दिल्ली में आम तौर पर हर रोज़ और हर आर्ट गैलरी में आपको तमाम कला प्रदर्शनियां देखने को मिल जाएंगी। देश भर के कलाकारों के लिए अपनी प्रतिभा और कलाकृति को अभिव्यक्त करने और कला समीक्षकों की नज़र में खास पहचान बनाने के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या ऐसे महानगरों की खास अहमियत है। लेकिन आज हम जिस कलाकार की प्रदर्शनी का जिक्र करने जा रहे हैं, उनकी कला यात्रा अपने आप में खास है और
गाजियाबाद के साहित्यिक आयोजनों की कड़ी में इस बार की ईद बेहद रचनात्मक गुज़री। बारादरी में इस बार जो महफ़िल सजी उसमें पूरे अदब के साथ शेर-ओ-शायरी का नया जज़्बा दिखा। कुछ नए चेहरे आए तो कुछ बरसों और दशकों से सक्रिय कवि-शायर अपनी अभिव्यक्ति के नए आयाम के साथ नज़र आए। आलोक यात्री की ये रिपोर्ट इस आयोजन को बहुत गहराई से सामने लाती है।
पटना, 7 जुलाई। 11वां सावित्री त्रिपाठी स्मृति सम्मान सुप्रसिद्ध नाटककार राजेश कुमार को दिया जाएगा। सावित्री त्रिपाठी फाउन्डेशन के सचिव पीयूष त्रिपाठी ने यह घोषणा की है। उन्होंने बताया कि स्मृति सम्मान की निर्णायक समिति के सदस्यों प्रो. काशीनाथ सिंह, प्रो. बलराज पांडेय और प्रो. आशीष त्रिपाठी ने सर्वसम्मति से राजेश कुमार का चयन किया है।
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देश के विभाजन हुए 75 वर्ष हो रहे हैं । उस काल को देखने वाले अब बहुत कम ही लोग हमारे बीच हैं । लेकिन विभाजन ने दोनों देश के बीच जो दरार पैदा की थी, जो दर्द छेड़ा था, आज भी रह - रह कर टीस मारता रहता है । लोगों के जेहन से उतर नहीं पाया है । अस्मिता थिएटर ग्रुप ने 3 जुलाई को उस �
हर महीने कहानी, कविता और शायरी जैसे रचनात्मक साहित्य को एक नए आयाम के साथ सामने लाने का जो बेहतरीन काम गाजियाबाद में हो रहा है, वह शायद इस स्तर और इस शिद्दत के साथ कहीं और नहीं हो रहा है। देश भर में साहित्यिक आयोजन तो अक्सर होते रहते हैं, किसी लेखक, कवि या रचनाकार की स्मृति में या जन्मदिन पर या फिर किसी और आयोजन के तहत, लेकिन हर महीने दो आयोजन और उसमें इतनी �
जाने माने रंगकर्मी और रंगलीला के संस्थापक, पत्रकार और संस्कृतिकर्मी अनिल शुक्ल बेहद जीवट से भरे और रचनात्मक ऊर्जा से भरपूर साथी हैं। हबीब तनवीर से अपनी मुलाकात और अनुभवों को अनिल जी ने अपने फेसबुक वॉल पर साझा किया है.. ये पहली किस्त है और उनका संस्मरण आगे भी आएगा तो हम 7 रंग के पाठकों के लिए साझा करेंगे। अनिल जी से बगैर पूछे ये संस्मरण हम यहां छाप रहे हैं, ये ज�
(कौशल किशोर जाने माने कवि हैं, जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, संस्कृतिकर्मी, लेखक और पत्रकार हैं साथ ही निरंतर सक्रिय रहने वाले एक बेहद जीवंत शख्सियत हैं। कौशल जी रेवान्त पत्रिका के संपादक हैं और जन संदेश टाइम्स के साहित्य से जुड़े पेज पर �
हिंडाल्को के महाराणा प्रताप थे मजदूर नेता रामदेव सिंह
मज़दूरों के हक के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देने वाले और मुफलिसी के बावजूद अपने उसूलों से समझौता न करने वाले रामदेव सिंह की कहानी आज के दौर में मजदूरों के बिखरे संघर्ष और खत्म हो रहे ट्रेड यूनियन आंदोलन को देखते हुए नई पीढ़ी में प्रेरणा का संचार कर सकता है। ये आलेख 7 रंग को भेजा है अरुण तिवारी ने।
हिंडाल्को, रेनूकूट के मजदूर नेता रामदेव सिंह 14 वर्षों तक कंपनी �
मोहल्ले बंट रहे हैं मजहबों में, किसे बस्ती बसाने की पड़ी है
रामनिहाल गुंजन का निधन जन सांस्कृतिक आंदोलन के लिए बड़ा धक्का
जाने-माने मार्क्सवादी आलोचक और साहित्यकार रामनिहाल गुंजन का उनके निवास आरा (भोजपुर, बिहार) में 18 अप्रैल की रात निधन हो गया। उनकी उम्र 86 के आसपास थी। इस उम्र म�