रचनाकार का काम रिझाना नहीं जागृत करना है : कमलेश भट्ट ‘कमल’ 
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September 30, 2024

 गाजियाबाद में 'कथा रंग' की ओर से आयोजित कथा संवाद में सुनी गई कहानियों पर विमर्श के दौरान सुप्रसिद्ध रचनाकार व कार्यक्रम अध्यक्ष योगेंद्र दत्त शर्मा ने कहा कि मशीनीकरण के इस दौर में संवेदना का क्षरण हो रहा है। इस क्षरण की वजह से समाज में संवेदनशीलता का लोप होता जा रहा है। साहित्य मनुष्य में संवेदना उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि यह सुखद स्थिति है कि एनसीआर में कहानी लिखने का एक ऐ

रचना में यथार्थ से समझौता न करें: अब्दुल बिस्मिल्लाह
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April 2, 2023

कथा रंग द्वारा आयोजित "कथा संवाद" में सुनाई गई कहानियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि यह आयोजन भविष्य के रचनाकारों के लिए जमीन तैयार कर रहा है। एक मशीनी शहर में कथा-कहानी का पूरा खेत तैयार हो गया है। जो भविष्य के प्रति हमें आश्वस्त करता है। लाज़िम है कहानी की एक लहराती फसल हम भी देखेंगे।

ईद पर‌ सजी बारादरी में अदब की महफ़िल 
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July 11, 2022

‘मैं भी उठूं, तुम भी उठो, चलो दीवार में इक खिड़की खोलें’
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February 8, 2021

गाजियाबाद में साहित्य की एक स्वस्थ और समृद्ध परंपरा रही है और इसे आज के दौर में जीवंत रखने का अद्भुत काम कर रहा है मीडिया 360 लिट्ररी फाउंडेशन। कोरोना काल के दौरान करीब एक साल तक बंद पड़ी गतिविधियों के बाद जब इस संस्था ने 7 फरवरी को गाजियाबाद में कथा संवाद को फिर से शुरु किया तो मानो हर किसी के भीतर का साहित्यकार और साहित्य के प्रति उसकी जायज चिंता फिर से जाग उठी। बड़ी संख्या में लोग होट

अब तो भइया, जो बिकता है, वही दिखता है…
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June 1, 2020

एक दौर था जब "जो दिखता है, वो बिकता है" जुमला भारतीय राजनीति और मीडिया के ताल्लुकों का पैमाना हुआ करता था। बीते दो दशकों में मीडिया, खासकर खबरिया चैनल्स की कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन आया है। अधिकांश मीडिया घरानों और खबरिया चैनल्स ने पेशेवर रुख अख्तियार कर लिया है। शायद उसी का नतीजा है कि उपरोक्त जुमला बदल कर यूं हो गया है -"जो बिकता है, वही दिखता है।"

‘कोरोना से जंग कौन लड़ रिया…’
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May 4, 2020

"लो जी कल लो बात...?" यह बात करने का कोई न्यौता था या वह सज्जन मुझे कुछ बताना चाह रहे थे? लहजा ही बड़ा अटपटा था- "लो जी... कल लो बात?" हमने गरदन मरोड़ कर चारों तरफ को देखा। ओरे-धोरे कोई नहीं था। फिर यह बात वाली "बात" किसने छेड़ी थी? अलबत्ता एक पड़ोसी अपनी छत पर खींसे निपोरता जरूर नजर आया।

संस्कार बचे रहेंगे तभी ‘धरा’ भी बचेगी
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September 29, 2018

अपनी धरती को हरा भरा करने और इसे प्रदूषण से बचाने को लेकर वैसे तो कई सरकारी अभियान चलते रहते हैं लेकिन कोई स्कूल जब  "धरा बचाओ संकल्प अभियान" चलाए और इस बहाने बच्चों में ये जागरूकता लाने की कोशिश करे तो ये उल्लेखनीय पहल मानी जा सकती है। तीन दिनों तक चलाए गए इस अभियान के तहत गाजियाबाद के सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल ने कई कार्यक्रम किए। नन्हे बच्चों के पॉम पॉम शो के साथ साथ शहर के जाने म

लिखने से पहले पढ़ना बेहद अहम है – विभूति नारायण राय
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September 10, 2018

सोशल मीडिया के इस दौर में तमाम नए रचनाकारों की बेहतर अभिव्यक्ति तो ज़रूर नज़र आती है लेकिन वो अपने अलावा दूसरों को कितना पढ़ रहे हैं और सचमुच उनमें पढ़ने के प्रति दिलचस्पी है या नहीं, यह देखना बहुत ज़रूरी है। वरिष्ठ लेखक और उपन्यासकार विभूति नारायण राय ने गाजियाबाद के रचनाकारों के बीच अपनी यह चिंता जाहिर की और कहा कि तकनीकी तौर पर साहित्य की दुनिया भले ही समृद्ध हुई है लेकिन नए लेख

‘साहित्य और कला की परंपरा का जीवित रहना एक सुखद अहसास’
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August 31, 2018

गाजियाबाद में साहित्य और संस्कृति से जुड़ी तमाम गतिविधियों की कड़ी में लगातार होने वाले नाटकों, संगीत आयोजनों और साहित्य चर्चाओं ने शहर को एक नया मिजाज़ दिया है। गांधर्व संगीत महाविद्यालय के 39वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के दौरान भी इसकी साफ झलक मिली।

गाजियाबाद से भी गहरा रिश्ता था अटल जी का
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August 16, 2018

अटल जी बेशक अब हमारे बीच न रहे हों, लेकिन उनकी यादें हर शहर के तमाम लोगों के दिलों में बसी हैं। वो जहां भी जाते, उस जगह के लोगों से एक आत्मीय रिश्ता जोड़ लेते थे। अपने लंबे राजनीतिक और साहित्यिक जीवन में अटल जी का गाजियाबाद से भी ऐसा ही लगाव था।

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