देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।
'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्रित रज़ा फाउंडेशन की गोष्ठी पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई। इस बारे में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने क्या महसूस किया इसपर उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ इस अंदाज़ में लिखा।
Read Moreललित कला अकादमी की तमाम दीर्घाओं में देश के तमाम कलाकार अपने शानदार काम के साथ लगातार मौजूद हैं। यहीं पिछले दिनों जानी मानी कलाकार, क्यूरेटर और रंगों और शिल्पकारी की दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुकी मध्य प्रदेश की सुप्रिया अंबर ने इस बार एक नया प्रयोग किया। यह प्रयोग खासकर महिला चित्रकारों/कलाकारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।
Read Moreनई दिल्ली में 30 अक्टूबर की वह एक ऐसी शाम थी, जिसमें कोई औपचारिकता नहीं थी। कुछ कवि थे। कुछ कलाकार। कुछ प्रकाशक। कुछ शब्द प्रेमी। सब आपस में मिलने आए थे। बतियाने आए थे। सुख-दुख की बातें करने आए थे। अपने लिखे को सुनाने आए थे। दूसरों के लिखे को सुनने आए थे। वे अपना-अपना धैर्य साथ लेकर और ऊब छोड़कर आए थे।और फिर राजधानी के सिरी फोर्ट इलाके में एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के सभागार की व
Read Moreगाजियाबाद में एक बार फिर साहित्य की महफिल सजी। जुलाई के कथा संवाद की खास बात कथा सम्राट प्रेमचंद को याद करना और उनकी प्रासंगिकता के साथ आज के कथा आंदोलन को जोड़ना रही। इसी संदर्भ में रिंकल शर्मा की किताब 'प्रेमचंद मंच पर' का लोकार्पण हुआ और जाने माने लेखक, कवि, पत्रकार और समालोचक प्रियदर्शन ने कई अहम बातें कहीं।
Read Moreएक बेहतरीन और अद्भुत उर्जा से भरपूर कलाकार हैं अशोक भौमिक। प्यार से उन्हें लोग भौमिक दा कहते हैं। संघर्षों से तपे और बढ़े हैं। करीब चार दशकों से जन आंदोलनों से जुड़े रहे हैं। अब तो वो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के बेहद संवेदनशील, सूक्ष्म दृष्टि रखने वाले और कला की बारीकियों पर लगातार लिखने वाले अद्भुत शख्सियत हैं। भौमिक दा की ताजा एकल प्रदर्शनी 'मेड इन द शेड' दिल्ली के कला प्रेमियों का
Read More11वां सावित्री त्रिपाठी स्मृति सम्मान सुप्रसिद्ध नाटककार राजेश कुमार को दिया जाएगा। सावित्री त्रिपाठी फाउन्डेशन के सचिव पीयूष त्रिपाठी ने यह घोषणा की है। उन्होंने बताया कि स्मृति सम्मान की निर्णायक समिति के सदस्यों प्रो. काशीनाथ सिंह, प्रो. बलराज पांडेय और प्रो. आशीष त्रिपाठी ने सर्वसम्मति से राजेश कुमार का चयन किया है।
Read Moreअस्मिता थिएटर ग्रुप ने 3 जुलाई को उस स्मृति को दर्शकों के बीच रंगकर्म के माध्यम से याद दिलाने का सफल प्रयास किया । नाटक का नाम था ' पार्टीशन' । इसका मंचन हुआ था मंडी हाउस के त्रिवेणी सभागार में । विभाजन पर लिखी मंटो की कहानी को देखने के लिए जितने लोग अंदर बैठे थे, उतने ही बाहर खड़े थे । देखने के लिए दर्शकों का सैलाब टूटा पड़ा था ।
Read Moreहम जब भी लघु पत्रिकाओं पर विचार करते हैं तो वर्तमान में मीडिया और पत्रकारिता की भूमिका हमारे सामने होती है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि हमारे यहां पत्रकारिता का विकास राष्ट्रीय आंदोलन के साथ हुआ। उसके सामने देश को आजाद कराने का लक्ष्य था। साहित्यकारों ने पत्रकारिता को आगे बढ़ाने और उसे जनमाध्यम बनाने का काम किया।
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