हरमंदिर साहिब यानी चमचमाता स्वर्ण मंदिर ... गुरु की इस नगरी अमृतसर में दुनिया भर से लोग खूबसूरत स्वर्ण मंदिर देखने आते हैं...इस ऐतिहासिक शहर के भीतर आज़ादी के आंदोलन की कई यादें दर्ज़ हैं.. जनरल डायर की भयानक क्रूरता का गवाह जालियांवाला बाग है, दो देशों की सरहदों के बीच देश
यह भारतीय कला का आत्मसम्मान विहीन दौर है – अशोक भौमिक
जन संस्कृति मंच की लखनऊ इकाई के सालाना समारोह में लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा की स्मृति में भारतीय चित्रकला का सच विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्य वक्ता, जाने माने चित्रकार और कला समीक्षक अशोक भौमिक ने इस मौके पर भारतीय कला के तमाम पहलुओं और इसके ऐतिहासिक संदर्भों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय कला का इतिहास तभी से शुरू होता है जब से हम इन
जाने माने पत्रकार, लेखक, कवि और फिल्म की बेहतरीन और गहरी समझ रखने वाले प्रताप सिंह ने हाल ही में अपनी ताजा पुस्तक 'इन जैसा कोई दूसरा नहीं' में अपने ज़माने के अद्भुत गायक तलत महमूद पर एक यादगार लेख लिखा है। 7 रंग के लिए प्रताप सिंह ने अपना यह लेख कुछ अपडेट्स के साथ भेजा है। लखनऊ में 24 फरवरी 1924 को जन्मे तलत महमूद के लिए यह साल यानी 2024 उनके जन्म का शताब्दी साल है। उनके
नई दिल्ली। फोसवाल महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत 'दो निर्रथक युद्धों की पीड़ा' पर चर्चा से हुई। इस सत्र में केरल के लेखक, कवि के वी डोमिनिक, डिफेन्स जर्नलिस्ट नीरज राजपूत और समाजशास्त्री आशीष नंदी ने हिस्सा लिया। युद्धों के पीछे के कारणों पर चर्चा करते हुए के वी डोमिनिक ने कहा, "दुनिया भर मे
कबीर के वैश्विक ईश्वर न हिन्दू, न मुसलमान – प्रो. हरबंस मुखिया
फोसवाल महोत्सव में सामने आए साहित्य, संस्कृति की मौजूदा चिंतन के कई रंगनई दिल्ली:एक तरफ देश में चुनावी नतीजों के बाद सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं, दूसरी तरफ इससे अलग साहित्य और संस्कृति की दुनिया में कुछ नई और रचनात्मक कोशिशें जारी हैं। सार्क देशों के
नई दिल्ली: साहित्य और कला को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। पड़ोसी देशों की कला, साहित्य और संस्कृति को
एक मंच पर लाने वाला फोसवाल साहित्य महोत्सव इस बार 3 से 6 दिसंबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा
है। फोसवाल (पहले इसे सार्क महोत्सव कहते थे)का यह 64वां महोत्सव है। इसका आयोजन फाउंडेशन ऑ
वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकार, संपादक और अपनी लंबी साहित्यिक यात्रा के अनुभवों से भरे से रा यात्री का जाना साहित्य जगत के लिए एक सदमे की तरह है। यात्री के जाने से देश की हिन्दी पट्टी का साहित्य संसार जहां वीरान हो गया वहीं यात्री जी की साहित्यिक यात्रा पर पूर्ण विराम लग गया। बेशक या
स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना सम्मान अवधेश प्रधान को
चित्तौड़गढ़। साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान की घोषणा कर दी गई है। संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान बनारस निवासी प्रसिद्ध आलोचक अवधेश प्रधान को उनकी चर्चित कृति 'सीता की खोज' के लिए दिया जाएगा। डॉ शर्मा ने बताया कि जोशी की
आनंद स्वरूप वर्मा बेशक अस्सी बरस के हो गए हों, लेकिन उनके भीतर का जुझारू पत्रकार, लेखक और जनांदोलनों के प्रति उनका समर्पित एक्टिविज्म अब भी किसी उत्साही युवा की तरह बरकरार है। वो लगातार लिखते हैं, अनुवाद करते हैं, आज के तमाम जरूरी सवालों पर उसी शिद्दत के साथ बोलते हैं, साथ ही एक जनपक्षधर पत्रकारिता क
इधर किताबें खूब आ रही हैं। वक्त के साथ लेखकों के भीतर के भाव सोशल मीडिया पर तो अभिव्यक्त तो हो ही रहे हैं, किताबों का प्रकाशन भी बड़ी संख्या में हो रहा है। पर कुछ किताबें ऐसी हैं जिनपर चर