वो पाकीज़ा की साहिबजान थीं... वो साहिब बीवी और गुलाम की छोटी बहू थीं...वो बैजू की गौरी थीं.. दो बीघा ज़मीन की ठकुराइन थीं...परिणीता की ललिता थीं...और सबसे बड़ी उनकी पहचान थी ट्रेजेडी क्वीन की... लेकिन असल में वो महज़बीं बानो थीं...एक बेहतरीन शायरा...एक तड़पती हुई बेचैन अदाकारा...बहुत कुछ थीं मीना कुमारी। 31 मार्च को महज 38 साल की ज़िंदगी जीकर मीना ने दुनिया को अलविदा कह दिया...उनकी ज़िंदगी में कमाल
Read Moreसागर सरहदी का जाना एक ऐसे तरक्कीपसंद शख्स का जाना है जिसकी झोली में सिलसिला, कभी कभी और चांदनी भी है तो बाज़ार और चौसर भी... सागर सरहदी में यश चोपड़ा की ज़रूरतों के मुताबिक ढलने की कला भी है तो वक्त के साथ देश और समाज को बारीकी से देखने का अपना नज़रिया भी... सरहदी साहब बीमार चल रहे थे... 88 साल के हो चुके थे... लेकिन अब भी बेहद संज़ीदे तरीके से वक्त को देखते समझते थे। '7 रंग' के लिए सागर सरहदी को या
Read Moreसिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की नेहरू नगर शाखा में आयोजित 'महफ़िल-ए-बारादरी' में कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. सीता सागर ने कहा कि "महफ़िल ए बारादरी" ने अदब की दुनिया में जल्द ही ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है। अपने मुक्तक एवं गीतों पर उन्होंने जमकर सराहना बटोरी। उन्होंने कहा "आईने पर नज़र नहीं रहती, फिक्र इधर कोई नहीं रहती, मेरी दीवानगी का आलम है, खुद को खुद की खबर नहीं रहती।" अगले मुक्तक में उन्ह
Read Moreगाजियाबाद में साहित्य की एक स्वस्थ और समृद्ध परंपरा रही है और इसे आज के दौर में जीवंत रखने का अद्भुत काम कर रहा है मीडिया 360 लिट्ररी फाउंडेशन। कोरोना काल के दौरान करीब एक साल तक बंद पड़ी गतिविधियों के बाद जब इस संस्था ने 7 फरवरी को गाजियाबाद में कथा संवाद को फिर से शुरु किया तो मानो हर किसी के भीतर का साहित्यकार और साहित्य के प्रति उसकी जायज चिंता फिर से जाग उठी। बड़ी संख्या में लोग होट
Read Moreभारतीय रंगमंच के वरिष्ठ निर्देशक बंसी कौल का हिन्दी रंगमंच में अविस्मरणीय और महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, वह कैंसर से जुझ रहे थे, पर उनकी जिजीविषा और जिंदादिली अद्भुत थी। सबको उम्मीद थी कि वह इस स्थिति से उबर कर दोबारा सक्रिय हो जाएंगे। पर ऐसा नहीं हो सका। जिंदगी के नाटक का पटापेक्ष कर बंसी नेपथ्य में चले गए।
Read Moreनए साल की शुरुआत के साथ ही कलाकारों में एक नया जोश देखने को मिला है और वो करीब नौ महीनों के बाद खुलकर अपनी कला का प्रदर्शन करने एक जगह जमा हो रहे हैं। ये पहल की है दिल्ली की नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डर्न आर्ट्स (एनजीएमए) ने। 2020 की तमाम बंदिशों के बाद एनजीएमए ने नए साल के पहले शनिवार और रविवार से हर हफ्ते कलाकारों के लिए ये बेहतरीन और उत्साह बढ़ाने वाला सिलसिला शुरु किया है। पहले दिन इसके मुख्य
Read Moreलॉकडाउन के दौरान शुरुआत के कुछ दिनों की निराशा-हताशा और डर को छोड़कर फिर जो सोशल मीडिया साहित्य का दौर शुरु हुआ, वर्चुअल संवाद, वेबिनार और लाइव का सिलसिला शुरु हुआ, वह दिसंबर आते आते हरेक के जीवन का हिस्सा बन गया। इस मायने में कोरोना काल इतिहास में दर्ज किया जाएगा कि कैसे एक झटके में इसने सबको डिजिटल बना दिया और फासलों के बावजूद इस ‘काल’ ने आभासी दुनिया में सबको एक दूसरे के पास पहुंचा
Read More2020 ने तो एक झटके में सबकी चांदी ही चांदी कर दी। अब भी अगर आप डिजिटल न हो सके तो फिर आपका ऊपरवाला ही मालिक है। पुरानी सोच वाले लोग अब भी इसे साजिश और एक दूसरे से काट देने का षडयंत्र मानते हों, लेकिन शायद 21वीं सदी का भारत यही है। और अब 2021 में तो देखिए और क्या क्या नया होता है। 2020 ने जो ज़मीन तैयार की है, उसकी फसल 2021 में लहलहाएगी और आप एक नई अनोखी दुनिया को आकार लेते देखेंगे। तो नई उम्मीदों के साथ स
Read Moreमंगलेश डबराल ने कभी हार नहीं मानी। रचनाकर्म और अपनी जीवनशैली में पूरी ईमानदारी के साथ आखिरी वक्त तक डटे रहे। उनकी कविताएं उनके जीवन के इर्द गिर्द रही हैं जहां पहाड़ भी है और समतल ज़मीन भी, गांव का मुश्किल जीवन भी है और शहरों- महानगरों की आपाधापी भी। रिश्तों की बारीकियां भी हैं, बदलती हुई सामाजिक व्यवस्थाओं और सत्ता के अधिनायकवाद के चेहरे भी हैं। एक अकेलापन और कहीं कुछ छूट जाने का एह
Read Moreआज जिस इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव के तौर पर डॉ सच्चिदानंद जोशी के कंधे पर संस्कृति के इस विशाल केन्द्र की जिम्मेदारी है, वह केन्द्र अगर बना तो उसके पीछे कपिला वात्स्यायन की दूरदृष्टि थी। कपिला जी इसके संस्थापकों में रहीं और जोशी जी उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जोशी जी ने जो बेहतरीन काम किया वो ये कि उन्होंने कपिला जी को पूरा सम्मान दिया और इस संस्था को बड़
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