मज़दूरों के हक के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देने वाले और मुफलिसी के बावजूद अपने उसूलों से समझौता न करने वाले रामदेव सिंह की कहानी आज के दौर में मजदूरों के बिखरे संघर्ष और खत्म हो रहे ट्रेड यूनियन आंदोलन को देखते हुए नई पीढ़ी में प्रेरणा का संचार कर सकता है। ये आलेख 7 रंग को भेजा है अरुण तिवारी ने। हिंडाल्को, रेनूकूट के मजदूर नेता रामदेव सिंह 14 वर्षों तक कंपनी
अपने पिता की विरासत और उनकी कला दृष्टि को एक ऊंचाई तक पहुंचाने की बरसों से कोशिश में लगी निवेदिता मिश्रा के लिए इस बार का महिला दिवस बेहद खास रहा। दिल्ली के त्रिवेणी आर्ट गैलरी में 8 मार्च से 23 मार्च तक आप हर तरफ निवेदिता मिश्रा के बेहतरीन स्कल्पचर और मूर्तिकला को देख और महसूस कर सकते हैं। निवेदिता की इस प्रदर्शनी का नाम है ‘नित्य’। ओडिसा के बोलंगीर से ताल्लुक रखने वाली निवेदिता
'...पिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच `न होने’ का काल है। यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।...' Read More
कोरोना के कारण भारतीय और हिंदी रंगमंच को जो क्षति हुई है उसकी गिनती की जाए तो उसमें एक बड़ा नाम एस एम अज़हर आलम (जन्म 17 अप्रेल 1968) का होगा। लगभग एक साल पहले यानी 20 अप्रेल 2021 को वे कोरोना के शिकार हुए थे। उसके कुछ ही दिन पहले उनको मौलिक नाट्य लेखन के लिए नेमीचंद्र जैन नाट्यलेखन सम्मान मिला था। पर ये सम्मान अज़हर आलम का महत्त्वपूर्ण पर छोटा परिचय ही था। Read More