साहित्य के कॉरपोरेट आयोजनों से अलग रज़ा फाउंडेशन की सांस्कृतिक-साहित्यिक गोष्ठियों की चिंता कुछ अलग रहती है। खासकर मौजूदा परिदृश्य में सत्ता के जनविरोधी चेहरे को बेनकाब करने की कोशिश करती हुई इन गोष्ठियों और आयोजनों में ये बात उभर कर आती है कि एक प्रतिरोध की संस्कृति को बरकरार रखने और इसके विस्तार की जरूरत लगातार है। 'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्र
दिल्ली में हर दिन आपको कला-संस्कृति के कई रंग देखने को मिलते हैं। कोरोना काल के सन्नाटे के बाद गैलरियां गुलज़ार हो गई हैं, ऑडिटोरियम्स में रंगमंच अपने शबाब पर है और साहित्य जगत में तो इतनी हलचल है कि पूछिए मत। लेकिन हम आपको ले चलेंगे कला दीर्घाओं की रंग बिरंगी और रचनात्मक दुनिया में और वहां भी नज़र डालेंगे महिला कलाकारों को लेकर एक खास पहल पर।
आपने कई कवि सम्मेलन सुने होंगे, काव्य गोष्ठियों में शिरकत की होगी, घरों में भी कई बार अनौपचारिक तौर पर कविताओं और रचनाओं के पाठ हुए होंगे, गपशप, खानपान के साथ कुछ कविताई और कुछ हंसी ठहाके भी हुए होंगे। दिल्ली में आमतौर पर ऐसे औपचारिक, प्रायोजित और कुछ संस्थागत आयोजन तो अक्सर होते ही रहते हैं। लेकिन अगर कलाकारों के बीच एक बेहतर कलात्मक माहौल में ऐसा मिलना बैठना हो, त
राजीव सिंह जाने माने लेखक और पत्रकार रहे हैं, मीडिया शिक्षण के क्षेत्र में करीब दो दशकों से सक्रिय रहे हैं और हाल ही में उनकी बनारस पर केन्द्रित एक अद्भुत किताब आई है - क
जाने माने फोटोग्राफर रवि बत्रा ने अपने कैमरे में उतारा है गणपति को अंतिम रूप देते हुए कलाकारों को, बाज़ार में तैयार खड़े गणपति को... तस्वीरें दिल्ली के अलग अलग इलाकों की हैं.. गणेश चतुर्थी पर अब मुंबई ही नहीं, पूरे देश में गणपति बप्पा अपने साथ ढेर सारी खुशियां लाते हैं और उनके साथ उन कलाकारों के चेहरे पर भी उम्मीद की खुशी दिखती है जि दिन रात जाग कर इस भरोसे मूर्तियां बना
देख तमाशा दुनिया काआलोक यात्री को पढ़ना और सुनना एक अनुभव है। वो तमाम पात्रों और चरित्रों को तलाशने में बहुत दूर दूर तक निकल जाते हैं। आलोक जी कोई गीत सुन रहे हों या फिर अचानक उनके दिम
हम प्रेमचंद युगीन दौर में फिर से लौट रहे हैं : प्रियदर्शन
रिंकल शर्मा की पुस्तक 'प्रेमचंद मंच पर' का हुआ लोकार्पण
गाजियाबाद में एक बार फिर साहित्य की महफिल सजी। जुलाई के कथा संवाद की खास बात कथा सम्राट प्रेमचंद को याद करना और उनकी प्रासंगिकता के साथ आज के कथा आंदोलन को जोड़ना रही। इसी संदर्भ में रिंकल
दिल्ली में आम तौर पर हर रोज़ और हर आर्ट गैलरी में आपको तमाम कला प्रदर्शनियां देखने को मिल जाएंगी। देश भर के कलाकारों के लिए अपनी प्रतिभा और कलाकृति को अभिव्यक्त करने और कला समीक्षकों की नज़र में खास पहचान बनाने के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या ऐसे महानगरों की खास अहमियत है। लेकिन आज हम जिस कलाकार की प्रदर्शनी का जिक्र करने जा रहे हैं, उनकी कला यात्रा अपने आप में खास है और
गाजियाबाद के साहित्यिक आयोजनों की कड़ी में इस बार की ईद बेहद रचनात्मक गुज़री। बारादरी में इस बार जो महफ़िल सजी उसमें पूरे अदब के साथ शेर-ओ-शायरी का नया जज़्बा दिखा। कुछ नए चेहरे आए तो कुछ बरसों और दशकों से सक्रिय कवि-शायर अपनी अभिव्यक्ति के नए आयाम के साथ नज़र आए। आलोक यात्री की ये रिपोर्ट इस आयोजन को बहुत गहराई से सामने लाती है।
पटना, 7 जुलाई। 11वां सावित्री त्रिपाठी स्मृति सम्मान सुप्रसिद्ध नाटककार राजेश कुमार को दिया जाएगा। सावित्री त्रिपाठी फाउन्डेशन के सचिव पीयूष त्रिपाठी ने यह घोषणा की है। उन्होंने बताया कि स्मृति सम्मान की निर्णायक समिति के सदस्यों प्रो. काशीनाथ सिंह, प्रो. बलराज पांडेय और प्रो. आशीष त्रिपाठी ने सर्वसम्मति से राजेश कुमार का चयन किया है।
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