देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष अखिल के उपन्यास 'दरमियाना' के विमोचन के अवसर पर कथाकार एवं कार्यक्रम अध्यक्ष बलराम ने कहा कि मुकम्मल यहां कोई नहीं,'दरमियाना' ज़िंदगी के अधूरेपन की मुकम्मल दास्तान है। किन्नर समुदाय पर केंद्रित उपन्यास की बाबत उन्होंने कहा कि यह उपन्यास एक अदृश्य समाज की सार्थक पड़ताल करता है। वर्जनाओं में बंधा समाज किन्नरों को सम्मान नहीं देता।
Read Moreअमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के काव्योत्सव में अतिथियों और स्थानीय कवियों ने मौजूदा दौर के साथ साथ आने वाले समय की नब्ज़ अपने-अपने तरीके से टटोली। कवि राकेश रेणु ने अपनी कविता 'भय' के माध्यम से फरमाया 'एक दिन सब संगीत थम जाएगा..।' कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने 'चुप्पा आदमी' के माध्यम से मानसिक जड़ता पर जमकर प्रहार किया। मुख्य अतिथि सुरेश गुप्ता ने कहा कि मौजूदा दौर
Read Moreआसमान पर राज करने वाले, अपने हैरतअंगेज़ करतबों से आसमान को मुट्ठी में कर लेने वाले और दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराने वाले भारतीय वायु सैनिकों का जलवा देखना अपने आप में एक अनुभव से गुज़रने जैसा है। 86वें वायुसेना दिवस के मौके पर हिंडन एयरबेस पर वायुसैनिकों ने पूरी लयबद्धता और तालमेल के साथ जो एयर शो दिखाया, जिस तरह की परेड पेश की और अनुशासन का जो शानदार नमूना दिखाया उससे पूरे देश क
Read Moreयोग-साधना में लीन योगी, गोकुल में गाय के साथ बांसुरी बजाते श्रीकृष्ण, शांत मुद्रा में ध्यान की अवस्था में राजयोगी, प्रकृति का शांत वातावरण और उगते सूरज का अनुपम नजारा। ये दृश्य पेंटिंग कॉम्पटीशन कम वर्कशॉप में देखने को मिले।ब्रह्माकुमारीज संस्थान और दिल्ली के परिधि आर्ट ग्रुप की ओर से आयोजित इस प्रतियोगिता में देशभर से कलाकारों ने हिस्सा लिया।
Read Moreसोशल मीडिया के इस दौर में तमाम नए रचनाकारों की बेहतर अभिव्यक्ति तो ज़रूर नज़र आती है लेकिन वो अपने अलावा दूसरों को कितना पढ़ रहे हैं और सचमुच उनमें पढ़ने के प्रति दिलचस्पी है या नहीं, यह देखना बहुत ज़रूरी है। वरिष्ठ लेखक और उपन्यासकार विभूति नारायण राय ने गाजियाबाद के रचनाकारों के बीच अपनी यह चिंता जाहिर की और कहा कि तकनीकी तौर पर साहित्य की दुनिया भले ही समृद्ध हुई है लेकिन नए लेख
Read Moreजब कोई स्कूल अपने परिसर में साहित्य औऱ संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए नियमित आयोजन करने लगे तो ये संकेत साफ जाता है कि कम से कम उस स्कूल में तैयार हो रही नई पीढ़ी के लिए साहित्य और संस्कृति की परंपरा और मूल्यों को ज़रूर अहमियत दी जाती होगी। शहर का सिल्वर लाइन प्रेस्टिज स्कूल ऐसी ही एक मिसाल कायम कर रहा है। अपने नियमित साहित्यिक आयोजनों की कड़ी में इस स्कूल ने अपनी नेहरू नगर शाखा में क
Read Moreगाजियाबाद में साहित्य और संस्कृति से जुड़ी तमाम गतिविधियों की कड़ी में लगातार होने वाले नाटकों, संगीत आयोजनों और साहित्य चर्चाओं ने शहर को एक नया मिजाज़ दिया है। गांधर्व संगीत महाविद्यालय के 39वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के दौरान भी इसकी साफ झलक मिली।
Read Moreजाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर को देश के तमाम हिस्सों में अपने अपने तरीके से याद किया जा रहा है। 95 साल की उम्र तक लगातार सक्रिय रहते हुए सबको अलविदा कह गए कुलदीप नैयर को गाजियाबाद में भी पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों ने याद किया। वयोवृद्ध पत्रकार और कवि कृष्ण मित्र ने उस दौर की चर्चा की जब वे वीर अर्जुन अखबार में अटल जी के साथ काम करते थे। उन्होंने बताया कि उस दौर में तमा
Read Moreअमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ जोड़ने और विकसित करने को लेकर सम्मेलन में क्या विचार आए , उदय जी की इस रिपोर्ट से इसकी विस्तृत जानकार
Read More11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के दूसरे दिन चर्चा के केंद्र में भारतीय सांस्कृतिक विरासत ही रही। चर्चा में भाग ले रहे विद्वानों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के साथ भारत की सांस्कृतिक विविधता और विशेषता को भी बड़े फलक पर चमकाने की ललक दिखाई दी। इस बात पर लगभग सभी एकमत दिखे कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने के साथ भारतीय संस्कृति को भी उसी स्तर पर प्रसारित करने की जरूरत है।
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