अपनी कविता के माध्यम से प्रकृति की सुवास सब ओर बिखरने वाले कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी (जिला बागेश्वर, उत्तराखंड) में 20 मई, 1900 को हुआ था। जन्म के कुछ ही समय बाद मां का देहांत हो जाने से उन्होंने प्रकृति को ही अपनी मां के रूप में देखा और जाना। दादी की गोद में पले बालक का नाम गुसाई दत्त रखा गया; पर कुछ बड़े होने पर उन्होंने स्वयं अपना नाम सुमित्रानंदन रख लिया। सात वर्ष की अवस्था से
Read Moreएक बेहद जीवंत और उम्मीदों से भरे कवि-गीतकार कुंअर बेचैन का जाना आहत करने वाली ख़बर है... गाज़ियाबाद में अमर उजाला का संपादक रहते हुए मैं डॉ बेचैन के करीब आया... उनसे मुलाकातें हुईं.. उनकी जीवंतता का गवाह बना... शहर के तमाम अति वरिष्ठ और आदरणीय शख्सियतों को हमने अपने अखबार के जरिये सम्मानित करने का एक छोटा सा प्रयास किया। उनके अनुभवों को अखबार में विस्तार से छापा...उन्हीं में हमारे डॉक्टर
Read Moreआखिर राहुल सांकृत्यायन में ऐसा क्या है जो उन्हें बार बार पढ़ने और याद करने की ज़रूरत महसूस होती है? आखिर मौजूदा दौर में राहुल सांकृत्यायन क्यों ज़रूरी हैं? क्यों उनकी किताब 'वोल्गा से गंगा' का ज़िक्र हमेशा आता है और क्यों एक ब्राह्मण होने के बाद भी उन्होंने ब्राह्मणवाद और ढकोसलों का खुलकर विरोध किया? उनके तार्किक विश्लेषणों और समाज को देखने के उनके नज़रिये ने कैसे एक नए समाज की परि
Read Moreवो पाकीज़ा की साहिबजान थीं... वो साहिब बीवी और गुलाम की छोटी बहू थीं...वो बैजू की गौरी थीं.. दो बीघा ज़मीन की ठकुराइन थीं...परिणीता की ललिता थीं...और सबसे बड़ी उनकी पहचान थी ट्रेजेडी क्वीन की... लेकिन असल में वो महज़बीं बानो थीं...एक बेहतरीन शायरा...एक तड़पती हुई बेचैन अदाकारा...बहुत कुछ थीं मीना कुमारी। 31 मार्च को महज 38 साल की ज़िंदगी जीकर मीना ने दुनिया को अलविदा कह दिया...उनकी ज़िंदगी में कमाल
Read Moreसागर सरहदी का जाना एक ऐसे तरक्कीपसंद शख्स का जाना है जिसकी झोली में सिलसिला, कभी कभी और चांदनी भी है तो बाज़ार और चौसर भी... सागर सरहदी में यश चोपड़ा की ज़रूरतों के मुताबिक ढलने की कला भी है तो वक्त के साथ देश और समाज को बारीकी से देखने का अपना नज़रिया भी... सरहदी साहब बीमार चल रहे थे... 88 साल के हो चुके थे... लेकिन अब भी बेहद संज़ीदे तरीके से वक्त को देखते समझते थे। '7 रंग' के लिए सागर सरहदी को या
Read Moreमंगलेश डबराल ने कभी हार नहीं मानी। रचनाकर्म और अपनी जीवनशैली में पूरी ईमानदारी के साथ आखिरी वक्त तक डटे रहे। उनकी कविताएं उनके जीवन के इर्द गिर्द रही हैं जहां पहाड़ भी है और समतल ज़मीन भी, गांव का मुश्किल जीवन भी है और शहरों- महानगरों की आपाधापी भी। रिश्तों की बारीकियां भी हैं, बदलती हुई सामाजिक व्यवस्थाओं और सत्ता के अधिनायकवाद के चेहरे भी हैं। एक अकेलापन और कहीं कुछ छूट जाने का एह
Read Moreकपिला जी को कला के क्षेत्र में अद्भुत योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। राज्यसभा की वो पूर्व मनोनीत सदस्य रहीं। कपिला जी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सचिव थीं और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं। उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र और भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर और विद्वतापूर्ण पुस्तकें भी लिखी थीं। वह देश में भारतीय कला शास्त्र की आधिक
Read Moreसितंबर साल का नौंवा महीना है। भारत के लिए यह बदलाव और क्रांति की उम्मीदों का महीना है। मौसम यहीं से करवट लेता है। 28 सितंबर को भगत सिंह का जन्मदिन आता है। सन 1950 में इसी महीने की 9 तारीख को जालंधर के तलवंडी सलेम गांव में अवतार सिंह संधू का जन्म हुआ, जिस पर पंजाबी कविता पाश के नाम से गर्व करती है।
Read Moreजाने माने रंगकर्मी और अपने दौर के जबरदस्त नाटककार हबीब तनवीर पर बहुत कुछ लिखा जाता रहा है... उनके नाटकों पर, उनके व्यक्तित्व पर और कभी समझौता न करने वाले उनके मिजाज़ पर। उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि पर उन्हें रंगकर्मी अपने अपने तरीके से याद करते हैं... कोई उनके तमाम नाटकों की बात करता है, कोई उनके सामाजिक सरोकार को याद करता है तो कोई नाटकों के प्रति उनके समर्पण के बारे में बताता है। इप्
Read Moreवैसे तो सब इन्हें इनके मशहूर नाम 'गुलज़ार साहब' के नाम से जानते हैं पर इनका असली नाम है 'संपूरन सिंह कालरा'। हिंदी फिल्म जगत के महान गीतकार गुलज़ार साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इन्होंने हिंदी फिल्मों में सैकड़ों गीत लिखे हैं। इसके अलावा वे एक कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और मशहूर शायर हैं। इनकी रचनाएं खासतौर पर हिंदी, उर्दू और पंजाबी में हैं, लेकिन बृज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड
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