जाने माने कवि ज्ञानेंद्रपति को नागार्जुन सम्मान
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June 23, 2021

जाने माने कवि ज्ञानेंद्रपति को इस बार का नागार्जुन सम्मान दिया जा रहा है। इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी मशहूर कवि और निर्णायक मंडल के सदस्य मदन कश्यप न

सकारात्मक सोच के लिए बहुत कारगर है म्युज़िक थेरेपी
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June 2, 2021

बनारस घराने के कई जाने माने कलाकारों ने संगीत से मुश्किल से मुश्किल बीमारियों के इलाज और इसके असर को लेकर कई अहम बातें कही हैं। इन कलाकारों में उस्ताद बिस्मिल्ला खां की दत्तक पुत्री जानी मानी लोक और शास्त्रीय गायिका पद्मश्री डॉ सोमा घोष और तृप्ति शाक्य के अलावा मशहूर सितारवादक पंडित देवव्रत मिश्र और वायलिनवादक सुखदेव प्रसाद मिश्र, फिल्मकार शुभेन्दु

एक हिमनद बिछड़ गया…
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May 21, 2021

सुंदरलाल बहुगुणा के देह त्यागने के साथ ही आज जैसे एक हिमयुग का अंत हो गया. लेकिन वास्तव में देह तो उन्होंने दशकों पहले तब ही त्याग दी थी जब हिमालय और नदियों की अक्षुण्णता बनाए रखने और बांधों से उन

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की याद
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May 20, 2021

अपनी कविता के माध्यम से प्रकृति की सुवास सब ओर बिखरने वाले  कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी (जिला बागेश्वर, उत्तराखंड) में 20 मई, 1900 को हुआ था। जन्म के कुछ ही समय बाद मां का देहांत हो जाने से उन्होंने प्रकृति को ही अपनी मां के रूप में देखा और जाना। दादी की गोद में पले बालक का नाम गुसाई दत

नुक्कड़ कविता आंदोलन के अहम किरदार थे डॉ राजहंस
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May 8, 2021

(डॉ रवीन्द्र राजहंस बेशक प्रोफेसर रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव हों, अंग्रेज़ी साहित्य के उम्दा प्रोफेसर हों, अमेरिकी आलोचना में शिकागो स्कूल ऑफ क्रिटिसिज्म जैसे जटिल विषय पर पीएचडी किया हो, लेकिन हिन्दी व्यंग्य लेखन और कविता में जो उनकी पहचान रही, समाज और सत्ता की विद्रूपता को देखने की जो उनकी दृष्टि रही, वह उन्हें सबसे अलग करती है। ज़िंदगी के शुरुआती द

चला गया शब्दों का चित्रकार…
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April 29, 2021

(एक बेहद जीवंत और उम्मीदों से भरे कवि-गीतकार कुंअर बेचैन का जाना आहत करने वाली ख़बर है... गाज़ियाबाद में अमर उजाला का संपादक रहते हुए मैं डॉ  बेचैन के करीब आया... उनसे मुलाक

जो धर्म भाई को बेगाना बनाता है, ऐसे धर्म को धिक्कार!
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April 9, 2021

आखिर राहुल सांकृत्यायन में ऐसा क्या है जो उन्हें बार बार पढ़ने और याद करने की ज़रूरत महसूस होती है? आखिर मौजूदा दौर में राहुल सांकृत्यायन क्यों ज़रूरी हैं? क्यों उनकी किताब 'वोल्गा से गंगा' का ज़िक्र हमेशा आता है और क्यों एक ब्राह्मण होने के बाद भी उन्होंने ब्राह्मणवाद और ढकोसलों का खुलकर विरोध किया? उनके तार्किक विश्लेषणों और समाज को देखने के उनके नज़रिये ने कैसे ए

साहिबजान :  दर्द की अंतहीन दास्तान…
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March 31, 2021

वो पाकीज़ा की साहिबजान थीं... वो साहिब बीवी और गुलाम की छोटी बहू थीं...वो बैजू की गौरी थीं.. दो बीघा ज़मीन की ठकुराइन थीं...परिणीता की ललिता थीं...और सबसे बड़ी उनकी पहचान थी ट्रेजेडी क्वीन की... लेकिन असल में वो महज़बीं बानो थीं...एक बेहतरीन शायरा...एक तड़पती हुई बेचैन अदाकारा...बह

दुनिया की सरहद के पार… सागर सरहदी का संसार
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March 22, 2021

सागर सरहदी का जाना एक ऐसे तरक्कीपसंद शख्स का जाना है जिसकी झोली में सिलसिला, कभी कभी और चांदनी भी है तो बाज़ार और चौसर भी...  सागर सरहदी में यश चोपड़ा की ज़रूरतों के मुताबिक ढलने की कला भी है तो वक्त के साथ देश और समाज को बारीकी से देखने का अपना नज़रिया भी... सरहदी साहब बीमार चल रहे थे... 88 साल के हो चुके थे... लेकिन अब भी बेहद संज़ीदे तरीके से वक्त को देखते समझते थे। '7 रंग' के लिए सा

‘महफ़िल-ए-बारादरी’: नारी की पीड़ा को मिली आवाज़
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March 15, 2021

चंद लम्हात भी सदियों की सिफ़त रखते हैं, वक़्त के टुकड़े का वाज़िब है कहानी होना : गुलशन
किसी को देखूं मगर मुझको तू नज़र आए, अब अपने नूर से

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