देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।


गतिविधियां/ख़बरें
इस मुश्किल दौर में भी कथा संवाद जैसे साहित्यिक आयोजन उम्मीद जगाते हैं
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December 20, 2021

‘बदलते वक्त के साथ कहानियों का संसार बदला है, उन्हें पढ़ने के तौर तरीके भी बदले हैं। अब वो दौर नहीं है कि कहानियां या उपन्यास सोने से पहले नींद की गोली की तरह इस्तेमाल किए जाते थे... दो चार पेज पढ़ा, नींद आ गई फिर किताब किनारे रख दी। अब इंटरनेट पर तमाम प्लेटफॉर्म्स हैं, सोशल मीडिया है, जहां आप जब चाहें, पढ़ सकते हैं। इसलिए लिखते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम लिख किसके लिए

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पंडित रविशंकर के दिल की बात, कुछ अनछुए किस्से
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December 12, 2021

सितार सम्राट पंडित रविशंकर से मिलना एक अनुभव था...  युवावस्था में खराब आदतों के शिकार और विदेश में रहकर बिगड़ चुके पंडित जी ने कैसे सुधरी अपनी आदतें, कैसे बने एक संवेदनशील और मानवीय इंसान.. उनके गुरु ने कैसे बनाया उन्हें इतना बेहतरीन सितारवादक... संगीत ने कैसे बदली पंडित जी की ज़िंदगी....अतुल सिन्हा के साथ पंडित रविंशकर का एक ऐसा इंटरव्यू जिसमें पंडित जी ने बताई अपने दिल की बहुत सी बाते

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रघुवीर सहाय, मंगलेश डबराल की याद में प्रतिरोध दिवस
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December 9, 2021

देश के सौ से ज्यादा लेखकों और रचनाकारों ने फासीवादी ताकतों के उभार और पत्रकारों को संसद में जाने से रोकने जैसे सवालों पर नौ दिसंबर को प्रतिरोध दिवस मनाने का फैसला किया है। हिंदी के जाने माने कवि पत्रकार रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की स्मृति में दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित होने वाले इस प्रतिरोध दिवस कार्यक्रम में ये प्रस्ताव पास किया जाएगा कि देश भर में रचनाकर्म और संस्कृतिकर

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एक बेहद संवेदनशील अफ़सानानिगार थे इंतज़ार हुसैन
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December 7, 2021

इंतज़ार हुसैन ने 1946 ने जब मेरठ से एमए किया, तबतक उन्होंने कुछ भी लिखना शुरु नहीं किया था, अलबत्ता राजेन्द्र सिंह बेदी, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुगताई, कृष्ण चंदर जैसे लेखकों को पढ़ते हुए बड़े हुए.. लेकिन जब विभाजन की हवा चली तो उनके तमाम दोस्त, साहित्यकार और बहुत से करीबी लाहौर जाने लगे.. इंतजार हुसैन आखिर क्यों पाकिस्तान गए और कैसे उनका बचपन बीता इस बारे में वो तमाम मौकों पर बताते रहे..

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यूनेस्को ने दिया श्रीनगर को रचनात्मक शहर का दर्ज़ा
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November 12, 2021

अपने देश में कला और संस्कृति के अलग अलग रूप हैं। हर शहर की अपनी संस्कृति, परंपरा, कला और पहचान होती है। और अगर उसे यूनेस्को अपनी सूची में शामिल कर ले तो जाहिर है उसकी अहमियत और बढ़ जाती है। यूनेस्को की ताजा सूची में अब श्रीनगर का नाम भी जुड़ गया है। देश के पांच शहर पहले से ही यूनेस्को की सूची में रचनात्मक शहर का दर्ज़ा पा चुके हैं। ये शहर हैं - मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, वाराणसी और जयपुर। अब

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नेपाली कला संस्कृति की झलक दिखी लखनऊ में
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November 12, 2021

कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारत और नेपाल के आदान प्रदान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कई आयाम हैं। लखनऊ में पिछले दिनों नेपाल के कई कलाकारों ने अपनी शिल्पकला और पेंटिंग के नमूने पेश किए। लखनऊ विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय ने नेपाल से आये कलाकारों के एक प्रतिनिधि मण्डल का कला महाविद्यालय में स्वागत किया और विद्यार्थियों के लिये उनके लाइव डिमॉन्स्ट्रेशन का कार्यक

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महफ़िल-ए-बारादरी में गीत ग़ज़लों की बयार 
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October 18, 2021

महफ़िल-ए-बारादरी की अध्यक्षता करते हुए मशहूर शायर मंगल नसीम ने कहा कि उन्होंने पूरी दुनिया के मंचों से शेर पढ़े, लेकिन इस बिरादरी में आकर ऐसा महसूस हो रहा है मानों घर वापसी हो गई है। हर शेर पर दाद बटोरते हुए उन्होंने फरमाया "मुझे वो गैर भी क्यूं कह रहे हैं, भला क्या ये भी अपनापन नहीं है। किसी के मन को भी दिखला सके जो, कहीं ऐसा कोई दर्पण नहीं है। मैं अपने दोस्तों के सदके लेकिन, मेरा कातिल क

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गीतकार डॉ धनंजय सिंह का ‘अमृत महोत्सव’
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October 11, 2021

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‘कहानी में बयान से भी अधिक भयावह है ज़िन्दगी’
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October 11, 2021

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जसम सम्मेलन: प्रतिरोध की संस्कृति को तेज़ हो
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October 5, 2021

जन संस्कृति मंच (जसम) उत्तर प्रदेश का आठवां राज्य सम्मेलन बांदा में 2 और 3 अक्टूबर को संपन्न हुआ। इसका उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति ने कहा कि रचनाशीलता के लिए कल्पनाशीलता बहुत जरूरी है लेकिन आज हालात यह है कि हकीकत कल्पना से आगे है। हम सोच नहीं सकते, वैसे हालात हैं। स्थितियां विकट है।

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