सिनेमा की दुनिया संस्कृति, समाज और साहित्य की अनूठी मिसाल है। यहां किस्सागोई भी है, हकीकत भी, अभिनय और कला के तमाम आयाम भी। देश और दुनिया की संस्कृति को आप इसके ज़रिये जितना देख पाते हैं, समसामयिक विषयों से जुड़ी घटनाओं और किरदारों को करीब से देख पाते हैं और साथ ही मनोरंजन और संगीत का अद्भुत जो सिल्वर स्क्रीन पर मिलता है, वो कहीं और मिलना मुश्किल है। बेशक सेलुलाइड का अपना गणित है और तकनीक का अपना संसार, लेकिन दुनिया भर में यह संप्रेषण का सबसे असरदार माध्यम है।
श्रीदेवी का जाना एक ऐसे दुखद सपने जैसा है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। बचपन से हमसब ने श्रीदेवी की खूबसूरती, उनकी अदाकारी के तमाम शेड्स, उनका अल्हड़पन और उनकी आंखों में नागिन वाला गुस्सा सिल्वर स्क्रीन पर देखा है। उनकी नृत्य शैलियां, उनका गुस्सा, उनका प्यार, उनका अपनापन और वो सबकुछ जो उन्हें एक संपूर्ण अदाकार, एक बेहतरीन इंसान, एक आदर्श मां, एक शानदार व्यक्तित्व बनाता था...
Read More...सन १९८४ में मुझे उनके साथ कुछ दिन बिताने का सौभाग्य मिला था। मैं 'पृथ्वी थियेटर' संदर्भित शोध पत्र तैयार कर रहा था ...हम रोज़ 'कौशल्या कोटेज'में मिलते थे जहाँ शशि कपूर जी की शूटिंग चल रही थे ...उनके साथ तनुजा और नीलू फूले भी दृश्यों में थे ....
Read Moreपृथ्वी थियेटर ,मुंबई महानगर के उपनगर , जुहू में एक ऐसा मुकाम है जहां बहुत सारे लोगों ने अपने सपनों को रंग दिया है .यह थियेटर अपने पिता स्व पृथ्वीराज कपूर की याद में शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर कपूर से बनवाया था. शशि कपूर अपने परिवार में एक अलग तरह के इंसान थे .उनकी मृत्यु की खबर सुनकर उनके गैरफिल्मी काम की याद आ गयी जो दुनिया भर में नाटक की राजधानी के रूप में जाना जाता है .
Read Moreएक ऐसी दुनिया की कल्पना, एक ऐसे खुशनुमा समाज का सपना और हर तरफ प्यार ही प्यार की तमन्ना लिए 58 साल की उम्र में किशोर दा ने बेशक सबको अलविदा कह दिया हो, लेकिन वो हमेशा सबके बीच हैं... उसी तरन्नुम में, उसी अंदाज़ में और अपने उन्हीं खूसूरत सपनों के साथ.... उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने उन्हें इस लायक बनाया, उनकी प्रतिभा को मंच दिया, तमाम मौके दिए और किशोर को किशोर बनाया... संयोग देखिए दादा मुनि के ज
Read Moreक्या अमिताभ शुरू से ही ऐसे थे? एक ‘एंग्री यंग मैन’ आखिर इतना संजीदा कैसे हो सकता है? इतने संघर्षों से तपकर, सियासत में किस्मत आज़मा कर, कई बार विवादों में घिर कर, देश की दुआओं की बदौलत लंबे समय तक अस्पताल में इलाज के बाद सकुशल वापस आकर, फिल्मों में कई कई पारियां खेलकर, अपनी कंपनी के उतार चढ़ाव झेलकर, कभी कांग्रेस, कभी समाजवादियों तो कभी मोदी मिशन के साथ जुड़कर लगातार सक्रिय रहने वाले अमि
Read Moreकिसी ज़माने की अल्हड़, शोख़ और ग्लैमर की अपनी परिभाषा लिखने वाली रेखा महज 63 साल की उम्र में इतनी तन्हा क्यों हैं? क्यों उनकी ख़ूबसूरती और आंखों की मस्ती के दीवाने भी हर बार उनसे जुड़े विवादों के बारे में ज्यादा जानने को बेताब रहते हैं? क्यों उनके जन्मदिन को कुछ टीवी चैनलों ने उन पर फिल्माए गए कुछ गीतों पर आधारित कार्यक्रमों तक सीमित कर दिया है? कई सवाल हैं लेकिन रेखा की ज़िंदगी और उनक
Read Moreअपनी अभिनय प्रतिभा से हिन्दी फिल्मों में नया मुकाम हासिल करने वाले भारत में जन्में पहले अमेरिकी अदाकार टॉम ऑल्टर नहीं रहे। मुंबई में 29 अक्टूबर की रात उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। रंगमंच और फिल्मों के अलावा तमाम टीवी धारावाहिकों में अपने बेहतरीन अभिनय का लोहा मनवा चुके टॉम ऑल्टर 1950 में मसूरी में जन्में, पढ़ने के लिए अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी गए और 1970 में जब लौटकर आए तो दो साल
Read Moreअक्षय कुमार की फिल्म ‘टॉयलेट’ की कामयाबी के बाद कई और फिल्मकार इस तरह की फिल्में बना रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इसे प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही एक फिल्मकार हैं तुषार त्यागी। मूल रूप से मेरठ के तुषार लॉस एंजेल्स में रहकर अपने देश के मुद्दों पर कहानियां लिखते हैं, फिल्में बनाते हैं और तमाम अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी पाते हैं। उनकी ताज़ा फिल्म है काशी।
Read Moreकैलाश खेर को जब भी आप सुनेंगे, एक अलग दुनिया में पहुंच जाएंगे। अपनी धुन का पक्का एक अकेला ऐसा शख्स जो आज अपने दम पर संगीत की दुनिया में वो मुकाम हासिल कर चुका है जिसकी मुरीद पूरी दुनिया है। 7 रंग के संपादक अतुल सिन्हा के साथ बेहद आत्मीय और दोस्ताना अंदाज़ में कैलाश खेर मिलते हैं। बातचीत के अंदाज़ में वही बिंदासपन और फक्कड़पन जो उनके गीतों में नज़र आता है।
Read More92 साल की उम्र में भी बेहद सक्रिय और उम्मीदों से भरे मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज को सुनना एक अनुभव से गुज़रने जैसा है। देश और समाज को, रिश्तों और रिवाज़ों को, सियासत और सियासतदानों को अपने तरीके से देखने वाले नीरज जी ने बेहिसाब लिखा है और लिख रहे हैं। अलीगढ़ के अपने घर में नीरज जी अपने फ़ुरसत के पल गुज़ारते हैं लेकिन आज भी शायरी, कविता और गीतों की कोई भी खास महफ़िल बगैर नीरज जी के प
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