अपने सौवें वर्ष में नेमिचन्द्र जैन को याद करने के कई कारण हैं - वे पिछली सदी के चैथे दशक में हिन्दी कविता के हरावल दस्ते के सदस्य थे, उन्होंने हिन्दी में उपन्यास की आलोचना को नयी सूक्ष्मता और मूल्यदृष्टि दी, कि वे आज तक उपन्यास के शिखर आलोचक हैं, उन्होंने हिन्दी नाटक को निरे अकाद
त्रिलोचन जी से अतुल सिन्हा की यह बातचीत सितंबर 1994 की है और इसे अमर उजाला ने छापा था। बाद में किताबघर ने त्रिलोचन के साक्षात्कारों को जुटाकर 'मेरे साक्षात्कार 'नाम की पुस्तक में भी इसे शामिल किया। 7 रंग परिवार त्रिलोचन जी के जन्मदिन पर उन्हें इसी साक्षात्कार के साथ याद कर रहा है।
अथाह ज्ञान का भंडार रहे त्रिलोचन ब
जाने माने पत्रकार और छायाकार प्रभात सिंह की पहल पर बरेली में ‘संवाद न्यूज़’ और ‘विंडरमेयर’ की तरफ से 18 अगस्त को वृतचित्र उत्सव मनाया जा रहा है। वृत्त चित्र यानी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के इस उत्सव में गांधी जी की 150वीं जयंती और जश्न-ए-आज़ादी पर केन्द्रित फिल्में दिखाई जाएंगी। ये फ़िल्में देश के स्वाधीनता आंदोलन के अलग-अलग पहलुओं का दस्तावेज़ हैं। इस दौरान 4 मिनट से लेकर 38 म
दो-तीन साल पहले जब फिरोज अहमद खान ने बॉलीवुड की बेहद चर्चित फिल्म मुगले आजम’ को रंगमच पर पेश किया तो न सिर्फ फिल्म प्रेमियों को के. आसिफ की उस बहुचर्चित फिल्म की याद फिर से आई बल्कि नाटक की दुनिया में भी उसे एक नए प्रयोग के रूप मे देखा गया। शायद उसी से प्रेरणा लेकर राजीव गोस्वामी ने पिछले हफ्ते जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के विशाल
क्या किसी कवि या लेखक को समझने के लिए उसकी कोई एक रचना कुंजी हो सकती है? ऐसी कुंजी जिसके माध्यम से हम उसके रचनालोक का प्रवेश- द्वार खोलें और पा लें कि उसके यहां क्या क्या है । इस प्रश्न का उत्तर हां भी है और नहीं भी। ये संभाव्यता और असंभाव्यता- दोनों
श्रीधराणी कला दीर्घा में चल रही सुनील यादव की कलाकृतियों की प्रदर्शनी इस सुखद विस्मय से भर देती हैं कि कैसे एक अपेक्षाकृत अत्यंत युवा कलाकार ने अपना एक विशिष्ट मुहावरा विकसित कर लिया है। कई बड़ी उम्र के कलाकार भी लंबे समय तक काम करने के बाद अपना मुहावरा विकसित नहीं कर पाते। ज्यादातर वे कई दिशाओं में भ
" हरित सप्ताह" पर बच्चों ने ली जल, धरा और पर्यावरण को बचाने की शपथ
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में बच्चों को बताया गया हरियाली का महत्व
गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प
गुवाहाटी के आरोहण ऑडिटोरियम में तबले की थाप और कथक के घुंघरुओं ने उस शाम समां बांध दिया जब प्रतिश्रुति फाउंडेशन ने अपने स्थापना दिवस के मौके पर संस्कृतिप्रेमियों को एक जगह इकट्ठा किया था। युवा तबलावादक ज़ुल्फ़िकार हुसैन ने जब तबले पर तीन ताल में अपनी उंगलियों का कमाल
बतौर रंग निर्देशक विनय शर्मा की पहचान राष्ट्रीय रही है। विनय लंबे अरसे से कोलकाता में रंगमंच पर सक्रिय हैं और श्यामानंद जालान ने उन्हें अपनी रंगसंस्था `पदातिक’ से जोड़ा। वे निर्देशन के अलावा लेखन और अभिनय में भी अपनी अच्छी पहचान बना चुके हैं। वे एक बेहतरीन अभिनेता हैं इसकी मिसाल दिल्ली के दर्शकों को