देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।


गतिविधियां/ख़बरें
कथा भी, संवाद भी, रचनाकारों का स्तरीय मंच भी…
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June 27, 2022

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लघु पत्रिका आंदोलन: कुछ बातें
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May 14, 2022

हम जब भी लघु पत्रिकाओं पर विचार करते हैं तो वर्तमान में मीडिया और पत्रकारिता की भूमिका हमारे सामने होती है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि हमारे यहां पत्रकारिता का विकास राष्ट्रीय आंदोलन के साथ हुआ। उसके सामने देश को आजाद कराने का लक्ष्य था। साहित्यकारों ने पत्रकारिता को आगे बढ़ाने और उसे जनमाध्यम बनाने का काम किया।

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मोहल्ले बंट रहे हैं मजहबों में, किसे बस्ती बसाने की पड़ी है
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May 10, 2022

गाजियाबाद में धीरे धीरे महफ़िल-ए-बारादरी का रंग जमने लगा है। कुछ ही महीनों में तमाम शायरों के लिए इस मंच ने अपनी खास जगह बना ली है। अब इस बार यानी मई की महफ़िल-ए-बारादरी की बात करें तो इसमें आपसी प्रेम और सदभाव के साथ संवेदनाओं से भरी पंक्तियों के कई रंग बिखरे। ज्यादातर शायरों और कवियों ने प्रेम जैसे शाश्वत सत्य और इंसानियत को अपनी पंक्तियों में बेहद भावपूर्ण अंदाज़ में पिरोया।

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‘शिव, शक्ति और विश्वास’ पर निवेदिता मिश्रा के शिल्प
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March 22, 2022

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ज़रा सी है, फिर भी है ज़िंदगी
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March 22, 2022

पिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच  `न होने’ का काल है।  यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन  एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।

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इस मुश्किल दौर में भी कथा संवाद जैसे साहित्यिक आयोजन उम्मीद जगाते हैं
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December 20, 2021

‘बदलते वक्त के साथ कहानियों का संसार बदला है, उन्हें पढ़ने के तौर तरीके भी बदले हैं। अब वो दौर नहीं है कि कहानियां या उपन्यास सोने से पहले नींद की गोली की तरह इस्तेमाल किए जाते थे... दो चार पेज पढ़ा, नींद आ गई फिर किताब किनारे रख दी। अब इंटरनेट पर तमाम प्लेटफॉर्म्स हैं, सोशल मीडिया है, जहां आप जब चाहें, पढ़ सकते हैं। इसलिए लिखते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम लिख किसके लिए

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पंडित रविशंकर के दिल की बात, कुछ अनछुए किस्से
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December 12, 2021

सितार सम्राट पंडित रविशंकर से मिलना एक अनुभव था...  युवावस्था में खराब आदतों के शिकार और विदेश में रहकर बिगड़ चुके पंडित जी ने कैसे सुधरी अपनी आदतें, कैसे बने एक संवेदनशील और मानवीय इंसान.. उनके गुरु ने कैसे बनाया उन्हें इतना बेहतरीन सितारवादक... संगीत ने कैसे बदली पंडित जी की ज़िंदगी....अतुल सिन्हा के साथ पंडित रविंशकर का एक ऐसा इंटरव्यू जिसमें पंडित जी ने बताई अपने दिल की बहुत सी बाते

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रघुवीर सहाय, मंगलेश डबराल की याद में प्रतिरोध दिवस
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December 9, 2021

देश के सौ से ज्यादा लेखकों और रचनाकारों ने फासीवादी ताकतों के उभार और पत्रकारों को संसद में जाने से रोकने जैसे सवालों पर नौ दिसंबर को प्रतिरोध दिवस मनाने का फैसला किया है। हिंदी के जाने माने कवि पत्रकार रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की स्मृति में दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित होने वाले इस प्रतिरोध दिवस कार्यक्रम में ये प्रस्ताव पास किया जाएगा कि देश भर में रचनाकर्म और संस्कृतिकर

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एक बेहद संवेदनशील अफ़सानानिगार थे इंतज़ार हुसैन
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December 7, 2021

इंतज़ार हुसैन ने 1946 ने जब मेरठ से एमए किया, तबतक उन्होंने कुछ भी लिखना शुरु नहीं किया था, अलबत्ता राजेन्द्र सिंह बेदी, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुगताई, कृष्ण चंदर जैसे लेखकों को पढ़ते हुए बड़े हुए.. लेकिन जब विभाजन की हवा चली तो उनके तमाम दोस्त, साहित्यकार और बहुत से करीबी लाहौर जाने लगे.. इंतजार हुसैन आखिर क्यों पाकिस्तान गए और कैसे उनका बचपन बीता इस बारे में वो तमाम मौकों पर बताते रहे..

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यूनेस्को ने दिया श्रीनगर को रचनात्मक शहर का दर्ज़ा
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November 12, 2021

अपने देश में कला और संस्कृति के अलग अलग रूप हैं। हर शहर की अपनी संस्कृति, परंपरा, कला और पहचान होती है। और अगर उसे यूनेस्को अपनी सूची में शामिल कर ले तो जाहिर है उसकी अहमियत और बढ़ जाती है। यूनेस्को की ताजा सूची में अब श्रीनगर का नाम भी जुड़ गया है। देश के पांच शहर पहले से ही यूनेस्को की सूची में रचनात्मक शहर का दर्ज़ा पा चुके हैं। ये शहर हैं - मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, वाराणसी और जयपुर। अब

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