देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।


गतिविधियां/ख़बरें
कवि सुधा उपाध्याय को शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान
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April 9, 2019

राग विराग कला केंद्र की ओर से आयोजित एक समारोह में कवि सुधा उपाध्याय को उनकी रचना ‘इसलिए कहूंगी मैं’ के लिए 14वें शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से नवाज़ा गया। दिल्ली के त्रिवेणी सभागार में प्रसिद्ध लेखिका डॉ नूर जहीर ने उन्हें सम्मानित किया।

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…और एक बयान यह भी
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April 8, 2019

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विद्रोही से क्रान्तिकारी में रूपान्तरण की कथा – कौशल किशोर
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April 5, 2019

जिस ज़माने में जुझारू कॉमरेड गंगा प्रसाद ने लखनऊ के लेनिन पुस्तक केन्द्र को तमाम प्रबुद्ध लोगों के लिए स्वस्थ बहस मुबाहिसे का केन्द्र बना दिया, वो दौर ही कुछ और था। दो साल पहले 4 अप्रैल को गंगा प्रसाद अपनी विरासत छोड़कर हमेशा के लिए चले तो गए लेकिन उन्हें शिद्दत से याद करने वालों की कमी नहीं।

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आपदाओं से जुड़े मिथकों को तोड़ती एक प्रदर्शनी
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April 2, 2019

अगर आप ‘गूंज’ के संस्थापक अंशू गुप्ता के काम को देखेंगे या उनकी तस्वीरों को महसूस करेंगे तो आपको सचमुच ये समझ में आ जाएगा कि मिथक और वास्तविकता में कितना फर्क होता है। अंशू मूलत: एक फोटोग्राफर रहे हैं। नब्बे के दशक में उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान से फोटोग्राफी और विज्ञापन-जनसंपर्क के क्षेत्र में औपचारिक पढ़ाई की, कुछ साल प्रतिष्ठित अखबारों के लिए काम भी किया, लेकिन उनका मन कह

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राजनीति में एक मज़बूत साहित्यिक हस्तक्षेप थे डा शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव
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March 25, 2019

अगर आज साहित्यकार और राजनेता डॉ शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव होते तो शायद संस्कृति और राजनीति के मौजूदा स्वरूप में कुछ न कुछ नया और सकारात्मक ज़रूर होता। जिस तरह उन्होंने साहित्य, भाषा और संस्कृति को समृद्ध करने में बेहद सरलता और मज़बूती के साथ अपना योगदान दिया, वैसा आज के राजनेताओं के लिए मुश्किल है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डा शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव एक शिक्षाविद होने के नाते ह

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हिन्दुस्तानियत को बचाने की चुनौती…
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March 24, 2019

23 मार्च की खास अहमियत है। देश भर में इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन तीन क्रान्तिकारियों - भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गयी थी। इसी दिन पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश को खालिस्तानी आतंकवादियों ने अपनी गोली का निशाना बनाया था। 25 मार्च को दंगाइयों ने गणेश शंकर विद्यार्थी की हत्या कर दी थी। इन शहीदों की याद में लखनऊ कें कैसरबाग स्थित इप्टा के प्

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रंगमंच और नृत्य का गहरा रिश्ता है – पंडित बिरजू महाराज
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February 22, 2019

रंगमंच की दुनिया में नए नए प्रयोगों और कई नए नाटकों के मंचन के साथ 20वां भारत रंग महोत्सव खत्म हो गया। कथक की पाठशाला कहे जाने वाले पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज को इस मौके पर सुनना एक अनुभव था। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अपने गहरे जुड़ाव और तमाम नृत्यशैलियों के साथ नाटकों की प्रस्तुतियों के बारे में पंडित बिरजू महाराज से बेहतर भला कौन बोल सकता है। आखिरी दिन कमानी सभागार में पंडि

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रोहित वेमुला पर बनी फिल्म ने उठाए कई अहम् सवाल
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February 20, 2019

रोहित वेमुला की आत्महत्या और उसके बाद उठे जनाक्रोश ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। दलित राजनीति के नाम पर वेमुला की खुदकुशी एक बड़ा मुद्दा बनी लेकिन इस घटना के पीछे के सच को तलाशने की कोशिश सही तरीके से कभी नहीं हुई। इस घटना के चार साल बाद फिल्मकार दीपा धनराज ने इस पूरी घटना पर और इसके तमाम पहलुओं पर फिल्म बनाई – वी हैव नॉट कम हियर टू डाई ।

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‘स्त्री संघर्ष पुरुषों के विरुद्ध नहीं विपरीत विचारधारा के खिलाफ है’
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February 2, 2019

हिन्दी साहित्य व संस्कृति की पत्रिका ‘रेवान्त’ की ओर से हर साल दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ‘रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान - 2018’ के लिए उनका चयन किया गया था। यह सम्मान उन्हें कैफी आजमी एकेडमी, निशातगंज के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में दिया गया जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार व उपन्यासकार शिवमूर्ति ने की। लखनऊ के साहित्य जगत के लिए यह सुखद, आत्मीय और अविस्मरणीय पल था जिसमें ब

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कलाकारों ने दिया गांधी की विश्व शांति का संदेश
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January 30, 2019

महात्मा गांधी को देश अपने अपने तरीके से याद कर रहा है। तमाम सरकारी और निजी संस्थाएं भी उन्हें नमन कर रही हैं। लेकिन गांधी अपने तमाम रूपों में कलाकारों के लिए भी एक प्रिय पात्र रहे हैं। गांधी जी के व्यक्तित्व और दर्शन को केन्द्र में रखकर कलाकारों ने अलग अलग कालखंडों में अपनी अभिव्यक्ति की है। अपनी विशाल और अद्भुत मूर्ति शिल्पकला के लिए दुनियाभर में मशहूर हो चुके वयोवृद्ध कलाकार पद

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