देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।
गुलज़ार साहब की नज़्में हों या उनकी कविताई का अंदाज़, उनकी ज़िंदगी के फ़लसफ़े हों या साहित्यिक शख्सियतों से उनकी मुलाकातों के किस्से... आप सुनेंगे तो सुनते रह जाएंगे... अमृता प्रीतम की सौंवी सालगिरह मनाते हुए उन्हें चाहने वाले बेशक अमृता जी को अपने अपने तरीके से याद कर रहे हैं, लेकिन ज़रा गुलज़ार साहब और अमृता जी की मुलाकात के ये किस्से भी पढ़िए...
Read Moreनटरंग प्रतिष्ठान इफ़को, रंग विदूषक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, इप्टा, अभिनव रंगमंडल आदि अनेक संस्थाओं के सहयोग से नेमि शती पर अनेक आयोजन दिल्ली और कई शहरों में कर रहा है। ये आयोजन अनूठे ढंग से नेमि जी के योगदान पर एकाग्र न होकर उनके कुछ बुनियादी सरोकारों जैसे विचार, कविता, उपन्यास, रंगमंच, संस्कृति की वर्तमान स्थिति पर केन्द्रित हैं। शुभारम्भ हुआ तीन दिनों के उत्सव से जो 16-18 अगस्त 2019 क
Read Moreकिसी बड़े रचनाकार की जन्मशती के मौके पर ये सवाल उठ सकता है कि उसे किस रूप में याद रखा जाए? खासकर अगर वह कई विधाओं में सक्रिय रहा हो तो। नेमिचंद्र जैन (जन्म 1919) की जन्म शती के मौके पर भी उनकी तमाम विधाओं के साथ उन्हें याद करते हुए उनके व्यक्तित्व का एक समग्र खाका खींचने की कोशिश हो रही है।
Read Moreजाने माने पत्रकार और छायाकार प्रभात सिंह की पहल पर बरेली में ‘संवाद न्यूज़’ और ‘विंडरमेयर’ की तरफ से 18 अगस्त को वृतचित्र उत्सव मनाया जा रहा है। वृत्त चित्र यानी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के इस उत्सव में गांधी जी की 150वीं जयंती और जश्न-ए-आज़ादी पर केन्द्रित फिल्में दिखाई जाएंगी। ये फ़िल्में देश के स्वाधीनता आंदोलन के अलग-अलग पहलुओं का दस्तावेज़ हैं। इस दौरान 4 मिनट से लेकर 38 मिनट तक की न
Read Moreगुवाहाटी के आरोहण ऑडिटोरियम में तबले की थाप और कथक के घुंघरुओं ने उस शाम समां बांध दिया जब प्रतिश्रुति फाउंडेशन ने अपने स्थापना दिवस के मौके पर संस्कृतिप्रेमियों को एक जगह इकट्ठा किया था। युवा तबलावादक ज़ुल्फ़िकार हुसैन ने जब तबले पर तीन ताल में अपनी उंगलियों का कमाल दिखाया तो सुनने वाले वाह-वाह कह उठे। ज़ुल्फ़िकार लखनऊ घराने के मशहूर तबलावादक उस्ताद अफ़ाक हुसैन खां के शिष्य है
Read Moreसाहित्य देश और समाज की तस्वीर हमारे सामने लाने का शाश्वत जरिया है। कलमकार के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश में पनप रही विद्रूपताओं और विसंगतियों को देखें, समझें और इस बात का आकलन करें कि इनके निस्तारण में एक कलमकार भूमिका कैसे निभाए। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के "कथा संवाद" को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अशोक मैत्रेय ने उक्त उद्गार प्रकट किए। डॉ. मैत्रेय ने कहा
Read Moreदुनियाभर में मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इफको आंवला टाउनशिप स्थित कम्यूनिटी सेन्टर में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और इफको के वरिष्ठ अधिकारियों ने योगासन किया। आंवला इकाई के वरिष्ठ महाप्रबन्धक राकेश पुरी ने द्वीप प्रज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवसय का शुभारंभ किया । इस अवसर पर श्री राकेश पुरी ने कहा कि योग, तनाव से निपटने का सबसे अच्छा मार्ग है।
Read Moreइस बार न तो अमोल पालेकर थे और न ही चुनावी मौसम का आतंक। न कोई विवाद और न ही कोई रोक टोक। जाने माने कलाकार प्रभाकर बर्वे के कामकाज को मुंबई के बाद अब दिल्ली में लोग नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट की कला दीर्घा में 28 जुलाई तक आराम से देख सकते हैं। इसी साल फरवरी में मुंबई में आयोजित इस प्रदर्शनी की चर्चा कम और अमोल पालेकर को बोलने से रोकने की चर्चा ज्यादा हुई थी। हालत ये हुई कि प्रभाकर बर्वे के
Read Moreक्या आपने बावनबूटी साड़ियों के बारे में सुना है? क्या आपको उपेन्द्र महारथी के बारे में पता है? क्या आपको पता है कि किस कलाकार ने गांधी जी के साथ साथ गौतम बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश को अपने तमाम कला रूपों में कैसे कैसे उतारा या कलिंग की संस्कृति के साथ बंगाल के पुनर्जागरण आंदोलन के नायकों की कथाओं को रंगों और शिल्प की बेहतरीन दुनिया में कैसे आकार दिया? दरअसल हम बात कर रहे हैं उपे
Read Moreसिद्ध रंगकर्मी, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता गिरीश कर्नाड की स्मृति में ‘स्मरण गिरीश कर्नाड’ कार्यक्रम का आयोजन 11 जून को इप्टा कार्यालय, लखनऊ में किया गया जिसमें शहर के लेखकों, कलाकारों और बु़द्धिजीवियों ने उन्हें याद किया, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये तथा कहा कि वे हमारे समय के सांस्कृतिक प्रतिरोध के प्रतीक थे।
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