आज हम याद कर रहे हैं रघुवीर सहाय को। लखनऊ में 9 दिसंबर 1929 को जन्मे रघुवीर सहाय ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1951 से एमए किया, लेकिन बीए करने के बाद से ही उन्होंने उस वक्त के मशहूर अखबार नवजीवन में काम करना शुरु कर दिया। सोलह सत्रह साल की उम्र से ही उन्होंने कविताएं औऱ कहानियां लिखनी शुरु कर दी थीं। एमए करने के बाद दिल्ली आए और प्रतीक पत्रिका में काम करने के बाद आकाशवाणी के समाचार विभाग में नौक
Read Moreआज बेशक नृत्य का अंदाज़ बदल चुका हो और आधुनिक नृत्य के जन्मदाता माने जाने वाले उदय शंकर को लोग न जानते हों, लेकिन जो लोग भी शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों को थोड़ा बहुत जानते समझते और पसंद करते हैं, उनके लिए उदय शंकर का नाम अनजाना नहीं है। सितार के शहंशाह उनके भाई पंडित रविशंकर को लोग खूब जानते हैं लेकिन ये नहीं जानते कि पंडित रविशंकर को उनके बड़े भाई उदय शंकर ने सबसे पहले अपने बैले ट्र
Read Moreइंतज़ार हुसैन ने 1946 ने जब मेरठ से एमए किया, तबतक उन्होंने कुछ भी लिखना शुरु नहीं किया था, अलबत्ता राजेन्द्र सिंह बेदी, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुगताई, कृष्ण चंदर जैसे लेखकों को पढ़ते हुए बड़े हुए.. लेकिन जब विभाजन की हवा चली तो उनके तमाम दोस्त, साहित्यकार और बहुत से करीबी लाहौर जाने लगे.. इंतजार हुसैन आखिर क्यों पाकिस्तान गए और कैसे उनका बचपन बीता इस बारे में वो तमाम मौकों पर बताते रहे..
Read Moreऔर विनोद दुआ भी चले गए... कुछ महीने पहले चिन्ना दुआ गई थीं तो कोरोना से टूट चुके विनोद जी बेहद अकेले हो गए थे... खुद को उबारने की कोशिश बहुत की, लेकिन बाहर नहीं निकल सके...उनका जाना एक जीवंत और जुझारू शख्सियत का बहुत जल्दी चले जाने जैसा है... उनमें एक पत्रकार के साथ साथ पूरा देश बसता था, यहां की संस्कृति, मिट्टी की महक, जायके की खूशबू और सियासत की बात करें तो सत्ता की विद्रूपताओं पर उनकी तल्ख व्
Read Moreहिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन हो गया. वह 90 वर्ष की थीं. ‘महाभोज’ और ‘आपका बंटी’ जैसी कालजयी रचनाओं की लेखिका मन्नू भंडारी ने सोमवार की सुबह अंतिम सांस ली. मन्नू भंडारी के पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे. वर्तमान में वह गुडगांव में अपनी बेटी रचना यादव के पास रहती थीं. वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं.
Read Moreनेहरू गांधी की इस विरासत से जुड़ा एक और स्थान भी हर साल आठ सितम्बर को बरबस ही जेहन में कौंध जाता है जिसकी पहचान गांधी नेहरू परिवार के सदस्य फिरोज़ गांधी के साथ जुड़ी हुई है। यह विरासत है शहर के ममफोर्ड गंज में स्थित वह पारसी कब्रिस्तान जिसकी एक कब्र का रिश्ता पंडित जवाहर लाल नेहरु के दामाद उस फिरोज़ गांधी से है जो अपनी बेदाग़ और निष्पक्ष जनप्रिय नेता की छवि के रूप में इतिहास में दर्ज ह
Read Moreअभिनय के आसमान दिलीप कुमार सौ बसंत पूरे होने से पहले ही स्मृति-लोप के साथ इस दुनिया से विदा ले गए। हमारे समय के सबसे कड़े लिक्खाड़ कवि और सिने विशेषज्ञ विष्णु खरे जी ने उनकी रेंज पहचानते हुए कभी दिलीप कुमार को विश्व कोटि के बेहतरीन अदाकार पाल मुनि और मार्लेन ब्रांडो की कद-काठी और उन्हीं की श्रेणी का बताया था। तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं है।
Read Moreहिन्दी के जिन चार बड़े समकालीन कवियों की चर्चा अक्सर होती है उनमें त्रिलोचन, केदार नाथ अग्रवाल, शमशेर और नागार्जुन शामिल हैं। दरअसल प्रगतिशील धारा के इन कवियों को एक ऐसे दौर का कवि माना जाता है जब देश राजनीतिक उथल-पुथल के साथ तमाम जन आंदोलनों के दौर से गुजर रहा था।
Read Moreसुंदरलाल बहुगुणा के देह त्यागने के साथ ही आज जैसे एक हिमयुग का अंत हो गया. लेकिन वास्तव में देह तो उन्होंने दशकों पहले तब ही त्याग दी थी जब हिमालय और नदियों की अक्षुण्णता बनाए रखने और बांधों से उन्हें न जकड़ने की मांग को लेकर उन्होंने लंबे सत्याग्रह और उपवास किए. प्रकृति की ख़ातिर तभी वो विदेह हो चुके थे. अपने शरीर को कष्ट दे ये समझाने की कोशिश करते रहे कि कुदरत का कष्ट कहीं ज़्यादा बड
Read More