अब्दुर रहीम खान-ए-खाना के मकबरे की रेलिंग पर टंगे फटे फ्लैक्स पर उनका यह दोहा हवा के हर झौंके पर फड़फड़ाता है। कोरोना के संकट से घिरे देश में जहां हर सार्वजनिक स्थल और दुकानों के बाहर मोटी-मोटी रस्सियां बंधी हैं, प्रेम का यह फड़फड़ाता धागा शायद ही किसी का ध्यान खींचता है।