अंजुम के रंगों में जीवन की सहजता है
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March 8, 2022

ला की कई परिभाषाएं हैं। इनमें एक है कि कला आत्म का आविष्कार है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि एक कलाकार अपने व्यक्तित्व को अपनी कला के माध्यम से अर्जित करता है। निजी

अजहर आलम की याद
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March 5, 2022

कोरोना के कारण भारतीय और हिंदी रंगमंच को जो क्षति हुई है उसकी गिनती की जाए तो उसमें एक बड़ा नाम एस एम अज़हर आलम (जन्म 17 अप्रेल 1968) का होगा। लगभग एक साल पहले यानी 20 अप्रेल 2021 को वे कोरोना के शिकार हुए थे। उसके कुछ ही दिन  पहले उनको मौलिक नाट्य लेखन के लिए नेमीचंद्र जैन नाट्यलेखन सम्मान मिला था। पर ये सम्मान अज़हर आलम का महत्त्वपूर्ण पर छोटा परिचय ही था। Read More

अपनी परंपराओं की बदौलत ही युद्ध में डटा है यूक्रेन
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March 2, 2022

(जाने माने पत्रकार, लेखक, कवि, अनुवादक और विदेश मामलों के जानकार त्रिनेत्र जोशी ने बीमारी के बावजूद ये लेख 7 रंग के लिए लिखा है। रूस, चीन, यूक्रेन समेत पुराने सोवियत संघ की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हालातों को गंभीरता से पढ़ने, विश्लेषण करने के अलावा इन देशों के साहित्य और संस्कृति को भी वे गहराई से समझते हैं। त्रिनेत्र जी  7 रंग के पाठकों के लिए अपनी टिप

पंडित जी जैसा कोई और नहीं हो सकता…
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January 18, 2022

16 जनवरी 2022 की रात करीब बारह- सवा बारह बजे का वक्त। दिल्ली के अपने घर में पंडित जी अपनी दो पोतियों रागिनी और यशस्विनी के अलावा दो शिष्यों के साथ पुराने फिल्मी गीतों की अंताक्षरी खेल रहे थे। हंसते मुस्कराते, बात बात पर चुटकी लेते पंडित जी को अचानक सांस की तकलीफ हुई और कुछ ही देर मे

कथक की बारीकियों से ऊपर थे पंडित बिरजू महाराज
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January 17, 2022

उनकी शख्सियत में एक खास किस्म की रूमायित और सादगी थी। उनके भीतर इस उम्र में भी एक छोटा बच्चा था। उनके कथक की बारीकियां और उनकी भाव भंगिमाएं तो सब

एक प्रतिभा सम्पन्न रचनाकार : डॉ. श्याम निर्मम
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December 24, 2021

प्रख्यात गीतकार डॉ. श्याम निर्मम की 9वीं पुण्यतिथि पर विशेष प्रस्तुति
(जाने माने वयोवृद्ध कवि कृष्ण मित्र 88 साल के हो चुके हैं... उनकी यादों में तमाम साहित्यकार और कवियों के ढेर सारे अनुभव हैं। कृष्ण मित्र जी ने प्रख्या

इस मुश्किल दौर में भी कथा संवाद जैसे साहित्यिक आयोजन उम्मीद जगाते हैं
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December 20, 2021

‘बदलते वक्त के साथ कहानियों का संसार बदला है, उन्हें पढ़ने के तौर तरीके भी बदले हैं। अब वो दौर नहीं है कि कहानियां या उपन्यास सोने से पहले नींद की गोली की तरह इस्तेमाल किए जाते थे... दो चार पेज पढ़ा, नींद आ गई फिर किताब किनारे रख दी। अब इंटरनेट पर तमाम प्लेटफॉर्म्स हैं, सोशल मीडिया है, जहां आप जब चाहें, पढ़ सकते हैं। इसलिए लिखते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम लिख किसके

पंडित रविशंकर के दिल की बात, कुछ अनछुए किस्से
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December 12, 2021

सितार सम्राट पंडित रविशंकर से मिलना एक अनुभव था...  युवावस्था में खराब आदतों के शिकार और विदेश में रहकर बिगड़ चुके पंडित जी ने कैसे सुधरी अपनी आदतें, कैसे बने एक संवेदनशील और मानवीय इंसान.. उनके गुरु ने कैसे बनाया उन्हें इतना बेहतरीन सितारवादक... संगीत ने कैसे बदली पंडित जी की ज़िंदगी....अतुल सिन्हा के साथ पंडित रविशंकर का एक ऐसा इंटरव्यू जिसमें पंडित जी ने बता

रघुवीर सहाय का दौर और आज की पत्रकारिता
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December 9, 2021

     वो दौर

रघुवीर सहाय, मंगलेश डबराल की याद में प्रतिरोध दिवस
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December 9, 2021

देश के सौ से ज्यादा लेखकों और रचनाकारों ने फासीवादी ताकतों के उभार और

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