लखनऊ। भरतनाट्यम शैली के अलावा कथक और अन्य नृत्य शैलियों को मिलाकर कुछ नए प्रयोग करने वाली नृत्यांगना लक्ष्मी श्रीवास्तव एक बार फिर अपनी मशहूर नृत्य नाटिक ‘उषा परिणय’ का मंचन करने जा रही हैं। इसका आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से 13 जुलाई को होने जा रहा है। डॉ योगेश प्रवीण इसके रचना
देश भर के कुछ चुने हुए कलाकारों ने तीन दिनों की कार्यशाला में अपनी संस्कृति की बेहद दिलचस्प तस्वीर पेश की है। दिल्ली में के एंड के इंटरनेशनल होटल में आयोजित इस कार्यशाला को मौजूदा परिप्रेक्ष्य में गाय के आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देश में इन दिनों जिस तरह गाय का राजनीतिकरण हुआ और इसे पौराणिक संदर्भों से काटकर ओछी राजनीति का हिस्सा ब
♦ संजय आस्त्रिक क्या आपने पत्ताचित्र के बारे में सुना है। चित्रकारी और हस्तशिल्प की तमाम शैलियों और परंपराओं की एक अहम पहचान है यह कला। ओड़िसा की सबसे पुरानी और लोकप्रिय कला शैलियों में से एक पत्ताचित्र शैली की इस चित्रकारी में बेहद चटकीले रंगों का इस्तेमाल होता है और कई पौराणिक कथाएं और उसके पात्र इसमें आकार लेते हैं।
कोई सपने बुनता है। कोई सच बुनता है। तो कोई अपने समय को बुनता है। सदियों से इंसान बुन रहा है। काल, समाज और इतिहास के सैकड़ों सूत्र इस बुनने से जुड़े हुए हैं। अतीत का बुना हुए वर्तमान के लिए चादर हो जाता है। कबीर भी बुनते थे -झीनी-झीनी बीनी चदरिया। आपने कभी गौर से करघे पर किसी को बुनते हुए देखा है ? ताना औ
केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की पहल पर देश भर की प्रतिभाओं के डाटा बैंक बनाने के मकसद से अलग अलग क्षेत्रों में भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसी कड़ी में झारखंड के रायकेला में राजकीय छऊ कला केन्द्र में हाल ही में सांस्कृतिक प्रतिभा खोज कार्यक्रम हुआ। प्रद
संस्कृति मंत्रालय ने बनाई कल्चरल मैपिंग कमेटी नई दिल्ली संस्कृति मंत्रालय ने देश भर के कोने कोने में फैले कलाकारों की जानकारी इकट्ठा करने के साथ साथ लोक और आदिवासी कलाकारों का डाटाबैंक तैयार करने का काम तेज़ कर दिया है। इस काम के लिए मंत्रालय ने एक कमेटी बनाई है जो ब्लाक स्तर पर जाकर कलाकारों की जानकारी इकट्ठा करेगी। इसकी शुरूआत 17 और 18 जून को मथुरा के गोवर्धन से शुरू होगी।
नीलिमा डालमिया आधार की चर्चित किताब ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ अपनी किताबों के ज़रिये मौजूदा समाज की असलियत तलाशती नीलिमा डालमिया आधार की नई किताब ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ मौजूदा समाज में किसी के ‘महान’ बनने की प्रक्रिया और पुरुषवादी सोच का
एक कलाकार की दृष्टि और उसकी कल्पनाशक्ति का अंदाज़ा आप उसकी कलाकृतियों से लगा सकते हैं। उसके रंगों की एक भाषा होती है और जब उसकी कला मानवीय संवेदनाओं से जुड़ती है तो एक अलग ही दुनिया बनती है। अपनी कल्पनाओं को कैनवस पर उतार कर जिस तरह रंजीता कांत ने इस भीड़ में भी अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है, वह कम महिलाएं कर पाती हैं। रंजीत
पिछले पच्चीस सालों से रंगमंच को आम आदमी से जोड़ने और एक आंदोलन की शक्ल देने में लगा अस्मिता थिएटर ग्रुप आगामी 20 मई से 28 जुलाई तक समर थिएटर फेस्टिवल करने जा रहा है। इस दौरान अस्मिता के तमाम चर्चित नाटकों का मंचन दिल्ली के चार सभागारों में होगा। अस्मिता के नाटक मंडी हाउस के श्रीराम सेंटर, लोदी रोड के इंडिया हैबिटेट सेंटर, और गोल मा
‘अस्मिता’ ने पूरे किए 25 साल रंगमंच को आम जनता से जोड़ने और जनरोकारों से जुड़े मुद्दों को नुक्कड़ नाटकों के ज़रिये एक आंदोलन बना देने वाले अस्मिता थिएटर ग्रुप ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। इस लंबे सफर के दौरान कई तरह की चुनौतियों से रू ब रू होते हुए अपनी एक अलग पहचान बना च