देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।


गतिविधियां/ख़बरें
महाभारत की तीन सशक्त महिला किरदारों पर ‘स्त्री स्पंदन’
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October 16, 2024

महाभारत की तीन सशक्त महिला किरदारों ने जो किया क्यों किया, उनपर सवाल उठाने वालों को जवाब देने की रचनात्मक कोशिश... देश की शीर्ष नृ्यांगनाओं ने 'स्त्री संपंदन ' के ज़रिये नारी हृदय और उनके फैसलों के पीछे की कहानी को समझने और समझाने का किया जीवंत प्रयास  ... कथक गुरु शोवना नारायण, मोहिनीअट्टम की गोपिका वर्मा और ओडिसी की शैरोन लॉवेन का 'स्त्री स्पंदन'

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 वक्त कविता के हमलावर होने का है – कौशल किशोर
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October 10, 2024

जन सरोकार के कवि सरोज कुमार पाण्डेय के जन्मदिन पर देवरिया में जुटे साहित्यकार, कौशल किशोर से मिलिए कार्यक्रम में कविता पाठ और कविता पर सार्थक बातचीत 

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‘दिल्ली के साहित्यिक मठाधीश नई प्रतिभाओं का इस्तेमाल करते हैं’
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September 30, 2024

वरिष्ठ कहानीकार चंद्र किशोर जायसवाल को दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर में एक भव्य आयोजन के दौरान 2024 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान दिया गया है। वहीं इसी साल शुरु हुए श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान सुश्री रेनू यादव को उनके कहानी संग्रह ‘काला सोना’ के लिए दिया गया। इन लेखकों को ये सम्मान जाने माने आलोचक और वयोवृद्ध साहित्यकार प्रोफेसर विश्वनाथ त्रिपाठी ने दि�

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रचनाकार का काम रिझाना नहीं जागृत करना है : कमलेश भट्ट ‘कमल’ 
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September 30, 2024

 गाजियाबाद में 'कथा रंग' की ओर से आयोजित कथा संवाद में सुनी गई कहानियों पर विमर्श के दौरान सुप्रसिद्ध रचनाकार व कार्यक्रम अध्यक्ष योगेंद्र दत्त शर्मा ने कहा कि मशीनीकरण के इस दौर में संवेदना का क्षरण हो रहा है। इस क्षरण की वजह से समाज में संवेदनशीलता का लोप होता जा रहा है। साहित्य मनुष्य में संवेदना उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि यह सुखद स्थिति है कि एनसीआर में कहानी लिखने का एक ऐ

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कविता मुम्बई : अच्छी कविता से अच्छा कुछ नहीं
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September 28, 2024

मुंबई में पिछले दिनों आयोजित कविता मुंबई कार्यक्रम में तीन दिनों तक कविता के विभिन्न आयामों पर सार्थक चर्चा हुई और देश के अलग अलग हिस्सों से आए कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं। इस दौरान मुंबई विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों में कैंपस में कविता कार्यक्रम आयोजित हुए जिसमें बड़ी संख्या में युवा और उभरते हुए कवियों ने खुद को अभिव्यक्त किया।

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याद ए तश्ना कार्यक्रम में ‘तज़किरा’ त्रैमासिक पत्रिका का विमोचन
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September 23, 2024

जन संस्कृति मंच की ओर से मशहूर अवामी शायर तश्ना आलमी के सातवें स्मृति दिवस के मौके पर लखनऊ के इप्टा दफ़्तर में ‘याद ए तश्ना आलमी’ का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता डॉ नदीम हसनैन ने की। मुख्य अतिथि थीं प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा। इस मौके पर त्रैमासिक ई पत्रिका 'तज़किरा' जारी की गई। प्रोफ़ेसर रूप रेखा वर्मा ने मीर तक़ी मीर के “शे’र ख़शका खैंचा” और मजाज़ का मुस्लिम महिलाओं को संबोधित किय�

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‘कारवां-ए-हबीब सम्मान‘ नाटय-समीक्षक जयदेव तनेजा को
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September 1, 2024

जाने माने रंगकर्मी और नाटकों के शिल्प से लेकर कथ्य तक को बेहद समृद्ध करने वाले हबीब तनवीर की याद में हर साल दिए जाने वाले कारवां-ए-हबीब सम्मान इस साल मशहूर नाट्य समीक्षक और लेखक डॉ जयदेव तनेजा को दिया जाएगा। सत्तर और अस्सी के दशक से लेकर अबतक जयदेव तनेजा ने रंगकर्म के क्षेत्र में जबरदस्त काम किया है और उनके लेख और नाट्य समीक्षाएं जनसत्ता, नवभारत टाइम्स समेत देश के तमाम प्रतिष्ठित अ�

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वीरेन डंगवाल की याद: ‘इतने भले नहीं बन जाना साथी’
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August 9, 2024

लखनऊ में कवि वीरेन डंगवाल के 77वें जन्मदिन पर 5 अगस्त को उनकी याद में जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से गोष्ठी का आयोजन शायरा सईदा सायरा के निवास पर किया गया जिसकी अध्यक्षता कवि-आलोचक चन्द्रेश्वर ने की। संचालन किया कथाकार फरजाना महदी ने। इस मौके पर चंदेश्वर और कौशल किशोर ने वीरेन डंगवाल के कवि कर्म और सरोकारों पर अपनी बात रखी।

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रंगकर्मियों के खिलाफ तुग़लकी फ़रमान, जबरदस्त विरोध
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August 6, 2024

रंगकर्मियों और नाटक करने वाली संस्थाओं पर शिकंजा कसने की पहले भी कई बार कोशिशें हुईं लेकिन जबरदस्त विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। पिछले कुछ सालों से ये कोशिश नए नए रूपों में सामने आ रही है। दिल्ली में अब ज्यादातर फैसले उप राज्यपाल की ओर से लिए जा रहे हैं। हाल ही में ऐसा ही एक संस्कृतिविरोधी फैसला लिया गया है जिसे लेकर कलाकारों और रंग संस्थाओं में जबरदस्त आक्रोश है।

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आत्ममुग्धता लेखन में ठहराव उत्पन्न करती है : डॉ. कीर्ति काले 
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August 6, 2024

गाज़ियाबाद में साहित्य की महफिलों का अब लगातार रंग जमने लगा है। हर महीने कथा संवाद और महफ़िल-ए-बारादरी का जो सिलसिला शुरु हुआ है उसमें देश भर के नामचीन लेखक, कवि, शायर और गीतकार निरंतर शामिल हो रहे हैं। यह कोशिश पुरानी के साथ साथ नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने के साथ उनमें लिखने पढ़ने की आदत डालने, एक बेहतर सामाजिक दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक जरूरी और उल्ल�

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