रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय…

दिल्ली  में आखिर किस हाल में हैं रहीम… चलिए, लॉकडाउन में देखते हैं… 

♦ सुधीर राघव

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे पे फिर न जुरे, जुरे गांठ परी जाय।।

   

अब्दुर रहीम खान-ए-खाना के मकबरे की रेलिंग पर टंगे फटे फ्लैक्स पर उनका यह दोहा हवा के हर झौंके पर फड़फड़ाता है। कोरोना के संकट से घिरे देश में जहां हर सार्वजनिक स्थल और दुकानों के बाहर मोटी-मोटी रस्सियां बंधी हैं, प्रेम का यह फड़फड़ाता धागा शायद ही किसी का ध्यान खींचता है।

जब से लॉकडाउन शुरू हुआ, यह धागा अनेक जगह से टूटा है। टुकड़ों-टुकड़ों में बिखरा है। अंग्रेजी के सोशल डिस्टेंसिंग शब्द को हमने सचमुच सामाजिक दूरी के अर्थ में अपनाया। महज छह गज की शारीरिक दूरी के संदर्भ में नहीं। कुछ ऐसे भी हैं, जिनके लिए यह दिलों को बांटने का सुअवसर है।

 

हवा के हर झौंके पर प्रेम के धागे का फटा फ्लैक्स जिस दिशा में फड़फड़ा रहा है, वहीं सामने तबलीगी जमात का मरकज है। उसके सामने का रास्ता बंद है। पुलिस तैनात है। लोहे के बेरिकेड लगे हैं। और लोहा किसी भी नंगे और रस्से से कहीं मजबूत चीज है। इसलिए जिसे इधर से होकर जाना है, वह डबल लेन के इस रास्ते पर रॉन्ग लेन से जाए, क्योंकि सही और सीधा रास्ता बंद है।

यह वही मरकज जिससे मीडिया के एक हिस्से ने और नेताओं की एक बड़ी जुंडली ने कोरोना के बहाने नफ़रत के नये कु-रूपक गढ़े। बीमारी को बीमारी की तरह नहीं, हथियार की तरह देखा गया। मौका माना गया। हर तरफ नफ़रत के नंगे नाच में प्रेम के धागे की सुध कौन ले। कौन चिंता करें कि फ्लैक्स फट चुका है। प्रेम का धागा फड़फड़ा रहा है। कौन सोचे कि इस धागे को बचाया जाए, ताकि गांठ न पड़े।

हमारी बात सिर्फ नई दिल्ली की नहीं है। दिल्ली नई नहीं है। पुरानी है। अलबत्ता जो पुरानी है, वही दिल्ली है। नई दिल्ली देश चलाती है। पुरानी देश का हाल बताती है। यह दीगर बात है, जो देश का हाल बताता है, उसे देश चलाने नहीं दिया जाता। वह भूखे पेट सड़कें नापता है। वह कोरोनावायरस से नहीं, सियासतदानों से डरता है।

अब लौटते हैं रहीम पर। यह नाम इंसानियत से रूहानियत तक जाने का रास्ता है। लेकिन अफ़सोस कि इस नाम पर यहां कोई रास्ता नहीं है। अगर सदियों से सोये रहीम से मिलना है तो इंडिया गेट का चक्कर काटिए। अक़बर रोड, कस्तूरबा गांधी मार्ग और शेरशाह सूरी मार्ग। इन सबको छोड़िए और पकड़िए डॉ. ज़ाकिर हुसैन मार्ग। देश के तीसरे राष्ट्रपति ज़ाकिर साहब न सिर्फ विद्वान अर्थशास्त्री थे, बल्कि साहित्य पर भी उनकी खूब पकड़ रही। मिर्ज़ा ग़ालिब के संकलन को फिर से सामने लाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। अब भी जाकिर हुसैन मार्ग लोगों को रहीम और ग़ालिब दोनों तक ले जाता है। यही मार्ग आपको उस मथुरा रोड पर लाएगा जहां सब्ज बुर्ज और मुगल सम्राट हुमायूं के मकबरे से आगे अब्दुर रहीम खान-ए-खाना का मकबरा है।

इतिहास बताता है कि रहीम ने अपनी नेकदिली और विद्वता से जो कमाया उसे दरबारी नबाव और राजा ही नहीं मुगल सम्राट तक को ईर्ष्या हुई। रहीम ने यह मकबरा 1598 में अपनी बेगम महा बानू की याद में बनवाया था। उस जमाने में बेगम को सम्मान देने का मूल विचार असल में रहीम ने ही दिया था, जिसे आगे चलकर मुगल बादशाह जहांगीर के बेटे शाहजहां ने अपनाया। यही वजह है कि ताजमहल की वास्तुकला रहीम के मकबरे की वास्तुशिल्प से बहुत मिलती-जुलती है। यह भी कहा जा सकता है कि ताजमहल इसकी शक्ल है, जिसमें सिर्फ संगमरमर और कुछ मीनारों का फर्क है।

ताजमहल भले मुमताज़  महल की याद में हो मगर इसका वास्तु और विचार विद्वानों के लिए हमेशा रहीम की ही बात करेगा। मुगल सम्राट जहांगीर ने रहीम से जो बुरा बरताव किया था, उसके बेटे शाहजहां ने शायद उसी ऋण की भरपाई की। मगर मन की बात इतिहास में दर्ज नहीं होती।

नबाव शुजाउद्दौला भले ही शानो-शौकत के लिए जाने जाते हों मगर कुछ मामलों में बहुत किफायती थे‌। 1753 में जब उन्होंने अपने पिता मिर्जा मुकीम अब्दुल मैसूर खां उर्फ सफदरजंग का मकबरा बनवाया तो उसमें डेढ़ सौ साल पुराने रहीम के मकबरे से पत्थर निकलवाकर लगवाए।

सन 1627 में मौत के बाद रहीम को भी अपनी बेगम के बगल में इसी मकबरे में दफनाया गया था। वह तबसे यहीं चिरनिंद्रा लीन हैं। इंसनीयत और मानवता जब संकट में होती है, प्रेम का धागा फड़फड़ाने लगता है। रहिमन धागा प्रेम का… असल में यह दोहा नहीं मंत्र है। इंसान में इंसानियत को जिंदा रखने का मंत्र।

घने अंधेरे में उम्मीद की किरण हमेशा रहती है। रहीम के मकबरे के संरक्षण का काम भी जारी है। 2014 में आगा खा ट्रस्ट फॉर कल्चर ने एएसआइ और इंटरग्लोब फाउंडेशन के साथ मिलकर इसके संरक्षण का कार्य शुरू किया था। उम्मीद है कि यह अगले कुछ वर्षों में पूरा हो जाएगा और मानवीय प्रेम के प्रतीक इस मकबरे की पुरानी शान बहाल होगी।

Posted Date:

June 10, 2020

2:59 pm Tags: , , , , , , , , , , ,
Copyright 2023 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis