कला के कई रूप हैं। रंगों की अपनी भाषा है। रेखाएं बोलती हैं। कलाकृतियां कुछ कहती हैं। चित्रों के पीछे पूरा एक दर्शन छुपा होता है और रंगों के संयोजन के पीछे कहीं न कहीं कोई कल्पना होती है। देशभर में कलाकार तो भरे पड़े हैं, दिल्ली, मुंबई समेत तमाम बड़े शहरों में बनी आर्ट गैलरी किसी न किसी कलाकार के काम का एक बेहतरीन आईना भी हैं। लेकिन तमाम कलाकारों का दर्द है कि इस देश में कला की कद्र नहीं। तमाम अकादमियां हैं, आर्ट और स्कल्पचर के तमाम कॉलेज हैं, बड़ी संख्या में यहां ये हुनर सीखने वाले भी हैं लेकिन ऐसा क्या है जो कलाकारों के भीतर उपेक्षा का भाव भरता है। हमारा मकसद इन सवालों पर बहस के साथ साथ देश भर के उन कलाकारों को मंच देना है और उनके काम को एक बड़ा आयाम देना है जो महज गैलरी में सिमट कर रह जाते हैं और चंद पेंटिग्स के बिक जाने का इंतज़ार भर करते हैं। कला के क्षेत्र में नया क्या हो रहा है, नई पीढ़ी के कलाकार क्या कर रहे हैं और जाने माने कलाकारों के काम को दुनिया किस तरह देख रही है – ये सब हम बताने की कोशिश करेंगे।
325 स्टॉल्स, करीब एक हजार कलाकार। कला, नृत्य, संगीत और रंगकर्म का बेहद खूबसूरत संगम...इन बेहतरीन यादों के साथ पहला अंतर्राष्ट्रीय कला मेला खत्म हो गया। इस मेले में यूरोप, पैन एशिया और अफ्रीका से आए कलाकारों ने अपने देश की कला और संस्कृति से जुड़ी बेजोड़ प्रस्तुतियां दीं। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में ललित कला अकादमी की ओर से आयोजित 15 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में एक ला
Read Moreअंतर्राष्ट्रीय कला मेला इतने बड़े पैमाने पर पहली बार हो रहा है। लेकिन इतनी कोशिशों के बावजूद मेले में मीडिया और आम लोगों की दिलचस्पी कम होने की वजह से यहां आए कलाकारों में कुछ मायूसी का भाव नज़र आ रहा है। तमाम कलाकार ये कहते नज़र आ रहे हैं कि अभी तक उनके स्टॉल का खर्च तक नहीं निकल पाया है, लेकिन उम्मीद है 18 फरवरी तक स्थितियां बदलेंगी।
Read Moreइंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आयोजित प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कला मेला ने रंग जमाना शुरू कर दिया है। मेले के दूसरे दिन नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. कैलाश सत्यार्थी भी मेला देखने पहुंचे जबकि शाम में साहित्य कला परिषद् की ओर से फ्यूज़न डांस पेश किया गया। डॉ सत्यार्थी ने कई कलाकारों से मुलाकात की और उनसे उनकी कला के बारे में जाना। उनका मानना है कि देश भर के स्कूली बच्चों को और नई पीढ
Read Moreकला और संस्कृति की बेहतरी, संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए काम करने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था ललित कला अकादमी 4 से 18 फरवरी तक अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला का आयोजन करने जा रही है। दिल्ली के इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में रोजाना 12 बजे से रात 8 बजे तक पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रहे इस कला मेले में देश विदेश के कलाकार और कला समूह अपनी कलाकृतियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करने
Read Moreशिक्षण के क्षेत्र में कला की स्वीकार्यता अब तक नहीं हो पाई है। स्कूलों में जहां इसे एक अतिरिक्त या शौकिया विषय के तौर पर लिया जाता है, वहीं तमाम कला संस्थानों में आने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। न तो कला को समझने वाले मिलते हैं, न मीडिया में इसके बारे में लिखने वाले बचे हैं और न ही कला के तमाम आयामों को करियर के तौर पर मान्यता मिल पा रही है। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्
Read Moreज़िंदगी के महज 28 सालों में कोई कितना कुछ कर सकता है, कितनी उपलब्धियां हासिल कर सकता है और कौन सा मुकाम हासिल कर सकता है... यह जानना है तो महान पेंटर और भारतीय कला को एक नया आयाम देकर अमर हो जाने वाली अमृता शेर गिल को याद कीजिए। भारतीय कला की जब भी बात होती है, राजा रवि वर्मा को तो सब याद करते ही हैं लेकिन आधुनिक भारतीय कला की जनक के तौर पर अगर किसी का नाम लिया जाता है तो वह अमृता शेरगिल हैं।
Read Moreकिसी प्राकृतिक आपदा और ऐसी किसी त्रासदी को एक कलाकार किस तरह देखता है और उसे अपनी कला के ज़रिये कैसे आम लोगों के सामने अभिव्यक्त करता है, इसे समझना है तो देहरादून में बनाए गए उत्तरा समकालीन आधुनिक कला संग्रहालय आइए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस अनोखे कला संग्रहालय और गैलरी को 4 अक्तूबर को कला प्रेमियों और आम जनता को समर्पित किया। इस गैलरी और संग्रहालय की परिकल्पना जाने
Read Moreआज के दौर में अगर लघु पत्रिका और खासकर इस विषय पर केन्द्रित एक पत्रिका को निकालने की हिम्मत जुटाना आसान काम नहीं। लेकिन युवा पत्रकार आलोक पराड़कर की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपने इस जज़्बे को बरकरार रखते हुए ‘नाद रंग’ निकालने का साहस किया। व्यावसायिकता और बाज़ारीकरण के इस दौर में पत्रिका निकाल पाना और उसे चला पाना कठिन चुनौती है और खासकर तब भी जब ‘डिजिटल युग’ और ‘मोबाइलीकरण’ न
Read Moreरशियन एकेडमी ऑफ आर्ट्स ने ललित कला अकादमी के प्रशासक और प्रमुख सी एस कृष्ण सेट्टी को प्रतिष्ठित मानद सदस्यता देकर कर उन्हें सम्मानित किया है। फ्रांस की राजकुमारी चेनटल, बान की-मून और जुबिन मेहता जैसी 84 हस्तियों को अबतक इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। रशियन एकेडमी के 260 साल के इतिहास में पद्म विभूषण सतीश गुजराल और कलाविद-कलाकार ओ पी शर्मा के बाद सेट्टी तीसरे भारतीय कलाकार हैं जिन्हें
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