नहीं रहे गिरीश कर्नाड
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June 10, 2019

जाने माने रंगकर्मी और फिल्मकार गिरीश कर्नाड नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद आज सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। गिरीश कर्नाड अपने मशहूर नाटक 'तुगलक' और फिल्मों में अपने अहम किरदारों की वजह से खासे चर्चित रहे और कन्नड़ साहित्य में उनका जबरदस्त योगदान रहा है। कर्नाड कन्नड़ भाषा के सशक्त हस्ताक्षर होने के साथ ही नाटककार,  अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। उनके बेहतरीन का

इच्छा और अनिच्छा से परे का अध्यात्म
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May 30, 2019

रवींद्र त्रिपाठी

क्या धर्म या अध्यात्म इच्छा और अनिच्छा से परे हो सकता है? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या कोई ऐसा मंदिर हो सकता है जिसमें किसी ऐसे भक्त का प्रवेश वर्जित हो जिसमें कुछ इच्छा बची हो? वैसे भी सोचने वाली बात ये है कि कोई भक्त किसी मंदिर या भगवान के सामने तभी तो जाता है जब उसकी कोई मन्नत हो या वो भगवान से कुछ चाहता हो। न

भोजपुरी मिट्टी के रंग
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May 13, 2019

रवींद्र त्रिपाठी

कला में सार्वजनीयता होती है लेकिन साथ ही स्थानीयता भी होती है। पर स्थानीयता के भी कई रूप होते हैं। कुछ कलाकार स्थानीयता को लेकर ज्यादा सजग होते हैं। जैसे कि युवा और उदीयमान पेंटर रजनीश सिंह। रजनीश गोरखपुर

एक उत्तर- आधुनिक `सखाराम बाइंडर’
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May 7, 2019

रवीन्द्र त्रिपाठी

विजय तेंदुलकर का लिखा मराठी नाटक `सखाराम बाइंडर’ एक आधुनिक भारतीय क्लासिक का दर्जा हासिल कर चुका हैं और अन्य  भाषाओं के अलावा ये हिंदी में भी कई बार खेला जा चुका है। अलग अलग निर्देशकों ने इसे अपने अपने  तरीके से पेश किया है। इसी कड़ी में पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया हैबिटेट

क्या आपको पोस्टकार्ड की याद है?
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May 2, 2019

लखनऊ में लगने जा रही है पोस्टकार्ड की कला प्रदर्शनी

इंटरनेट और ईमेल के ज़माने में लोग भले ही चिट्ठी पत्री के परंपरागत जरिये को भूलते जा रहे हों, अंतरदेशीय और पोस्टकार्ड के नाम से वाकिफ न हों, लेकिन आज भी पोस्टकार्ड की कितनी अहमियत है, इसे कुछ कलाकार शिद्दत के साथ महसूस करते हैं। इस दिशा में लखनऊ का

‘सरयू से गंगा’ ने दिलाई ‘वोल्गा से गंगा तक’ की याद
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May 1, 2019

अपने ज़माने के मशहूर सांस्कृतिक हस्ताक्षर रहे जाने माने यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन के उपन्यास ‘वोल्गा से गंगा तक’ जिसने भी पढ़ा होगा, उसके लिए भारतीय इतिहास में ब्राह्मणवाद के तमाम ढकोसलों को समझना आसान है। राहुल जी ने यह उपन्यास 1943 में लिखा था। साहित्य अकादमी सभागार में 28 अप्रैल को मशहूर स्तंभकार और लेखक कमलाकांत त्रिपाठी की किताब ‘सरयू से गंगा

‘प्रथमा’ की कलाकारों ने कितना ‘स्तब्ध’ किया…
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April 29, 2019

  • रवीन्द्र त्रिपाठी

ललित कला अकादमी पिछले दिनों पांच महिला कलाकारों के बेहतरीन काम का गवाह बनी। इन पांचों कलाकारों ने अपनी सामूहिक प्रदर्शनी का नाम दिया था – ‘प्रथमा’। इन पांचों में एक मूर्तिशिल्पी हैं- निवेदिता मिश्रा, एक सेरामिक कलाकार हैं-मीनाक्षी राजेंद्र और तीन पेंटर हैं-माधुरी शर्मा, सोनी खन्ना और विम्मी इंद्रा। इन कलाकारों ने मिलकर

गजलों की भाषायी संस्कृति गंगा-जमुनी तहजीब से बनी – कृषक
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April 24, 2019

डी एम मिश्र के गजल संग्रह ‘वो पता ढूँढे हमारा’ का विमोचन

लखनऊ। ‘रेवान्त’ पत्रिका की ओर से कवि डी एम मिश्र के नये गजल संग्रह ‘वो पता ढूंढे हमारा’ का विमोचन 21 अप्रैल 2019 को लखनऊ के कैफ़ी आज़मी एकेडमी के सभागार में सम्पन्न हुआ। यह उनका चौथा गजल संग्रह है। जाने माने आलोचक डा जीवन सिंह, मशहूर कवि व गजलकार रामकुमार कृषक, कवि स्वप

बाल रंगमंच की अमिट हस्ताक्षर रेखा जैन
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April 22, 2019

संस्कृति और कला के क्षेत्र में खास दखल रखने वाले जाने माने पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी का मौजूदा दौर की पत्रकारिता में कला-संस्कृति को एक हद तक बचाए रखने में अहम भूमिका है। जनसत्ता समेत तमाम अखबारों में नियमित रूप से इस क्षेत्र में लिखते हुए रवीन्द्र त्रिपाठी ने इस यात्रा को बदस्तूर जारी रखा है। अखबार के साथ साथ खबरिया चैनलों में भी अपने

आखिर क्यों खेमे में बंटने को मजबूर होते हैं कलाकार
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April 11, 2019

हम लाख कहें कि कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों और पत्रकारों को सियासी खेमेबाज़ी से दूर रहना चाहिए लेकिन जब देश की बात आती है, लोकतंत्र बचाने की बात आती है और अपने देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को बचाने की बात आती है तो यह बुद्धिजीवी और कलाकार तबका भी खेमे में बंटा नज़र आता है। चाहे वह अवार्ड वापसी के दौरान का मामला हो, कुछ पत्रकारों-साहित्यकारों,

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