बारिश ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। आज देश के ख्यातिलब्ध गीतकार नीरज जी की बरसी है। मुझे "अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई..." शेर याद आ रहा है। टीवी पर मिनट मिनट की खबरें ब्रेक हो रही हैं। दिल्ली के अन्ना नगर में नाले में बरसाती पानी के सैलाब से किनारे बसे कई मकान बह गए। मिंटो ब्रिज के नीचे डीटीसी की एक बस पानी में डूब गई। बस की तो औकात ही क्या एक आटो और एक कार भी मिंटो ब्रिज के नीचे भ
Read Moreजब भी आप जाने माने कथाकार, व्यंग्यकार और बेहद संवेदनशील लेखक से रा यात्री से मिलेंगे, आपको इस 88 बरस के नौजवान के भीतर अपार रचनात्मक ऊर्जा मिलेगी... सेहत बेशक साथ नहीं देती, ज्यादातर वक्त बिस्तर पर गुज़रता है और कुछ बीमारियों ने उन्हें बरसों से जकड़ रखा है, लेकिन जब यात्री जी अपनी रौ में बातें करते हैं तो दुनिया जहान की तमाम खबरों, साहित्य जगत की हलचलों के अलावा अपने दौर की ढेर सारी यादो
Read Moreएक दौर था जब “संपादक के नाम पत्र” का महत्व समाचार पत्रों में अग्रलेखों के ठीक बाद हुआ करता था| चर्चित पत्र अंतिम होता, तो श्रेष्ट पत्र पर पारितोष की परम्परा भी थी| ज़माना बदला| अब विज्ञापनदाता ही भारी भरकम संवाददाताओं को कोहनी मार देते हैं| तो अदना पाठक की क्या विसात? उसका कालम-स्पेस तो सिकुड़ेगा ही| ऐसे मंजर में 4 जुलाई 2020 को मुंबई के मलाड में 90-वर्षीय एंथोनी पाराकल का निधन पीड़ादायक है|
Read Moreअकबर के दरबार में रहीम मीर अर्ज थे। वही अब्दुर रहीम खानखाना जो हिंदी साहित्य में अपने नीति दोहों की वजह से बड़ा ही सम्मानजनक स्थान रखते हैं। इन रहीम के सेवक थे फहीम खान। फहीम खान बहुत चर्चित नहीं हैं मगर एक वजह से उनका नाम इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। दिल्ली के निजामुद्दीन वेस्ट में सब्जबुर्ज नाम से एक चार सदी पुरानी इमारत है।
Read Moreअभी एक साल भी नहीं बीता है... भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मशहूर बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया कांठमांडू गए तो उनका वहां के तमाम युवा कलाकारों ने बांसुरी बजाकर अभिनंदन किया, भारतीय दूतावास की ओर से आयोजित उनके शो में नेपाल के उप प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री और तमाम मंत्रिगण मौजूद रहे, पूरा हॉल तालियों से गूंज रहा था... नेपाल और भारत के बीच पारंपरिक सांस्कृतिक र
Read More1969 में पहली बार लद्दाख गया था फौजियों के साथ। रास्ते में मुझे दो जानकारियां ऐसी मिलीं जो उस समय मेरे लिए नई थीं। एक, द्रास दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान है और दूसरी लद्दाख में एक ऐसा यूरोपीय विद्वान अपना पूर्व निश्चित रास्ता न पाकर लद्दाख पहुंच गया और यहां तिब्बती भाषा के शब्दकोश और व्याकरण को लिखने में ऐसा जुटा कि उसे अपना मूल लक्ष्य बिसर गया। मैंने उसी वक़्त मन ही मन अपने से दो वाद
Read Moreएक वक्त था जब ‘दिनमान’ को रघुवीर सहाय के साथ साथ त्रिलोक दीप के नाम से भी पहचाना जाता था। सत्तर का दशक था और दिनमान तब की सबसे बेहतरीन, गंभीर और सामयिक समाचार साप्ताहिक पत्रिका हुआ करती थी। टाइम्स ग्रुप की हिन्दी पत्रिकाओं में तब धर्मयुग, दिनमान, सारिका. माधुरी, पराग जैसी पत्रिकाएं थीं और दूसरी तरफ हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप हिन्दी में साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, नंदन जैसी पत
Read Moreसरोद के सुरों से श्रोताओं को झुमा देने वाले सरोद वादक पंडित विकास महाराज बनारस के कबीरचौरा की गलियों में पले-बढ़े और संगीत का ककहरा सीखा। अब वो सात समंदर पार सरोद की झनकार बिखेर रहे हैं। महाराज जर्मनी, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, हालैंड और यूनाइटेड स्टेट के तमाम विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
Read Moreवो जहां जाते थे, जिससे मिलते थे, सबके बहुत अपने हो जाते थे... उनकी सादगी और संघर्ष की कहानियां तमाम हैं... हर साथी की अपनी अपनी यादें हैं, अपने अपने अनुभव हैं... सबके लिए वो चितरंजन भाई थे.. हमारे लिए भी... गमछा गले में लपेटे या कभी कभार पगड़ी की तरह बांध लेते, पान खाते, गोल मुंहवाले बहुत ही प्यारे से लेकिन सबके संघर्ष के साथी... खुद की तकलीफों की कभी परवाह नहीं की... बातें करने से ज्यादा सुनने में भ
Read Moreपिछले तीस पैंतीस बरसो से हिंदी भाषी इलाके में कविता को लेकर एक नई तरह की उत्सुकता पैदा हुई है। कविता पोस्टरों के रूप में। कई ऐसे कविता प्रेमी सामने आए हैं जो कविताओं या काव्य पंक्तियों के पोस्टर बनाते हैं। कुछ इनकी प्रदर्शनियां भी लगाते हैं। कुछ, बल्कि ज्यादातर, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पोस्टरों को प्रचारित करते हैं। इस सिलसिले मे जिन लोगों के नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है
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