भारत में ग्रैफिटी कला अब एक नए रूप में सामने आ रही है। ग्रैफिटी यानी दीवारों पर बनाए जाने वाले विशाल चित्रों की श्रृंखलाएं या किसी थीम पर की जाने वाली वॉल पेंटिंग। इसकी झलक आपको दिल्ली और दूसरे महानगरों में तो मिल ही जाएगी, लेकिन अब सरकारी विकास की तमाम इबारतों में अब ग्रैफिटी आर्ट का इस्तेमाल एक नई परंपरा की तरह देखने में आ रही है। नोएडा के तमाम अंडरपास हों, मेट्रो के तमा
कुंभ आपने पहले भी देखा होगा। इसके बारे में सुना होगा। तस्वीरों में और चैनलों पर देखा होगा। हर 12 साल में लगने वाले कुंभ की खासियत के बारे में जाना होगा। 2013 में पूर्ण कुंभ का नज़ारा भी देखा होगा और इस बार के अर्धकुंभ की शानदार झलक भी देख रहे होंगे। देश की संस्कृति का एक बेहतरीन आयाम देखने को मिलता है इस महाआयोजन में। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार और यहां तक कि क
वरिष्ठ पत्रकार श्रीचंद्र कुमार पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के कुछ तीर्थ और पर्यटन स्थलों पर गए। मुख्य रूप से उनका मकसद गंगा सागर जाना था और वो वहां गए भी। लेकिन वहां जाने से पहले उन्होंने कई और धार्मिक स्थलों को घुमक्कड़ी और पत्रकार वाले अंदाज़ में देखा। पहले वो बंगाल के बीरभूम जिले के मशहूर तीर्थ तारापीठ गए फिर कोलकाता के शक्तिपीठ यानी काली मंदि
नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में देखिए छगनलाल जाधव के दुर्लभ रेखाचित्र
अपने देश में गांधी जी पर बहुत काम हुआ है। गांधी को एक व्यक्ति से ज्यादा एक दर्शन माना जाता है और वही दर्शन हमारे कलाकारों से लेकर बुद्धिजीवियों तक को प्रेरणा देता रहा है। गां
अपने बिंदास अंदाज़ और बेहतरीन अदाकारी के लिए मशहूर कंगना रनौत की फिल्म ‘मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी ’ का सबको बेसब्री से इंतज़ार है। फिलहाल इस फिल्म के दो गीत रिलीज़ हो चुके हैं। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के किंगडम ऑफ़ ड्रीम्स में हुए एक भव्य और रंगारंग कार्यक्रम में फिल्
हमारे समय के हिंदी के सबसे कद्दावर और सबसे वरिष्ठ साहित्यकार नामवर सिंह अस्वस्थ हैं। कल उन्हें ब्रेनहेमरेज होने की खबर आई। किसी ने बताया कि उन्हें सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया है। फिर किसी ने बताया कि वह एम्स के ट्रामा सेंटर में भरती हैं। हिंदी के अखबारों में उनके अस्वस्थ होने की छोटी सी खबर आई। हिंदी
लखनऊ केवल पुस्तक मेलों का शहर नहीं हैं। यहाँ अनेक स्तरीय साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी होता है। रचनाकारों की गोष्ठियां और बैठकें भी होती रहतीं है जहाँ नए और पुराने साहित्यकर्मियों को साझा मंच भी उपलब्ध होता है।
13 जनवरी को ऐसी ही एक गोष्ठी लखनऊ से प्रकाशित छमाही पत्
बुद्धिस्ट सर्किट के तौर पर विकसित होने वाले तमाम पर्यटक स्थलों में सबसे अहम है लुम्बिनी। वही लुम्बिनी जहां गौतम बुद्ध पैदा हुए थे। वही लुम्बिनी जहां से बुद्ध को समझा जा सकता है। कुछ लोग बुद्ध को समझने बोध गया जाते हैं, कुछ सारनाथ, लेकिन जब आप लुम्बिनी आएंगे तो वहां बुद्ध को बचपन से जानने समझने का मौका भी पाएंगे और उनके आदर्शों को भी समझ पाएंगे। अजय पांडेय जब लु