साधारण से असाधारण होने की कहानी हैं तीजन बाई…
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April 24, 2020

  • विनोद वर्मा

यूरोपीय धरती से निकले ओपेरा, बैले, सिम्फ़नी और फ़्लेमिंको विशुद्ध शास्त्रीय हैं. पर बेहद लोकप्रिय हैं. और इनमें से कुछ भी देख रहे हों तो दर्शक सहज रूप से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, अक्सर भावुक हो जाते हैं और आत्मविभोरता में रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ठीक

फिल्मकार सत्यजीत राय के भीतर का कलाकार…
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April 23, 2020

एक संवेदनशील चित्रकार कैसे एक बेहतरीन फिल्मकार बन सकता है, सत्यजित राय इसके अद्भुत मिसाल हैं। उन्हें गुज़रे 18 साल हो गए... आने वाली 2 मई से उनके जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत हो जाएगी। आज उन्हें याद करते हुए ये सोचने को हम बरबस मजबूर हो जाते हैं क

पूरब का खाना, ज़ायके का ख़ज़ाना…
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April 22, 2020

  • संजय श्रीवास्तव

कायस्थों का खाना-पीना (छठी कड़ी)

अब बात पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने वाले कायस्थों की बात करते है. जिनके खानों में बहुत समानता देखने को मिलती है. गंगा, यमुना और गोमती जैसी नदियों से उर्वर होने वाले इस इलाके में प्रचुर मात्रा में कृषि है. उपजने वाले तरह तरह की सब्जिया

कोरोना काल के बहाने शानी की याद…
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April 22, 2020

किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए इन दिनों का माहौल एक टीस पैदा करने वाला है... बीमारियां, महामारियां और कई तरह की त्रासदियां आती जाती रही हैं... लेकिन इस बार यहां नफ़रत का वायरस एक बेहद खतरनाक अंदाज़ में फैला है... इसकी कोशिश तो पिछले कई दशकों से चलती आ रही है, लेकिन कोरोना काल ने इसके लिए एक उर्वर ज़मीन पैदा कर दी है... मुख्य धारा का मीडिया बेशक अपने चाल,

लखनऊ का ज़ायका और टिकैत राय
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April 16, 2020

कायस्थों का खाना-पीना (पांचवी कड़ी)

-- संजय श्रीवास्तव

लखनऊ को नफ़ासत और तहज़ीब की नगरी कहा जाता है. अगर आप कई शहरों में जीवन गुजार चुके हों. उसमें एक शहर लखनऊ भी हो तो आपसे बेहतर उस शहर को कौन समझ सकता है. पुर

बनारस: शिव की नगरी में 56 विनायक…
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April 16, 2020

जब कोई संवेदनशील पत्रकार किसी शहर में जाता है तो वहां की संस्कृति, परंपराओं, धरोहरों और इतिहास को समझने की कोशिश ज़रूर करता है। सुधीर राघव ऐसे ही पत्रकार हैं। अमर उजाला में समाचार संपादक रहते हुए वह कई शहरों में रहे। सबसे कम वक्त बिताया बनारस यानी शिव की नगरी काशी में। लेकिन इन चंद महीनों में भी उन्होंने वहां के तमाम पहलुओं को तलाशा । बनार

कैसे-कैसे जिन्न बोतल के बाहर…
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April 15, 2020

आलोक यात्री की कलम से

देख तमाशा दुनिया का

आपने बोतल में जिन्न वाली कहानी सुनी है? होता यह है कि समंदर के किनारे घूम रहे एक बालक के हाथ एक बोतल लग जाती है। बोत

कोफ़्ते और कबाब के क्या कहने…
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April 13, 2020

कायस्थों का खाना-पीना (चौथी कड़ी)

--- संजय श्रीवास्तव

कहा जाता है कि जिन दिनों अंग्रेजों के जमाने में दिल्ली देश की राजधानी के तौर पर एक बड़ा शहर बन रहा था,तब राजस्थान के कुछ माथुर यहां आकर बसे. जिन्होंने का

रेणु ने पद्मश्री को लौटाते हुए कहा था – पापश्री
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April 11, 2020

1974 आंदोलन को बहुत करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने कालजयी रचनाकार फणीश्वर नाथ रेणु के साथ साथ उस दौर के तमाम साहित्यकारों को गहराई से महसूस किया है। अपने अनुभव और उस दौरान की स्थितियों के साथ मौजूदा हालात को बेबाकी से लिखने वाले जयशंकर गुप्त ने रेणु को उनकी पुण्यतिथि पर कुछ इस तरह याद किया। न्यूज़ पोर्टल न्यूज़ क्लिक में

आज जामिनी रॉय क्यों याद आते हैं…
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April 11, 2020

नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट में जामिनी रॉय के चित्रों का खास संग्रह आप देख सकते हैं।

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