देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।
वसुधैव कुटुंबकम का संदेश फैलाने के लिए दुनिया में नाटकों का सबसे बड़ा आयोजन “भारत रंग महोत्सव “(भारंगम) इस साल 28 जनवरी से शुरू होगा और बीस दिनों तक चलेगा और पहली बार देश से बाहर विदेश की धरती पर भी होगा। प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता एवम एनएसडी के पूर्व छात्र राजपाल यादव इस साल भारंगम के “रंगदूत” बनाये गए हैं।
Read Moreहिंदी के जाने माने लेखक, कवि और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने लेखकों खासकर महिला रचनाकारों से अपने लेखन में अपने समय को दर्ज करते हुए राजनीतिक दृष्टि अपनाने की अपील की है। वाजपेयी ने 21 जनवरी को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में प्रेमचन्द की पत्नी शिवरानी देवी के तीन कहांनी संग्रहों का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। शिवरानी देवी के दो अनुपलब्ध कहांनी संग्रह "नारी हृदय "और" "कौमु
Read Moreअशोक वाजपेयी ने अपना 84 वाँ जन्मदिन मनाया। जब राजेन्द्र यादव 80 वर्ष के हुए थे तो उन्होंने उनक़ा जन्मदिन भी मनाया था यद्यपि उनसे उनकी नोक झोंक चलती रहती थी। क्या अशोक जी आत्म प्रदर्शन के लिए जन्म दिन मनाते हैं या हिंदी साहित्य में एक जीवंत माहौल बनाने के लिए मनाते हैं? क्या वह ऐसा कर लेखकों को एक सूत्र में बांधते हैं?
Read Moreजानी मानी कथाकार और उपन्यासकार कृष्णा सोबती की जन्मशती बेशक फरवरी 2025 से शुरु हो रही हो, लेकिन साहित्य अकादमी ने 19 और 20 दिसंबर को दो दिनों तक उनकी पूरी साहित्यिक यात्रा पर गंभीर आयोजन किया। इस संगोष्ठी में कृष्णा सोबती के व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं के साथ उनके लेखन के तमाम आयामों पर चर्चा हुई।
Read Moreसिनेमा की दुनिया को बेहद करीब से समझने वाले और राजकपूर जैसे शोमैन की कलायात्रा को गहराई से महसूस करने वाले जाने माने पत्रकार और लेखक प्रताप सिंह ने उनकी जन्मशती के मौके पर बेहद संजीदगा के साथ 7 रंग के लिए ये विशेष पेशकश भेजी है... राज साहब की फिल्म यात्रा को समझने के साथ ही उनकी शख्सियत के कई दूसरे देखे अनदेखे पहलुओं पर प्रताप सिंह ने पैनी नज़र डालने की कोशिश की है।
Read More"बारादरी" की सदारत करते हुए मशहूर शायर इकबाल अशहर ने कहा कि बारादरी हिंदुस्तानी संस्कृति की नई इबारत लिख रही है। अपने अशआर पर जमकर दाद बटोरते हुए उन्होंने फरमाया "हमको हमारे सब्र का खूब सिला दिया गया, यानी दवा दी न गई दर्द बढ़ा दिया गया। उनकी मुराद है यही खत्म न हो ये तीरगी, जिसने जरा बढ़ा दी लौ, उसको बुझा दिया गया। अहल ए सितम को रात फिर दावत ए रक्स दी गई, और बराए रोशनी शहर जला दिया गया।
Read Moreआज से 115 साल पहले स्त्री दर्पण पत्रिका निकालकर स्त्री आंदोलन शुरू करने वाली संपादक रामेश्वरी नेहरू ने केवल सार्थक पत्रकारिता ही नहीं की हरिजनों और विभाजन के समय दंगा पीड़ितों की भी सेवा की। उस ज़माने में हिंदुस्तानी मौसिकी को बुलंदियों पर ले जानेवाली तवायफ़ गायिकाओं ने भी न केवल आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया बल्कि राष्ट्रनिर्माण में भी अहम भूमिका अदा की।
Read Moreहिंदी के दिवंगत कवि वीरेन डंगवाल धीरे धीरे एक प्रतीक में बदलते जा रहे हैं। धूमिल के बाद युवा वर्ग में वह लोकप्रिय होते जा रहे हैं।इसके पीछे युवा कवियों नए पाठकों और छात्रों का प्यार और श्रद्धा छिपी हुई है।
Read More