कायस्थ हमेशा से खाने-पीने के शौकीन रहे हैं. लेकिन ये सब भी उन्होंने एक स्टाइल के साथ किया. आज भी अगर पुराने कायस्थ परिवारों से बात करिए या उन परिवारों से ताल्लुक रखने वालों से बात करिए तो वो बताएंगे कि किस तरह कायस्थों की कोठियों में बेहतरीन खानपान, गीत-संगीत और शास्त्रीय सुरों की महफिलें सजा करती थीं.
Read Moreचाहे खेल हो, संस्कृति हो, परंपराएं हों या फिर इतिहास के पन्नों में बिखरी ढेर सारी जानकारियां वरिष्ठ पत्रकार संजय श्रीवास्तव बहुत बारीकी से उनपर नज़र डालते हैं। इन दिनों अपने फेसबुक वॉल पर कायस्थों के खान-पान पर अपनी शोधपरक और दिलचस्प जानकारियों के साथ कुछ कड़ियां लिख रहे हैं। हालांकि अब कायस्थ के तमाम परिवार इन परंपरागत खान पान से दूर हो चुके हैं लेकिन इन्हें पढ़ना और उन ज़ायकों
Read Moreप्रभात सिंह एक बेहतरीन फोटोग्राफर हैं, कला-संस्कृति-इतिहास-पुरातत्व में खासी दिलचस्पी रखते हैं। उनकी वेबसाइट पर तमाम पठनीय चीजें आपको मिल जाएंगी। उनमें से कुछ हम 7 रंग के पाठकों के लिए लाते रहेंगे। फिलहाल प्रभात सिंह का यह फोटो फीचर देखिए जो उन्होंने उड़ीसा के मशहूर कोणार्क के सूर्य मंदिर में घूमते हुए अपने कैमरे में कैद किया है
Read Moreदो हफ्ते हो गै, दस दिनां से निगाहं अटकी है रस्ते पे..., मुआ कोई तो सूरत दिखाए... टंगे खिड़की पे चिड़ियाघर में बंदर की माफिक...यूई जरिया बचा अब तो... खुदी बांच लो... जो बांच लो सो बांट लो... पोथे बांचते आंख भी ढेल्ला हो गीं
Read Moreवाराणसी के जाने माने रंगकर्मी गोपाल गुर्जर की बेशक कोई राष्ट्रीय पहचान न बन पाई हो लेकिन उनकी प्रतिभा को रंग जगत और सिने जगत ने कुछ हद तक पहचाना जरूर। उनका गुज़रना कम से कम वाराणसी रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। संवेदनशील पत्रकार और ‘नाद रंग’ पत्रिका के संपादक आलोक पराड़कर ने गोपाल गुर्जर को ‘राष्ट्रीय सहारा’ में लिखे अपने लेख के ज़रिये कुछ इस तरह याद किया.. 7 रंग के पाठको
Read Moreपूरी दुनिया कोरोना वायरस से खौफजदा है। लोगों के घर से निकलने पर पाबंदी है। डॉक्टर की बिन मांगी सलाह पर अमल करते हुए मैंने भी पार्क में घुमक्कड़ी बंद कर छत की राह पकड़ ली है। टहलने को इससे मुफीद जगह और क्या होगी? बरसों से रूठे, मुंह चढ़ाए बैठे अड़ोसियों-पड़ोसियों से भारत-पाक का सा बैर भी खत्म हो गया है।
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