किसी भी देश की संस्कृति को विकसित करने, इसे सहेजने और खुद को अभिव्यक्त करने का एक बेहतरीन ज़रिया है साहित्य। साहित्य वो विधा है जिसके कई आयाम हैं। कहानियां, कविताएं, गीत, शायरी, लेख, संस्मरण, समीक्षा, आलोचना, नाटक, रिपोर्ताज, व्यंग्य – अभिव्यक्ति के तमाम ऐसे माध्यम हैं जिनसे साहित्य बनता है और समृद्ध होता है। साहित्य में समाज और जीवन के हर पहलू की झलक होती है। संवेदनाओं और दर्शन का बेहतरीन मेल होता है। संस्कृति और तमाम कालखंडों की और राजनीति से लेकर बेहद निजी रिश्तों तक की अद्भुत अभिव्यक्ति होती है। भाषा का एक विशाल संसार गढ़ता है साहित्य। साहित्य के मौजूदा स्वरूप, नए रचनाकर्म और छोटे बड़े साहित्यिक आयोजनों के अलावा आप इस खंड में पाएंगे साहित्य का हर रंग…
जाने माने कवि और बेहद आत्मीय मंगलेश डबराल को यूं खो देना आज भी मन में कचोट पैदा करता है। उनकी ढेर सारी यादें हैं। साहित्य जगत और खासकर कविता के क्षेत्र में उनके योगदान की कहानी और उपलब्धियां तो अपनी जगह हैं लेकिन उनके भीतर का संवेदनशील इंसान अपनी जगह। उनके तमाम दोस्त, संघर्षों के साथी और हर उतार चढ़ाव के गवाह हमारे कई वरिष्ठ लेखक, कवि, साहित्यकार औऱ संस्कृतिकर्मी उन्हें कभी नहीं भू
Read Moreइंतज़ार हुसैन ने 1946 ने जब मेरठ से एमए किया, तबतक उन्होंने कुछ भी लिखना शुरु नहीं किया था, अलबत्ता राजेन्द्र सिंह बेदी, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुगताई, कृष्ण चंदर जैसे लेखकों को पढ़ते हुए बड़े हुए.. लेकिन जब विभाजन की हवा चली तो उनके तमाम दोस्त, साहित्यकार और बहुत से करीबी लाहौर जाने लगे.. इंतजार हुसैन आखिर क्यों पाकिस्तान गए और कैसे उनका बचपन बीता इस बारे में वो तमाम मौकों पर बताते रहे..
Read Moreहिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन हो गया. वह 90 वर्ष की थीं. ‘महाभोज’ और ‘आपका बंटी’ जैसी कालजयी रचनाओं की लेखिका मन्नू भंडारी ने सोमवार की सुबह अंतिम सांस ली. मन्नू भंडारी के पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे. वर्तमान में वह गुडगांव में अपनी बेटी रचना यादव के पास रहती थीं. वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं.
Read Moreहिंदी के प्रख्यात कवि, गद्यकार विनोद कुमार शुक्ल को साहित्य अकादमी की प्रतिष्ठित महत्तर सदस्यता (फैलोशिप) प्रदान की गई है। उनके साथ प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड को भी महत्तर सदस्य घोषित किया गया है। यह फ़ैलोशिप भारत की साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
Read Moreयूपी के अदबी शहर इलाहाबाद की शिनाख्त है उर्दू अदब के तंजोमिज़ाह के नामचीन शायर अकबर इलाहाबादी। अपनी शायरी से समाज को वक्त वक्त पर आगाह करने वाले इस शायर को उनके अपने ही शहर और अदब के लोग भूल गए। यह चुभन इसलिए भी सबसे ज्यादा होगी क्योंकि अकबर इलाहाबादी साहब को गुज़रे इसी 9 सितंबर को सौ साल हो गए।
Read Moreभारतीय जन नाट्य संघ (इंडियन प्रोग्रेसिव थिएटर एसोसिएशन) यानी इप्टा ने बहुत ही संज़ीदगी के साथ जाने माने लेखक, पत्रकार, और फिल्मकार ख्वाज़ा अहमद अब्बास को याद किया... इसी कड़ी में अब्बास की फिल्मों और खासकर उनकी फिल्म हिना को केन्द्र में रखकर उनकी रचनात्मक दृष्टि पर चर्चा हुई... इसकी रिपोर्ट इप्टा की ओर से 7 रंग के लिए अर्पिता ने भेजी है...
Read Moreहिन्दी के जिन चार बड़े समकालीन कवियों की चर्चा अक्सर होती है उनमें त्रिलोचन, केदार नाथ अग्रवाल, शमशेर और नागार्जुन शामिल हैं। दरअसल प्रगतिशील धारा के इन कवियों को एक ऐसे दौर का कवि माना जाता है जब देश राजनीतिक उथल-पुथल के साथ तमाम जन आंदोलनों के दौर से गुजर रहा था।
Read Moreआज कबीरदास का जन्मदिन है। आम तौर पर कबीरदास को कबीर ही कहते हैं और उनके अनुयायियों को कबीरपंथी। आज जिस सूफ़ी संगीत की दुनिया दीवानी है, वह सूफ़ीवाद भी कबीर से ही आता है। ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर...यानी सबसे प्यार करो, सबकी मदद करो, बहुत की चाह मत करो। कबीर की नज़र में जीवन के अपने मायने हैं और उनके दोहे कहीं न कहीं आपको ब्रह्म और आध्यात्म की व्यावहारिक दुनिया से जोड़ते हैं।
Read Moreजाने माने कवि ज्ञानेंद्रपति को इस बार का नागार्जुन सम्मान दिया जा रहा है। इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी मशहूर कवि और निर्णायक मंडल के सदस्य मदन कश्यप ने मीडिया को दी। अपनी अनूठी काव्यभाषा में रचनात्मक प्रतिरोध के लिए सुप्रसिद्ध कवि ज्ञानेन्द्रपति निराला, नागार्जुन और मुक्तिबोध की काव्य संवेदना को विस्तार देने वाले कवि हैं।
Read Moreअपनी कविता के माध्यम से प्रकृति की सुवास सब ओर बिखरने वाले कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी (जिला बागेश्वर, उत्तराखंड) में 20 मई, 1900 को हुआ था। जन्म के कुछ ही समय बाद मां का देहांत हो जाने से उन्होंने प्रकृति को ही अपनी मां के रूप में देखा और जाना। दादी की गोद में पले बालक का नाम गुसाई दत्त रखा गया; पर कुछ बड़े होने पर उन्होंने स्वयं अपना नाम सुमित्रानंदन रख लिया। सात वर्ष की अवस्था से
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