और विनोद दुआ भी चले गए... कुछ महीने पहले चिन्ना दुआ गई थीं तो कोरोना से टूट चुके विनोद जी बेहद अकेले हो गए थे... खुद को उबारने की कोशिश बहुत की, लेकिन बाहर नहीं निकल सके...उनका जाना एक जीवंत और जुझारू शख्सियत का बहुत जल्दी चले जाने जैसा है... उनमें एक पत्रकार के साथ साथ पूरा देश बसता था, यहां की संस्कृति, मिट्टी की महक, जायके की खूशबू और सियासत की बात करें तो सत्ता की विद्रूपताओं पर उनकी तल्ख व्
मशहूर टीवी पत्रकार विनोद दुआ ने जब नीलिमा डालमिया आधार की नई किताब ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ के हिन्दी संस्करण ‘कस्तूरबा की रहस्यमयी डायरी’ के कुछ हिस्से पढ़े और लेखिका के अनुभवों के साथ इन्हें जोड़ा गया तो लगा मानो हम एक बार फिर उस दौर में जा पहुंचे हों। नीलिमा ने बताया कि कैसे उन्होंने इस किताब को लिखते वक्त और इसके बारे में ऐतिहासिक तथ्यों की पड़ताल करते वक्त कस्तूरबा की ज