लघु पत्रिका आंदोलन: कुछ बातें
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May 14, 2022

(कौशल किशोर जाने माने कवि हैं, जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, संस्कृतिकर्मी, लेखक और पत्रकार हैं साथ ही निरंतर सक्रिय रहने वाले एक बेहद जीवंत शख्सियत हैं। कौशल जी रेवान्त पत्रिका के संपादक हैं और जन संदेश टाइम्स के साहित्य से जुड़े पेज पर

हिंडाल्को के महाराणा प्रताप थे मजदूर नेता रामदेव सिंह
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May 10, 2022

मज़दूरों के हक के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देने वाले और मुफलिसी के बावजूद अपने उसूलों से समझौता न करने वाले रामदेव सिंह की कहानी आज के दौर में मजदूरों के बिखरे संघर्ष और खत्म हो रहे ट्रेड यूनियन आंदोलन को देखते हुए नई पीढ़ी में प्रेरणा का संचार कर सकता है। ये आलेख 7 रंग को भेजा है अरुण तिवारी ने। हिंडाल्को, रेनूकूट के मजदूर नेता रामदेव सिंह 14 वर्षों तक कंपनी

मोहल्ले बंट रहे हैं मजहबों में, किसे बस्ती बसाने की पड़ी है
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May 10, 2022

महफ़िल ए बारादरी में पंकज प्रसून ने चलाए हास्य व्यंग्य के तीखे बाण 
दोहों के जरिए राजेश श्रीवास्तव ने हकीकत बयान की दुनिया की
             
आखिर अलविदा कह गए राम निहाल गुंजन भी
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April 19, 2022

रामनिहाल गुंजन का निधन जन सांस्कृतिक आंदोलन के लिए बड़ा धक्का 
जाने-माने मार्क्सवादी आलोचक और साहित्यकार रामनिहाल गुंजन का उनके निवास आरा (भोजपुर, बिहार) में 18 अप्रैल की रात निधन हो गया। उनकी उम्र 86 के आसपास थी। इस उम्र म

हमारा विरूपित हो चुका समय
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April 4, 2022

रवीन्द्र त्रिपाठी अक्सर ये देखा गया है कि जो सत्ताएं मंगलकारी राज्य के नारे और घोषणाओं के साथ आती है वो एक ऐसे दु:स्वप्न  या आतंककारी सत्ता में बदल जाती हैं जिसमें नागरिक सामान्य अधिकारों का  हनन होता है। ये

‘शिव, शक्ति और विश्वास’ पर निवेदिता मिश्रा के शिल्प
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March 22, 2022

  अपने पिता की विरासत और उनकी कला दृष्टि को एक ऊंचाई तक पहुंचाने की बरसों से कोशिश में लगी निवेदिता मिश्रा के लिए इस बार का महिला दिवस बेहद खास रहा। दिल्ली के त्रिवेणी आर्ट गैलरी में 8 मार्च से 23 मार्च तक आप हर तरफ निवेदिता मिश्रा के बेहतरीन स्कल्पचर और मूर्तिकला को देख और महसूस कर सकते हैं। निवेदिता की इस प्रदर्शनी का नाम है ‘नित्य’। ओडिसा के बोलंगीर से ताल्लुक रखने वाली निवेदिता

ज़रा सी है, फिर भी है ज़िंदगी
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March 22, 2022

'...पिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच  `न होने’ का काल है।  यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन  एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।...' Read More

अंजुम के रंगों में जीवन की सहजता है
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March 8, 2022

ला की कई परिभाषाएं हैं। इनमें एक है कि कला आत्म का आविष्कार है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि एक कलाकार अपने व्यक्तित्व को अपनी कला के माध्यम से अर्जित करता है। निजी

अजहर आलम की याद
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March 5, 2022

कोरोना के कारण भारतीय और हिंदी रंगमंच को जो क्षति हुई है उसकी गिनती की जाए तो उसमें एक बड़ा नाम एस एम अज़हर आलम (जन्म 17 अप्रेल 1968) का होगा। लगभग एक साल पहले यानी 20 अप्रेल 2021 को वे कोरोना के शिकार हुए थे। उसके कुछ ही दिन  पहले उनको मौलिक नाट्य लेखन के लिए नेमीचंद्र जैन नाट्यलेखन सम्मान मिला था। पर ये सम्मान अज़हर आलम का महत्त्वपूर्ण पर छोटा परिचय ही था। Read More

अपनी परंपराओं की बदौलत ही युद्ध में डटा है यूक्रेन
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March 2, 2022

(जाने माने पत्रकार, लेखक, कवि, अनुवादक और विदेश मामलों के जानकार त्रिनेत्र जोशी ने बीमारी के बावजूद ये लेख 7 रंग के लिए लिखा है। रूस, चीन, यूक्रेन समेत पुराने सोवियत संघ की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हालातों को गंभीरता से पढ़ने, विश्लेषण करने के अलावा इन देशों के साहित्य और संस्कृति को भी वे गहराई से समझते हैं। त्रिनेत्र जी  7 रंग के पाठकों के लिए अपनी टिप

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