‘कोरोना से जंग कौन लड़ रिया…’
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May 4, 2020

देख तमाशा दुनिया का

आलोक यात्री की कलम से

  "लो जी कल लो बात...?" यह बात करने का कोई न्यौता था या वह सज्जन मुझे कुछ बताना चाह रहे थे? लहजा ही बड़ा अटपटा था- "लो जी.

चलिए, सत्यजीत रे की फिल्में देखें…
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May 2, 2020

सत्यजीत रे और उनकी फ़िल्मों के प्रशंसकों के लिए एक ख़ास ख़बर है. रे के जन्म शताब्दी वर्ष के मौक़े पर फ़िल्म्स डिविज़न 2 मई से ‘मास्टरस्ट्रोक्स’ के नाम से ऑनलाइन फ़िल्म फ़ेस्टिवल आयोजित कर रहा है. यह फ़ेस्टिवल 6 मई तक चलेगा.  इस दौरान आप फ़िल्म्स डिविज़न की वेब

नाम और दाम से बेपरवाह ‘आनन्द’
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May 2, 2020

 

एक ज़माने में सक्रिय पत्रकारिता में रहीं डॉ तृप्ति की कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में गहरी पकड़ रही है। तमाम सामाजिक सवालों के साथ ही तमाम मनोवैज्ञानिक मसलों पर अपनी अहम्

बच्चों को ऑनलाइन कथक सिखातीं शोवना नारायण
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May 1, 2020

मशहूर कथक नृत्यांगना पद्मश्री शोवना नारायण ने लॉकडाउन के दौरान कथक को कई नए आयाम देने और ज्यादा से ज्यादा बच्चों और युवाओं तक कथक को पहुंचाने का अभियान चलाया है। सूरज की पहली किरण के साथ उनके पैर थिरकने लगते हैं और देर रात तक डिजिटल क्लास के

ऋृषि कपूर और इरफ़ान: विरासत और संघर्ष की दास्तान
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April 30, 2020

मोहब्बत और इंसानियत को सबसे बड़ा मज़हब मानते रहे ऋषि कपूर

बॉलीवुड ही नहीं पूरा देश सदमे में है। आखिर ये क्या हो रहा है। इरफ़ान के जाने का ग़म और अब बेहद ज़िंदादिल ऋषि कपूर के ऐसे चले जाने का सदमा। एक ऐसे कलाकार जिसकी सूरत में एक मुस्क

सामाजिक चेतना से लैस एक अभिनेता का जाना
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April 29, 2020

  • अतुल सिन्हा

इरफान खान का जाना एक सदमे की तरह है। महज 53 साल की उम्र में इस कलाकार ने अपने संघर्षों और खास अंदाज़ की वजह से अपनी जगह बनाई। बॉलीवुड के साथ साथ करोड़ों दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी। बिंदास अंदाज़ में ज़िंदगी को लेने वाले और बेहद संवेदन

जी हां, ‘वध काल’ में मैं सिर्फ मौत बेचता हूं…
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April 25, 2020

देख तमाशा दुनिया का...

आलोक यात्री की कलम से

बहुत दिनों से प्रिंट मीडिया का चेहरा सलीके से नहीं देखा था। दिन निकलते ही खबरिया चैनल अपने पिटे पिटाये अंदाज़

‘थिएटर की अपनी स्वतंत्र भाषा होती है’
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April 24, 2020

उषा गांगुली का गुज़र जाना रंगमंच के लिए आखिर क्यों इतना बड़ा शून्य पैदा करता है.. दरअसल उषा जी उन सुलझी हुई रंगकर्मियों में रही थीं जिन्होंने रंगकर्म को सामयिक संदर्भों में जोड़ने के साथ ही समाज और सियासत को भी बेहद बारीकी से देखा, समझा। दिसंबर 2018 में नव

फिल्म ‘रेनकोट’ की पटकथा लिखी थीं उषा गांगुली ने
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April 24, 2020

-- जय नारायण प्रसाद

जय नारायण प्रसाद जाने माने पत्रकार रहे हैं, रंगमंच और कला-संस्कृति में उनकी खासी दिलचस्पी रही है। जनसत्ता से रिटायर होने के बाद वो लगातार कला-संस्कृति पर संवतंत्र लेखन कर रहे हैं। उषा गांगुली के साथ जय नारायण प्रसाद की कई मुलाकातें हैं। फिलहाल उषा जी की याद में उनका लिखा ये आलेख

पश्चिम बंगाल में हिन्दी रंगमंच को स्थापित करने वाली और अपने रंगकर्म से देश और दुनिया में खास मुकाम बनाने वाली उषा गांगुली अब नहीं रहीं। उनका जाना तमाम संस्कृतिकर्मियों और रंगमंच से जुड़े लोगों के भीतर एक गहरा सूनापन छोड़ गया है। सोशल मीडिया और खासकर फेसबुक पर उषा जी को करीब से जानने वाले, उनके रंगकर्म को समझने वालों ने अपने अपने तरीके से लि

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