गाजियाबाद में साहित्य और संस्कृति से जुड़ी तमाम गतिविधियों की कड़ी में लगातार होने वाले नाटकों, संगीत आयोजनों और साहित्य चर्चाओं ने शहर को एक नया मिजाज़ दिया है। गांधर्व संगीत महाविद्यालय के 39वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के दौरान भी इसकी साफ झलक मिली।
Read Moreजाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर को देश के तमाम हिस्सों में अपने अपने तरीके से याद किया जा रहा है। 95 साल की उम्र तक लगातार सक्रिय रहते हुए सबको अलविदा कह गए कुलदीप नैयर को गाजियाबाद में भी पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों ने याद किया। वयोवृद्ध पत्रकार और कवि कृष्ण मित्र ने उस दौर की चर्चा की जब वे वीर अर्जुन अखबार में अटल जी के साथ काम करते थे। उन्होंने बताया कि उस दौर में तमा
Read Moreहम दोनों की ज़ड़ें मूल रूप से पाकिस्तान से थीं। इसलिए पाकिस्तान हमारा प्रिय विषय रहा। हमने वहां की राजनीति से लेकर तमाम पहलुओं पर खूब लिखा। एक दूसरे का बतौर पत्रकार हम काफी सम्मान करते थे। लेकिन नैयर साहब दिल्ली में रहे और हर कूटनीतिक मामलों में उनकी कलम का लोहा तमाम लोगों ने माना। चाहे वो बांग्लादेश का मामला हो या पाकिस्तान का या फिर दूसरे पड़ोसी देशों का, कुलदीप नैयर की राय अहम म
Read Moreपरसाई जी ने व्यंग्य को जो नए आयाम दिए, उन्होंने देश, समाज, रिश्ते-नाते, राजनीति और साहित्य से लेकर मध्यवर्ग की महात्वाकांक्षाओं को अपनी चुटीली शैली में जिस तरह पेश किया, वह अब के लेखन में आप नहीं पा सकते। हरिशंकर परसाई के विशाल रचना संसार से गुजरते हुए आपको उनके व्यक्तित्व की पूरी झलक मिल जाएगी। ये भी पता चलेगा कि दौर चाहे कोई भी हो, अगर आपका नज़रिया साफ हो, समाज और व्यक्ति को देखने की
Read Moreअमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ जोड़ने और विकसित करने को लेकर सम्मेलन में क्या विचार आए , उदय जी की इस रिपोर्ट से इसकी विस्तृत जानकार
Read Moreउस्ताद बिस्मिल्ला खां को गुज़रे आज 12 साल हो गए, लेकिन न तो शहनाई का कोई और उम्दा कलाकार उभर कर सामने आ सका और न ही शहनाई का वो रुआब अब बाकी रह गया। शादी-ब्याह के दौरान, तमाम शुभ अवसरों पर शहनाई का बजना एक परंपरागत और बेहद संजीदा माहौल पैदा करता था। बिस्मिल्ला खां तब भी सबके आदर्श थे और तमाम पेशेवर शहनाईवादक उनकी ही धुनें बजाने को अपनी शान समझते थे। खासकर फिल्म गूंज उठी शहनाई के उस गीत की
Read More11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के दूसरे दिन चर्चा के केंद्र में भारतीय सांस्कृतिक विरासत ही रही। चर्चा में भाग ले रहे विद्वानों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के साथ भारत की सांस्कृतिक विविधता और विशेषता को भी बड़े फलक पर चमकाने की ललक दिखाई दी। इस बात पर लगभग सभी एकमत दिखे कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने के साथ भारतीय संस्कृति को भी उसी स्तर पर प्रसारित करने की जरूरत है।
Read Moreत्रिलोचन जी को याद करना एक पूरे युग को याद करने जैसा है। उनका विशाल रचना संसार और बेहद सरल व्यक्तित्व अब आपको कहीं नहीं मिलेगा। उनकी कविताओं को, उनकी रचना यात्रा को और उनके साथ बिताए गए कुछ बेहतरीन पलों को साझा करना शायद बहुत से लोग चाहें, लेकिन बदलते दौर में, नए सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में और साहित्यिक जमात की खेमेबाजी में त्रिलोचन आज भी हाशिए पर हैं। उनकी जन्म शताब्दि की औपचारि
Read Moreअमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार इन दिनों पोर्ट लुई में चल रहे 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिस्सा लेने मॉरीशस में हैं। अमर उजाला और अमर उजाला डॉट कॉम पर उदय जी वहां के सत्रों के कई पहलुओं पर लिख रहे हैं। हिन्दी फिल्मों का भारतीय संस्कृति से कितना गहरा नाता है ये बताने की कोशिश की प्रसून जोशी ने। उदय कुमार की ये रिपोर्ट हम अमर उजाला से साभार '7 रंग 'के पाठकों के लिए पेश कर रहे ह
Read Moreअटल जी का कहा एक वाक्य याद है। श्री कांबोज जी ने मुख्य अतिथि की शान में काफी कसीदे पढ़े। श्री वाजपेई जी ने अपना संबोधन यहां से प्रारंभ किया "मैं मेहमान नहीं हूं, अतिथि हूं।" उन्होंने श्रोताओं से सवाल किया अतिथि किसे कहते हैं"? जवाब भी खुद ही दिया। "अतिथि वह होता है जो तिथि निर्धारित किए बिना ही आ जाए।" और बाद के दिनों में उनका यह कथन कई बार व्यवहारिक रूप में भी सामने आया। कई भाजपा नेताओं क
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