामने है।

निवेदिता इस काम में सहयोग के लिए अपने समकालीन मूर्ति शिल्पी और पेंटर अद्वैत गणनायक को श्रेय देना नहीं भूलतीं जो उनके पति भी हैं और नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक भी। आम तौर पर किसी कलाकार की प्रदर्शनी में इतनी हस्तियां नहीं आती, जितनी निवेदिता के इस सोलो शो में दिखाई पड़ीं। दिल्ली का ज्यादातर छोटा बड़ा कलाकार इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के वक्त मौजूद था और निवेदिता मिश्रा के इस यादगार काम को करीब से देखने समझने की कोशिश कर रहा था।
सती के अलावा प्रदर्शनी का एक हिस्सा कामाख्या देवी के तमाम रूपों और नारी शक्ति को भी समर्पित है। काले मार्बल और ग्रेनाइट पत्थरों से तराशे गए देवी के रूपों को भी आप यहां देख सकते हैं। गैलरी में प्रवेश करते ही उसके बाहरी कैंपस में आपको निवेदिता मिश्रा की बनाई नवग्रह के तमाम रूपों की विशाल संरचनाएं भी देखने को मिलेंगी। निवेदिता ने तमाम धातुओं और पत्थरों पर उकेरी गईं तमाम कलात्मक संरचनाओं को अपने अलग अलग थीम के साथ इससे पहले मुंबई, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, दिल्ली के अलावा लंदन में भी प्रदर्शित कर चुकी हैं। लेकिन लंबे समय के बाद उनकी यह सोलो प्रदर्शनी कलाप्रेमियों के लिए एक नए एहसास की तरह है।

Posted Date:

March 22, 2022

5:15 pm
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