साहित्य अकादेमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार 2024 की घोषणा
नई दिल्ली, 7 मार्च। हिंदी के जाने माने आलोचक मदन सोनी और अंग्रेज़ी के लिए अनीसुर रहमान को साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में अकादेमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में 21 अनुवादकों को साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार 2024 के लिए अनुमोदित किया गया।
राष्ट्रपति ने किया साहित्य अकादेमी के स्टॉल का अवलोकन
'विविधता का अमृत महोत्सव' के दूसरे संस्करण की शुरुआत
नई दिल्ली 06 मार्च 2025। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कल (5 मार्च 2025) राष्ट्रपति भवन में "विविधता का अमृत महोत्सव" के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। यह एक ऐसा वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव है जो व�
नवजागरण की नायिका हरदेवी जेल जानेवाली पहली लेखिका थी
इलाहाबाद 5 मार्च। सीमांतिनी उपदेश की लेखिका हरदेवीं जेल जाने वाली पहली लेखिका थी और स्त्री लेखकों को शामिल किए बिना हिंदी नवजागरण अधूरा है। देश की जानी मानी स्त्री विमर्शकारों ने आज इलाहाबाद विश्विद्यालय शताब्दी समारोह के अंतर्गत स्त्री विमर्श पर आयोजित दो दिवसीय सम�
वसंत साठे की जन्मशती पर क्या बोले आरिफ मोहम्मद खां
5 मार्च 1925 को नासिक में जन्में वसंत साठे जब 23 साल के थे तभी उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनीतिक सफर शुरु किया... इससे पहले आजादी आंदोलन के दौरान साठे ने छात्र जीवन के दौरान तमाम आंदोलनों में हिस्सा लिया.. बचपन से ही साहित्य, कला, संस्कृति में गहरी दिलचस्पी रही। बाद में कांग्रेस में शामिल हुए। 1972 में पहली बार अको�
एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव-2025 का आयोजन 7 मार्च से
संस्कृति एवं पयर्टन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे उद्घाटन53 भाषाओं के 100 लेखिकाएँ समेत 723 लेखक और विद्वान भाग लेंगे 6 दिवसीय समारोह में 120 सत्र होंगे।<
बिहार आंदोलन के दौरान आनंद बाजार पत्रिका की ओर से छपने वाले रविवार के पहले अंक के कवर पेज पर जेपी और फणीश्वरनाथ रेणु की तस्वीर छपी। यह दौर पूरी तरह छात्र और युवा आंदोलन का था और जेपी आंदोलन ने बदलाव की एक नई आहट का संकेत दे दिया था। पटना के कांग्रेस मैदान से लेकर गांधी मैदान तक में जेपी की सभाओं में रेणु जी भी नज़र आए और आज़ादी आंदोलन के बरसों बाद उन्होंने खुद को राजनीतिक �
अंग्रेजी की महिला पत्रकार ने उर्दू से मोहब्बत की पेश की मिसाल
क्या आप ऐसे किसी अंग्रेजी जर्नलिस्ट को जानते हैं जिन्हें उर्दू से इतनी मोहब्बत हो कि उसने बकायदा उर्दू सीखकर उर्दू में अखबारनवीसी की हो और उर्दू में किताब भी लिख डाली हो? ऐसे वक़्त में जब सियासत देश में हिंदी उर्दू को आपस में लड़ा रही हो, उर्दू के खिलाफ नफ़रत फैला रही हो ,उस ज़ुबां को धर्म से जोड़ा जा रहा हो और उसे मरती हुई ज़ुबान बताया जा रहा हो, एक मह�
जब गंगूबाई हंगल ने एचएमवी को मुफ्त में अपना गाना दिया…
पद्मविभूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गंगू बाई हंगल ने 1932 में जब पहला गाना रिकार्ड करवाया था तब एच एम वी ने उंनको एक पैसा भी नहीं दिया था। यह बात प्रसिद्ध संगीत विशेषज्ञ एवं जीवनीकार इरफान ज़ुबैरी ने कुमार गंधर्व स्मृति व्यायख्यान देते हुए कही। ज़ुबैरी इन दिनो रज़ा फाउंडेशन के लिए प्रख्यात शास्त्रीय गायक मल्लिकार्जुन मंसूर की जीवनी लिख रहे हैं। दिल्ली �