मशहूर खानपान विशेषज्ञ और लेखक केटी अचाया ने इंडियन फूड में देश के हर इलाकों के खानपान, कृषि और खानपान के इतिहास की बात की है. उसी किताब में कहा गया है, 16वीं सदी में उत्तर प्रदेश के गंगा के किनारे के इलाकों में जो खाने लोकप्रिय थे, उसमें सत्तू, जौ का आटा ज्यादा प्रचलन में था, दालें खूब होती थीं. लिहाजा उनसे मुंगोड़ी और बड़ियां बनाई जाती थीं. इनका उपयोग सब्जियों के साथ होता था.
महेश्वर दयाल की किताब "दिल्ली जो एक शहर था" में कहा गया, "दिल्ली के कायस्थ घरों में बड़ा उम्दा खाना बनता था. दिल्ली के माथुर कायस्थों के यहां गोश्त की एक किस्म बड़ी स्वादिष्ट बनती थी, जिसे शबदेग कहा जाता था. गोश्त को कई सब्जियों में मिलाकर और उसके अंदर कई खास मसाले डालकर घंटे घीमी आंच पर पकाया जाता था. मछली के कोफ्ते और अदले, पसंदे रोज खाए जाते थे."