संस्कार बचे रहेंगे तभी ‘धरा’ भी बचेगी

सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के धरा बचाओ संकल्प अभियान का रंगारंग समापन

गाजियाबाद। अपनी धरती को हरा भरा करने और इसे प्रदूषण से बचाने को लेकर वैसे तो कई सरकारी अभियान चलते रहते हैं लेकिन कोई स्कूल जब  “धरा बचाओ संकल्प अभियान” चलाए और इस बहाने बच्चों में ये जागरूकता लाने की कोशिश करे तो ये उल्लेखनीय पहल मानी जा सकती है। तीन दिनों तक चलाए गए इस अभियान के तहत गाजियाबाद के सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल ने कई कार्यक्रम किए। नन्हे बच्चों के पॉम पॉम शो के साथ साथ शहर के जाने माने कवियों और बुद्धिजीवियों को जुटाया और बच्चों का मनोबल बढ़ाया। इस मौके पर रोटरी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एवं स्कूल के चेयरमैन रो. सुभाष जैन ने कहा कि प्रकृति और बच्चे ईश्वर की सबसे खूबसूरत संरचना हैं। इन दोनों को ही संरक्षण की आवश्यकता है। किसी एक के संरक्षण में हुई चूक के नतीजे घातक हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कार देने और प्रकृति को संरक्षित करने की जरूरत है। कवि नगर स्थित शाखा में आयोजित चौथे सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं धरा मित्र फाउंडेशन के संयोजक शिवराज सिंह ने कहा कि विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से नन्हे-मुन्ने बच्चों ने जल, वायु और धरा को बचाने का जो संदेश दिया है उसकी शुरूआत हमें अपने घरों से ही करनी होगी। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर ही हम पर्यावरण को 70 फ़ीसदी हानि पहुंचा रहे हैं।

श्री सिंह ने कहा कि एकल परिवारों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर खतरा अनावश्यक रूप से महसूस किया जा रहा है। उन्होंने अभिभावकों से संशय  मुक्त होकर बच्चों को स्कूल भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि अधिकांश अभिभावकों की हालत पीर, भिश्ती, बावर्ची की सी हो गई है। हम ही सब कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे बेहतर मां-बाप हो जाएं। बच्चों को बेहतर ढंग से गढ़ने की जिम्मेदारी शिक्षकों को निभाने दें। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रतीक्षा सक्सैना दत्त ने कहा कि पॉम- पॉम शो में बच्चों ने अपनी नैसर्गिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। जिसके लिए स्कूल का स्टाफ बधाई का पात्र है। अधिकांश स्कूलों में ऐसे आयोजनों का फिल्मीकरण हो गया है। बच्चों को ऐसे फूहड़ फिल्मी गानों पर नाचने को बाध्य किया जाता है जिन्हें हम परिवार के साथ बैठकर सुनना भी पसंद नहीं करते। उन्होंने अभिभावकों को आगाह करते हुए कहा कि इस दौर के बच्चे जल्दी परिपक्व हो रहे हैं। हम उन्हें क्वांटिटी टाइम नहीं दे सकते तो क्वालिटी टाइम तो देना ही पड़ेगा।

पूरा कार्यक्रम पर्यावरण को समर्पित रहा। ‘पर्यावरण बचाओ, अभियान की रजत जयंती मना रहे स्कूल के बच्चों ने अपनी कविताओं, नृत्य नाटिकाओं एवं गीतों के जरिए जल, धरा और वायु को स्वच्छ रखने का संदेश दिया। इस अवसर पर देश के विख्यात कवि गोविंद गुलशन ने कहा कि नन्हें मुन्ने दर्पण की तरह होते हैं। दर्पण सच ही बोलता है। बच्चों की बाबत उन्होंने फरमाया’ “झूठ नहीं बोलेगा दर्पण, झूठ नहीं बोलेगा, सच का बैरागी, सच के आंगन में ही डोलेगा।” कवि चेतन आनंद ने कहा कि भारतीय कला परंपरा 64 कलाओं पर टिकी है। सिल्वर लाइन स्कूल के बच्चों के प्रस्तुति देखकर लगता है कि यहां के तमाम बच्चे सभी कलाओं में पारंगत हैं।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि एवं गीतकार डॉ. धनंजय सिंह ने कहा कि नन्हें बच्चों ने जल, वायु व धारा को बचाने का बड़ा संदेश दिया है। इन बच्चों को स्वच्छ वातावरण देने का हमें संकल्प लेना होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आर. के. भदौरिया ने कहा कि हमारे वेद, उपनिषद सृष्टि और मानव को पंचतत्व से निर्मित बताते हैं। लिहाजा मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश की रक्षा भी हमें ही करनी है। डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि अध्यापन के लंबे अनुभव से उन्होंने सीखा है कि असल में बच्चे ही हमें पढ़ाते हैं। हम शिक्षा का वातावरण तैयार करते हैं तो शिक्षित और संस्कारवान बच्चों की उत्तम पौध तैयार होती है। उन्होंने जनसमूह से कहा कि हमें प्रकृति का संरक्षण उसी तरह से करना है जिस तरह से हम अपने बच्चों का संरक्षण करते हैं। इस अवसर पर श्रीमती संतोष ओबरॉय, प्रिंसिपल डॉ मंगला वैद्य, रोजी आहूजा, मनन जैन, आलोक यात्री, प्रवीण कुमार, निधि जैन, कुमकुम गर्ग, रेनू चोपड़ा, कविता शरणा, स्वाति अग्रवाल, रो. आलोक गर्ग, रो. सुनील गौतम, स्वाति गोयल, मीरा गुप्ता, स्वाति अग्रवाल, मीनाक्षी शर्मा, अंजू शर्मा, श्रुति शर्मा, शिखा शर्मा एवं मोनिका आदि मौजूद थे।

Posted Date:

September 29, 2018

9:33 pm Tags: , , , ,
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