शख्सियत
रंगकर्म की उस झुंझलाहट की याद…
7 Rang
April 7, 2020

वाराणसी के जाने माने रंगकर्मी गोपाल गुर्जर की बेशक कोई राष्ट्रीय पहचान न बन पाई हो लेकिन उनकी प्रतिभा को रंग जगत और सिने जगत ने कुछ हद तक पहचाना जरूर। उनका गुज़रना कम से कम वाराणसी रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। संवेदनशील पत्रकार और ‘नाद रंग’ पत्रिका के संपादक आलोक पराड़कर ने गोपाल गुर्जर को ‘राष्ट्रीय सहारा’ में लिखे अपने लेख के ज़रिये कुछ इस तरह याद किया.. 7 रंग के पाठको

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बंटवारे का दर्द, देश की संस्कृति और सतीश गुजराल
7 Rang
March 27, 2020

एक कलाकार सिर्फ सम्मानों या रिश्तों से बड़ा नहीं होता। सतीश गुजराल के चित्रों और तमाम कलाकर्म में जो संवेदना दिखती है, वह उन्हें उस पहचान से कहीं दूर खड़ा करती है कि वो पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई थे या उन्हें पद्म विभूषण या कला का राष्ट्रीय पुरस्कार तीन तीन बार मिल चुका था। दरअसल जिस कलाकार ने विभाजन का दर्द देखा हो, महसूस किया हो और जिसकी दृष्टि समाज के तमाम

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काक साहब की काक दृष्टि का कमाल
7 Rang
March 16, 2020

जाने माने कार्टूनिस्ट और एकदम ठेठ देसी अंदाज़ में अपने चरित्रों के ज़रिये लोगों के दिलों में बस जाने वाले काक साहब 16 मार्च को 80 साल के हो गए... काक साहब से जुड़ी तमाम यादों को ताज़ा करते हुए हमारे साथी और तीन दशकों से नुक्कड़ नाटकों के लिए समर्पित अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक अरविंद गौड़ ने बेहतरीन तरीके से उन्हें जन्मदिन पर याद किया... आप भी पढ़िए और काक साहब की शख्सियत को और करीब से

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‘अब उस शहर में लोगों के शीशे के मकां कैसे हैं…’
7 Rang
March 15, 2020

वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी से लंबे वक्त तक जुड़े रहे क़ुरबान अली ने अपने शुरुआती दिनों में डॉ राही मासूम रज़ा के साथ कई मुलाकातें कीं, बहुत सा वक्त गुज़ारा... तब से लेकर आजतक देश के हालात को करीब से देखने वाले कुरबान अली ने डॉ रज़ा के गुज़रने के बाद ये आलेख संडे ऑब्जर्वर में लिखा था... उन्होंने डॉ राही मासूम रज़ा को कैसे देखा.. आप भी पढ़िए..

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राही मासूम रज़ा : जिन्हें हिन्दुस्तानियत की तलाश रही
7 Rang
March 15, 2020

डॉ राही मासूम रज़ा को लेकर संवाद ने कुंवरपाल सिंह का एक आलेख छापा है। दरअसल यह ‘राही मासूम रज़ा से दोस्ती : हिन्दुस्तानियत का पैग़ाम ’ नाम की किताब में लिखी कुंवरपाल सिंह की भूमिका है जिसमें डॉ रज़ा के बारे में बहुत सी बेहतरीन जानकारियां हैं। '7 रंग ' के पाठकों के लिए भी हम संवाद से यह लेख साभार ले रहे हैं।

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एक लंबा वाक्य जो अनंनता की ओर अग्रसर था
7 Rang
August 6, 2019

विष्णु खरे के कवि-व्यक्तित्व को किसी एक खांचे या सांचे में ढाला नहीं जा सकता। उनके यहां भिन्न प्रकार की कविताएं हैं। कुछ तो ऐसी हैं कि जिनका भरपूर आस्वाद करने के लिए पाठक को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ सकती है। कई बार शब्दों के अर्थों के लिए शब्दकोष देखने पड़ सकते हैं क्योंकि उर्दू की ऐसी शब्दसंपदा उनके यहां है जो आम बोलचाल में नहीं मिलती।

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से. रा. यात्री होने का मतलब…
7 Rang
July 10, 2019

नए कविनगर के अपने छोटे से फ्लैट के एक कमरे में यात्री जी का ज्यादातर वक्त बिस्तर पर ही गुजरता है। पिछले कुछ सालों से सेहत ऐसी बिगड़ी है कि चलना फिरना मुश्किल हो गया है। इसी 10 जुलाई को यात्री जी ने अपने 87 साल पूरे कर लिए हैं। अबतक 33 उपन्यास और 18 कहानी संग्रह लिख चुके यात्री जी के ख़जाने में अब भी कई कहानियां हैं, कविताएं हैं, और बहुत सारे ऐसे संस्मरण हैं जिन्हें सहेजने की ज़रूरत है।

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‘आपके होने का एहसास हमें नया जज़्बा देता रहेगा’
7 Rang
June 10, 2019

अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक और मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने गिरीश कर्नाड को काफी करीब से जाना, महसूस किया और उन्हें जिया है। कर्नाड के नाटकों को अरविंद ने अपने कम संसाधनों के बावजूद एक बड़ा आयाम दिया और अपनी कला दृष्टि के विकास में गिरीश कर्नाड की अहम भूमिका मानते हैं। गिरीश कर्नाड का जाना बेशक रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। खासकर इसलिए भी कि कर्नाड महज एक नाटककार न

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हम सबके थे नामवर जी
7 Rang
February 22, 2019

नामवर सिंह किसके थे? वामपंथियों के या दक्षिणपंथियों के या फिर मध्यमार्गी? उनकी आखिरी विदाई के वक्त उनके पार्थिव शरीर पर सीपीआई के छात्र संगठन एआईएसएफ ने अपनी पट्टी के साथ फूल चढ़ाए थे। उनके गुज़र जाने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने शोक जताया। भले ही कोई उनकी अंतिम यात्रा में शरीक न हुआ हो, लेकिन संदेश भेजने में कोताही

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ये पैरों की थिरकन और कथक की ये अदा…
7 Rang
February 4, 2019

कला और संस्कृति के क्षेत्र में मज़बूत दखल रखने वाले पत्रकार आलोक पराड़कर ने पंडित बिरजू महाराज को उनके 80 साल पूरे करने पर किस बारीकी से देखा और महसूस किया, यह उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया। 7 रंग के पाठकों के लिए आलोक पराड़कर को वही आलेख साभार पेश है...

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