ईमानदारी का श्राद्ध
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September 20, 2024

यह तो भाई हद हो गई। वे बार-बार कह रहे हैं कि वे कट्टर ईमानदार हैं, बेईमानी से दूर-दूर तक उनका कोई नाता नहीं है। फिर भी कोई मानने को तैयार ही नहीं है। जब वे गला फाड़-फाड़कर ईमानदारी की कसमें खा रहे हैं तब तो हर किसी को उनकी बात पर विश्वास कर ही लेना चाहिए।
हो सकता है कि वे ईमानदार हों और विरोधी उन्हें जबरन बेईमान साबित करने पर तुले हों। या फिर वे ईमानदारी में लोट लगा रहे हों और

भेड़ियों की चिट्ठी मुख्यमंत्री के नाम…
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September 10, 2024

साहित्यकार भुवनेश्वर ने आज के 85 साल पहले प्रसिद्ध कहानी लिखी थी- भेड़िये। तब यह कहानी जितनी चर्चित हुई थी उससे ज्यादा भेड़िये चर्चा में आए थे। उसी खौफ के साथ भेड़िये फिर लौटे हैं। यूपी के बहराइच और आसपास के इलाकों में भेड़ियों का खौफ पसरा है। टीवी चैनलों पर सिर्फ भेड़िये छाए हैं। पैने और नुकीले दांत दिखाते, जीभ से लार टपकाते और खून सने मुंह वाले भेड़िये। नदी-नालों और खेतों म

लीजिए साहब, यह रहा मेरा माफ़ीनामा…
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September 3, 2024

नेताओं का माफी मांगना, वोट की खातिर जनता के आगे नतमस्तक हो जाना, खुद को निरीह और वक्त का मारा बता कर रोना और सहानुभूति लेना आम बात है... लेकि

‘कारवां-ए-हबीब सम्मान‘ नाटय-समीक्षक जयदेव तनेजा को
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September 1, 2024

जाने माने रंगकर्मी और नाटकों के शिल्प से लेकर कथ्य तक को बेहद समृद्ध करने वाले हबीब तनवीर की याद में हर साल दिए जाने वाले कारवां-ए-हबीब सम्मान इस साल म

धाराओं में विचारों के गोते
उत्पलेन्दु चक्रवर्ती: एक सरोकारी फिल्मकार का जाना
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August 23, 2024

बांग्ला फिल्मकारों में एक खास बात होती है कि वो कम फिल्में बनाते हैं लेकिन ये फिल्में यादगार होती हैं... चाहे सत्यजीत रे हों, बासु भट्टाचार्य, बासु चटर्जी, ऋषिकेश मुखर्जी, बिमल राय हों या उत्पलेन्दु चक्रवर्ती ... 1983 में जब उत्पलेन्दु चक्रवर्ती की 'चोख' आई तो सबका ध्यान उनकी तरफ गया। चोख को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और उत्पलेन्दु को सर्वश्रेष्ठ निर्द

करिया और टाइगर की दुम…
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August 20, 2024

बहस दमदार थी। जगह थी गली का मोड़। एक तरफ टाइगर और दूसरी तरफ करिया। हट्टे-कट्टे टाइगर के गले में पट्टा बंधा था। पहली बार वह मालिक को चकमा देकर बंगले से बाहर आया था। करिया था तो दुबला-पतला पर वह अपनी गली का सबसे स्मार्ट था। टाइगर गली के मोड़ पर पहुंचा तो करिया से उसका सामना ह

कहते हैं चुप रहना अच्छा है : त्रिलोचन
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August 20, 2024

अगर कवि त्रिलोचन आज होते तो 107 साल के होते... लेकिन वह 17 साल पहले चले गए यानी 90 की उम्र में... एक जीवंत और उम्मीदों से भरे त्रिलोचन की रचनाओं पर उनके रहते तो बहुत कुछ लिखा गया लेकिन उनके जाने के बाद वह स

खोए हुए वोटों की तलाश…
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August 12, 2024

(यह कार्टून लोकमत न्यूज से साभार)
  • अनिल त्रिवेदी
चुनाव निपट गए। कुछ जीत गए और कई हार गए। कई जीतने के लिए चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए। कुछ हारने के लिए मैदान में उतरे थे, पर विजयी हो गए। कई

वीरेन डंगवाल की याद: ‘इतने भले नहीं बन जाना साथी’
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August 9, 2024

कवि वीरेन डंगवाल की याद में लखनऊ में जन संस्कृति मंच की गोष्ठी और कविता पाठ
'कविता में अभिधा का सौन्दर्य - चन्द्रेश्वर
 बदलाव की उत्कट आकांक्षा - कौशल किशोर 
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