भारतीय जन नाट्य संघ (इंडियन प्रोग्रेसिव थिएटर एसोसिएशन) यानी इप्टा ने बहुत ही संज़ीदगी के साथ जाने माने लेखक, पत्रकार, और फिल्मकार ख्वाज़ा अहमद अब्बास को याद किया... इसी कड़ी में अब्बास की फिल्मों और खासकर उनकी फिल्म हिना को केन्द्र में रखकर उनकी रचनात्मक दृष्टि पर चर्चा हुई... इसकी रिपोर्ट इप्टा की ओर से 7 रंग के लिए अर्पिता ने भेजी है...
Read Moreअभिनय के आसमान दिलीप कुमार सौ बसंत पूरे होने से पहले ही स्मृति-लोप के साथ इस दुनिया से विदा ले गए। हमारे समय के सबसे कड़े लिक्खाड़ कवि और सिने विशेषज्ञ विष्णु खरे जी ने उनकी रेंज पहचानते हुए कभी दिलीप कुमार को विश्व कोटि के बेहतरीन अदाकार पाल मुनि और मार्लेन ब्रांडो की कद-काठी और उन्हीं की श्रेणी का बताया था। तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं है।
Read Moreवैसे तो दिलीप साहब के गुज़र जाने पर सोशल मीडिया और तमाम माध्यमों पर उन्हें सब अपने अपने तरीके से याद कर रहे हैं और उनके न होने का मतलब भी बताने की कोशिश कर रहे हैं....दिलीप साहब किस गहराई से आज भी लोगों के दिलो दिमाग पर छाए रहे और किस तरह सिनेमा को उन्होंने नई दिशा दी, ट्रेजेडी को भी एक रूमानियत की बेहतरी अभिव्यक्ति बना दी... ये सब बहुत साफ हो रहा है.. सिनेमा भले ही कहां से कहां आ गया है, तकनीक
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