कला के कई रूप हैं। रंगों की अपनी भाषा है। रेखाएं बोलती हैं। कलाकृतियां कुछ कहती हैं। चित्रों के पीछे पूरा एक दर्शन छुपा होता है और रंगों के संयोजन के पीछे कहीं न कहीं कोई कल्पना होती है। देशभर में कलाकार तो भरे पड़े हैं, दिल्ली, मुंबई समेत तमाम बड़े शहरों में बनी आर्ट गैलरी किसी न किसी कलाकार के काम का एक बेहतरीन आईना भी हैं। लेकिन तमाम कलाकारों का दर्द है कि इस देश में कला की कद्र नहीं। तमाम अकादमियां हैं, आर्ट और स्कल्पचर के तमाम कॉलेज हैं, बड़ी संख्या में यहां ये हुनर सीखने वाले भी हैं लेकिन ऐसा क्या है जो कलाकारों के भीतर उपेक्षा का भाव भरता है। हमारा मकसद इन सवालों पर बहस के साथ साथ देश भर के उन कलाकारों को मंच देना है और उनके काम को एक बड़ा आयाम देना है जो महज गैलरी में सिमट कर रह जाते हैं और चंद पेंटिग्स के बिक जाने का इंतज़ार भर करते हैं। कला के क्षेत्र में नया क्या हो रहा है, नई पीढ़ी के कलाकार क्या कर रहे हैं और जाने माने कलाकारों के काम को दुनिया किस तरह देख रही है – ये सब हम बताने की कोशिश करेंगे।


कला
अंजुम के रंगों में जीवन की सहजता है
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March 8, 2022

कला की कई परिभाषाएं हैं। इनमें एक है कि कला आत्म का आविष्कार है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि एक कलाकार अपने व्यक्तित्व को अपनी कला के माध्यम से अर्जित करता है। निजी स्तर पर भी और सार्वजनिक स्तर पर भी। युवा कलाकार अंजुम खान की कला इसी की अभिव्यक्ति है। यह तो सत्य है कि कोरोना काल में कई कलाएं संकटग्रस्त हुई हैं और इसी कारण कलाकार भी।

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यूनेस्को ने दिया श्रीनगर को रचनात्मक शहर का दर्ज़ा
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November 12, 2021

अपने देश में कला और संस्कृति के अलग अलग रूप हैं। हर शहर की अपनी संस्कृति, परंपरा, कला और पहचान होती है। और अगर उसे यूनेस्को अपनी सूची में शामिल कर ले तो जाहिर है उसकी अहमियत और बढ़ जाती है। यूनेस्को की ताजा सूची में अब श्रीनगर का नाम भी जुड़ गया है। देश के पांच शहर पहले से ही यूनेस्को की सूची में रचनात्मक शहर का दर्ज़ा पा चुके हैं। ये शहर हैं - मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, वाराणसी और जयपुर। अब

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नेपाली कला संस्कृति की झलक दिखी लखनऊ में
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November 12, 2021

कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारत और नेपाल के आदान प्रदान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कई आयाम हैं। लखनऊ में पिछले दिनों नेपाल के कई कलाकारों ने अपनी शिल्पकला और पेंटिंग के नमूने पेश किए। लखनऊ विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय ने नेपाल से आये कलाकारों के एक प्रतिनिधि मण्डल का कला महाविद्यालय में स्वागत किया और विद्यार्थियों के लिये उनके लाइव डिमॉन्स्ट्रेशन का कार्यक�

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कलाकारों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया एनजीएमए
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January 2, 2021

नए साल की शुरुआत के साथ ही कलाकारों में एक नया जोश देखने को मिला है और वो करीब नौ महीनों के बाद खुलकर अपनी कला का प्रदर्शन करने एक जगह जमा हो रहे हैं। ये पहल की है दिल्ली की नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डर्न आर्ट्स (एनजीएमए) ने। 2020 की तमाम बंदिशों के बाद एनजीएमए ने नए साल के पहले शनिवार और रविवार से हर हफ्ते कलाकारों के लिए ये बेहतरीन और उत्साह बढ़ाने वाला सिलसिला शुरु किया है। पहले दिन इसके मुख्य

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एक नन्हीं बच्ची पलक की चित्रकारी देखिए..
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August 12, 2020

पलक प्रकाश महज़ 12-13 साल की है। पिछले कई सालों से पेंसिल, आर्ट पेपर, कलर पेंसिल और तरह तरह के रंगों से खेलती है। मुंबई में रहती है। जब एकदम छोटी सी थी तब भी रेखाएं और रंग उसके लिए अपनी अभिव्यक्ति के सबसे कारगर माध्यम थे। धीरे धीरे उसने खुद को कला के क्षेत्र में केन्द्रित किया। रोज़ कुछ न कुछ बनाने लगी। कोई ट्रेनिंग नहीं ली, कहीं से कुछ सीखा नहीं। कल्पनाओं की उसकी अपनी दुनिया है और हमेशा ह�

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आसान नहीं है कविता पोस्टर की कला…
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June 22, 2020

पिछले तीस पैंतीस बरसो से हिंदी भाषी इलाके में कविता को लेकर एक नई तरह की उत्सुकता पैदा हुई है।  कविता  पोस्टरों के रूप में। कई ऐसे कविता प्रेमी सामने आए हैं जो कविताओं या काव्य पंक्तियों के पोस्टर बनाते हैं। कुछ इनकी प्रदर्शनियां भी लगाते हैं। कुछ, बल्कि ज्यादातर, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पोस्टरों को प्रचारित करते हैं। इस सिलसिले मे जिन लोगों के नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है�

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प्रयाग शुक्ल के रेखांकन की भाषा
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May 25, 2020

इस कोरोना काल में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर तालाबंदी (लॉकडाउन) हुई है। लेकिन दूसरे स्तर पर तालाखुलंदी भी हुई है। ये कला और साहित्य  के स्तर पर हुआ है। कलाकार और साहित्यकार का मन किसी भी स्थिति में, तालाबंदी में भी, कैद नहीं रह सकता है और एकांत में भी अच्छी कलाकृतियां रची जा सकती हैं। ऐसा पहले भी हुआ है और इस कोरोना काल में भी हो रहा है।

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चलिए, सत्यजीत रे की फिल्में देखें…
7 Rang
May 2, 2020

सत्यजीत रे की फिल्में देखते हुए आपको अपने आसपास की जन्दगी, सामाजिक सच्चाइयों और उनकी गहरी कला दृष्टि का एहसास होता है। आज के दौर के फिल्मकारों को उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है... जन्मशती वर्ष पर रे को नमन...

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नाम और दाम से बेपरवाह ‘आनन्द’
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May 2, 2020

एक ज़माने में सक्रिय पत्रकारिता में रहीं डॉ तृप्ति की कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में गहरी पकड़ रही है। तमाम सामाजिक सवालों के साथ ही तमाम मनोवैज्ञानिक मसलों पर अपनी अहम् राय रखने वालीं डॉ तृप्ति ने इस आलेख के ज़रिये कला के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले ब्रजमोहन आनंद की कला यात्रा पर बारीक नज़र डाली है।

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फिल्मकार सत्यजीत राय के भीतर का कलाकार…
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April 23, 2020

एक संवेदनशील चित्रकार कैसे एक बेहतरीन फिल्मकार बन सकता है, सत्यजित राय इसके अद्भुत मिसाल हैं। उन्हें गुज़रे 18 साल हो गए... आने वाली 2 मई से उनके जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत हो जाएगी। आज उन्हें याद करते हुए ये सोचने को हम बरबस मजबूर हो जाते हैं कि कम्प्यूटर ग्राफिक्स और एनिमेशन के इस आधुनिकतम दौर में क्या किसी फिल्मकार में इतना सब्र, इतनी गहरी दृष्टि, हर दृश्य और हर फ्रेम को पहले चित्रो�

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