देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।
रंगकर्मियों और नाटक करने वाली संस्थाओं पर शिकंजा कसने की पहले भी कई बार कोशिशें हुईं लेकिन जबरदस्त विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। पिछले कुछ सालों से ये कोशिश नए नए रूपों में सामने आ रही है। दिल्ली में अब ज्यादातर फैसले उप राज्यपाल की ओर से लिए जा रहे हैं। हाल ही में ऐसा ही एक संस्कृतिविरोधी फैसला लिया गया है जिसे लेकर कलाकारों और रंग संस्थाओं में जबरदस्त आक्रोश है।
Read Moreगाज़ियाबाद में साहित्य की महफिलों का अब लगातार रंग जमने लगा है। हर महीने कथा संवाद और महफ़िल-ए-बारादरी का जो सिलसिला शुरु हुआ है उसमें देश भर के नामचीन लेखक, कवि, शायर और गीतकार निरंतर शामिल हो रहे हैं। यह कोशिश पुरानी के साथ साथ नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने के साथ उनमें लिखने पढ़ने की आदत डालने, एक बेहतर सामाजिक दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक जरूरी और उल्ल
Read Moreगाजियाबाद में एक बार फिर साहित्य की नई इबारत लिखी जा रही है। 'कथा रंग' की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता के पुरस्कृत रचनाकार 13 जुलाई को गाजियाबाद लिट्रेरी फेस्ट में सम्मानित किए जाएंगे। 'कथा रंग' कहानी महोत्सव एवं अलंकरण समारोह" के नाम से आयोजित यह एक दिवसीय कार्यक्रम बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में संपन्न होगा।
Read Moreजन संस्कृति मंच की लखनऊ इकाई के सालाना समारोह में लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा की स्मृति में भारतीय चित्रकला का सच विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्य वक्ता, जाने माने चित्रकार और कला समीक्षक अशोक भौमिक ने इस मौके पर भारतीय कला के तमाम पहलुओं और इसके ऐतिहासिक संदर्भों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय कला का इतिहास तभी से शुरू होता है जब से हम इन चित्रों के बारे में जानना शु
Read Moreफोसवाल महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत 'दो निर्रथक युद्धों की पीड़ा' पर चर्चा से हुई। इस सत्र में केरल के लेखक, कवि के वी डोमिनिक, डिफेन्स जर्नलिस्ट नीरज राजपूत और समाजशास्त्री आशीष नंदी ने हिस्सा लिया। युद्धों के पीछे के कारणों पर चर्चा करते हुए के वी डोमिनिक ने कहा, "दुनिया भर में युद्ध कराने में धर्म का बड़ा हाथ रहा है। अधिकतर धार्मिक नेता लोगों को शांति और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की
Read Moreएक तरफ देश में चुनावी नतीजों के बाद सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं, दूसरी तरफ इससे अलग साहित्य और संस्कृति की दुनिया में कुछ नई और रचनात्मक कोशिशें जारी हैं। सार्क देशों के सम्मेलनों की खबरें हम खूब पढ़ते हैं जहां दक्षिण एशियाई देशों के नेतागण तरह तरह के समझौतों पर दस्तखत करते या सहमति बनाते नज़र आते हैं, ऐसे ही आठ दक्षिण एशियाई देशों की कला और साहित्य को एक मंच पर लाने का काम इन दिनों द
Read Moreचित्तौड़गढ़। साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान की घोषणा कर दी गई है। संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान बनारस निवासी प्रसिद्ध आलोचक अवधेश प्रधान को उनकी चर्चित कृति 'सीता की खोज' के लिए दिया जाएगा।
Read Moreपरंपरा और सिद्धांत के दायरे से मुक्त लेखन ही कालजई लेखन को जन्म देता है। 'कथा रंग' के 'कथा संवाद' को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम अध्यक्ष रवि कुमार सिंह ने कहा कि हर दौर में लेखकों पर अपने परिवेश का दबाव रहता है। लेकिन खास विचारधारा से प्रभावित लेखन न तो अधिक समय तक विमर्श में रहता हैं और न ही इतिहास में जगह बना पाता है। उन्होंने कहा कि रचनाकार को सिद्धांत व परंपरा
Read Moreललित कला अकादमी को इस बार की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी और पुरस्कारों के लिए देश भर से 2291 कलाकारों की 5714 प्रविष्ठियां मिली। जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में आई प्रविष्ठियों में से 20 कलाकारों को पुरस्कारों के लिए चुनना कोई आसान काम नहीं था। इसके लिए अकादमी ने दो निर्णायक मंडल बनाए।
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