वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोक दीप की नज़र में सर्वेश्वर
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September 15, 2020

जब मैंने लोकसभा सचिवालय की नौकरी छोड़ 'दिनमान' से जुड़ने का निर्णय किया तो कुछ लोग मुझे डराने लगे। वहां बहुत दिग्गज हैं, तड़ीबाज हैं,धाँसू हैं वहां के माहौल में तुम अनफिट हो। बिन मांगे जबरन सलाह देने वाले ऐसे लोगों से पिंड छुड़ा कर मैं पहली जनवरी, 1966 में दिनमान से जुड़ गया ।मुझे वहां का वातावरण बहुत ही सुखद और सुकून भरा लगा। अज्ञेय जी ने सभी से मेरा परिचय कराया - मनोहर श्याम जोशी, जितेन्द्र ग

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