जब समझना नहीं, फिर पढ़ना क्‍यों ?
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July 31, 2020

हम कोई कहानी अथवा किताब क्‍यों पढ़ते हैं? पढ़कर यदि हम समझते हैं तो उस पर अमल क्‍यों नहीं करते हैं? हो सकता है कि इन दिनों मेरा दिमाग खराब हो गया हो. इसलिए शायद मैं बहकी-बहकी बातें सोचने लगा हूं. हर साल की तरह इस साल भी 31 जुलाई को हम प्रेमचंद जयंती मनाएंगे. उनकी कहानियों पर चर्चा करेंगे और शांत बैठ जाएंगे. हम उन कहानियों से कुछ सीखते क्‍यों नहीं हैं? यदि सीखना नहीं है तो फिर पढ़ना क्‍यों है

आखिर प्रेमचंद आज भी क्यों प्रासंगिक हैं?
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July 31, 2019

प्रेमचंद को महज एक कहानीकार या कथा सम्राट मानकर उनकी जयंती मना लेना या याद करना शायद उचित नहीं है। दरअसल कोई कहानीकार या लेखक क्यों महान होता है या उसके लेखन में वे कौन से तत्व होते हैं जो उसे अमर या कालजयी बनाते हैं, इन जानकारियों को उसी संदर्भ में देखना चाहिए। महज 56 साल के अपने जीवन काल में प्रेमचंद ने आने वाली कई शताब्दियों के हिन्दुस्तान को देख लिया। उनके वक्त में देश आजाद नहीं ह

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