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शरद जोशी : लिखना जिनके लिए जीने की तरकीब थी
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May 21, 2020

जाने माने व्यंग्यकार, पटकथा लेखक और कवि रहे शरद जोशी को मौजूदा दौर के पत्रकार और नई पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं… लेकिन परसाई जी के बाद तमाम व्यंग्यकारों की फेहरिस्त अगर बनाई जाए तो शरद जोशी का नाम सबसे ऊपर आता है। दरअसल शरद जी में वो कला थी कि कैसे सामयिक विषयों और सत्ता की विसंगतियों के खिलाफ दिलचस्प तरीके से व्यंग्य किया जाए, भाषा की रवानगी के साथ ही आंचलिकता को बरकरार रखते हुए मुद

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सामाजिक बदलाव की उम्मीदों से भरे थे शमशेर
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May 12, 2020

12 मई 1993 को जब शमशेर बहादुर सिंह के निधन की खबर अहमदाबाद से आई थी, तब अचानक उनके साथ गुज़रे वो सारे पल हमारे दिलो दिमाग में एक सुखद अतीत की तरह उमड़ने घुमड़ने लगे थे। लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में पत्रकार अजय सिंह और शोभा सिंह के घर शमशेर जी अक्सर आते और ठहरते रहे। वामपंथी आंदोलनों का दौर था, राजनीतिक-सांस्कृतिक गतिविधियां तेज़ थीं और शमशेर जी जैसे तमाम प्रगतिशील रचनाकार हमारी ताकत हुआ कर

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आज पुरानी राहों से, कोई मुझे आवाज़ न दे…
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May 5, 2020

इक्कीसवीं सदी शुरु हो चुकी थी और बीसवीं सदी ने जाते जाते बॉलीवुड संगीत की दुनिया को एक नई शक्ल दे दी थी। इस नए दौर और संगीत के नए माहौल में भला नौशाद के संगीत को उतनी तवज्जो कैसे मिल सकती थी जितनी इस दौर के धूम धड़ाम वाले संगीतकारों को मिलती है। 5 मई 2006 को जब संगीतकार नौशाद ने दुनिया को अलविदा कहा, तब भी उनके भीतर यही दर्द छलकता रहा - 'मुझे आज भी ऐसा लगता है कि अभी तक न मेरी संगीत की तालीम पूर

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चलिए, सत्यजीत रे की फिल्में देखें…
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May 2, 2020

सत्यजीत रे की फिल्में देखते हुए आपको अपने आसपास की जन्दगी, सामाजिक सच्चाइयों और उनकी गहरी कला दृष्टि का एहसास होता है। आज के दौर के फिल्मकारों को उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है... जन्मशती वर्ष पर रे को नमन...

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नाम और दाम से बेपरवाह ‘आनन्द’
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May 2, 2020

एक ज़माने में सक्रिय पत्रकारिता में रहीं डॉ तृप्ति की कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में गहरी पकड़ रही है। तमाम सामाजिक सवालों के साथ ही तमाम मनोवैज्ञानिक मसलों पर अपनी अहम् राय रखने वालीं डॉ तृप्ति ने इस आलेख के ज़रिये कला के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले ब्रजमोहन आनंद की कला यात्रा पर बारीक नज़र डाली है।

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बच्चों को ऑनलाइन कथक सिखातीं शोवना नारायण
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May 1, 2020

मशहूर कथक नृत्यांगना पद्मश्री शोवना नारायण ने लॉकडाउन के दौरान कथक को कई नए आयाम देने और ज्यादा से ज्यादा बच्चों और युवाओं तक कथक को पहुंचाने का अभियान चलाया है। सूरज की पहली किरण के साथ उनके पैर थिरकने लगते हैं और देर रात तक डिजिटल क्लास के जरिये वो सैंकड़ों युवा कलाकारों से जुड़ी रहती हैं। देश ही नहीं बाहर के देशों में भी उनसे सीखने वाले पहले से कहीं ज्यादा वक्त अब अपनी प्रतिभा क

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ऋृषि कपूर और इरफ़ान: विरासत और संघर्ष की दास्तान
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April 30, 2020

बॉलीवुड ही नहीं पूरा देश सदमे में है। आखिर ये क्या हो रहा है। इरफ़ान के जाने का ग़म और अब बेहद ज़िंदादिल ऋषि कपूर के ऐसे चले जाने का सदमा। एक ऐसे कलाकार जिसकी सूरत में एक मुस्कराहट और सकारात्कता की झलक हमेशा रही... इरफ़ान और ऋषि कपूर में बुनियादी फर्क ये कि ऋषि को बॉलीवुड विरासत में मिला तो इरफ़ान ने इसे अपने संघर्षों से हासिल किया... एक राजस्थान के छोटे से शहर टोंक से जयपुर और एनएसडी (दि

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सामाजिक चेतना से लैस एक अभिनेता का जाना
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April 29, 2020

इरफान खान का जाना एक सदमे की तरह है। महज 53 साल की उम्र में इस कलाकार ने अपने संघर्षों और खास अंदाज़ की वजह से अपनी जगह बनाई। बॉलीवुड के साथ साथ करोड़ों दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी। बिंदास अंदाज़ में ज़िंदगी को लेने वाले और बेहद संवेदनशील तरीके से समाज को देखने वाले इस अभिनेता ने अपनी खास शैली बनाई...चाहे वह अपनी बेहद गंभीर और गहरी आंखों से बहुत कुछ कह देने का अंदाज़ हो या फिर डॉ

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साधारण से असाधारण होने की कहानी हैं तीजन बाई…
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April 24, 2020

यूरोपीय धरती से निकले ओपेरा, बैले, सिम्फ़नी और फ़्लेमिंको विशुद्ध शास्त्रीय हैं. पर बेहद लोकप्रिय हैं. और इनमें से कुछ भी देख रहे हों तो दर्शक सहज रूप से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, अक्सर भावुक हो जाते हैं और आत्मविभोरता में रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ठीक वही अनुभव होता है जब आप तीजन बाई से पंडवानी सुनते हैं. पंडवानी यानी महाभारत के अलग अलग प्रसंगों की संगीतमय प्रस्तुति. एकल नाट्य की तरह.

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फिल्मकार सत्यजीत राय के भीतर का कलाकार…
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April 23, 2020

एक संवेदनशील चित्रकार कैसे एक बेहतरीन फिल्मकार बन सकता है, सत्यजित राय इसके अद्भुत मिसाल हैं। उन्हें गुज़रे 18 साल हो गए... आने वाली 2 मई से उनके जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत हो जाएगी। आज उन्हें याद करते हुए ये सोचने को हम बरबस मजबूर हो जाते हैं कि कम्प्यूटर ग्राफिक्स और एनिमेशन के इस आधुनिकतम दौर में क्या किसी फिल्मकार में इतना सब्र, इतनी गहरी दृष्टि, हर दृश्य और हर फ्रेम को पहले चित्रो

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